पटना. बिहार की राजनीति के अजाद शत्रु और गरीबो-शोषितों, कमजोर के मशीहा लालू यादव ने अपने राजनीति करियर की शुरुआत छात्र जीवन से की और बिहार के मुख्यमंत्री सहित दिल्ली की राजनीति में भी अपनी धमक से एक अलग छाप छोड़ी. उन्होंने राजनीति के करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे पर उनकी पॉपुलैरिटी में कमी नहीं आई. बात करने के दिलचस्प अंदाज के लिए मशहूर लालू प्रसाद यादव भारत ही नहीं विश्वभर में जाने जाते हैं. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि एक दौर ऐसा भी आया जब लालू शासन का अवसान काल कहा गया. ये था वर्ष 2005. तब भाजपा के सहयोग से नीतीश कुमार ने लालू-राबड़ी से शासन की बागडोर छीन ली थी. हालांकि तब भी लालू यादव ने हौसला नहीं छोड़ा था और अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए तमाम रणनीतियां तैयार की थीं.
वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में भी आरजेडी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में जदयू और भाजपा ने मिलकर 243 में से 206 सीटें जीती थीं. वहीं लालू प्रसाद यादव की आरजेडी को 22 सीटें और सहयोगी एलजेपी को महज 3 सीटें ही मिली थीं. यही वक्त था, जब चुनाव नतीजों के दो दिन बाद ही लालू यादव ‘गायब’ हो गए थे. वे इतने ‘सदमे’ में थे कि एक महीने से अधिक वक्त तक वे मीडिया की सुर्खियों से दूर रहे. मीडियावालों से लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी उनके प्रवास का पता नहीं चल पा रहा था. हालांकि तब लालू यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी के कहने पर लालू के करीबी पत्रकार और रामकृपाल यादव ने दिल्ली का दौरा किया और लालू यादव से मिले. इन दोनों ने मिलकर लालू यादव का हौसला बढ़ाया और उन्हें सामने लेकर आए. जाहिर है लालू प्रसाद यादव जैसे नेता के लिए इस तरह का ‘अज्ञातवास’ हैरान करने वाला था. यह उन नेताओं के लिए भी अचरज भरा था और बिहार की जनता के लिए भी. इसके पीछे कारण यही है कि आज भी बिहार में अगर सबसे अधिक जनाधार वाले कोई नेता हैं, तो वह लालू यादव ही हैं.
एक टीवी शो में शाहरुख खान लालू के हेयर स्टाइल की तारीफ करते हुए कहते हैं, ‘एक बात है कि आपका हेयर स्टाइल जवानी में लड़के जरूर कॉपी करते होंगे, लेकिन मेरे और धोनी से भी ज्यादा पॉपुलर हेयर स्टाइल आपका ही है.’लालू प्रसाद यादव जवाब में कहते हैं, ‘मेरा हेयर स्टाइल फौज में हमारे जवानों से मिलता-जुलता है. मैं हाथ से ही अपने बाल ठीक कर लेता हूं. छोटे बाल रखने से गर्दन में भी दर्द नहीं होता है. एक न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम में उनके कान के पीछे बाल के बारे में पूछा गया था. इसके जवाब में लालू प्रसाद यादव ने ज्योतिषि और उम्र का कनेक्शन बताते हुए एक रोचक कहानी सुनाई थी. उन्होंने कहा था कि उनके कान के पीछे बाल हैं इसलिए वह 126 साल जिएंगे. लालू यादव ने ये कहानी सुनाते हुए एक ज्योतिषि का उदाहरण भी दिया था. लालू ने कहा था कि उन ज्योतिषि के कान के पीछे भी बाल थे. उन्होंने मुझे देखते ही कह दिया था कि मैं 126 साल जिउंगा.
990 में लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बने. 23 सितंबर 1990 को उन्होंने राम रथयात्रा के दौरान समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कराया और खुद को धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में प्रस्तुत किया. तब आडवाणी की गिरफ्तारी से लालू को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई. कभी ‘गुदड़ी का लाल’ और ‘गरीबों का मसीहा’ जैसे नामों से पुकारे जाने वाले लालू प्रसाद के राजनीतिक सफर पर चारा घोटाले ने ब्रेक लगा दिया.