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क्या कहना ! भागलपुर में सरकारी बताकर अधिग्रहित की गयी जमीन निकली रैयती, 27 साल बाद लाभुकों को मिलेगा मुआवजा

एनएच विभाग ने भूमि में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए 21 दिन के अंदर आपत्ति व दावा प्रस्तुत करने संबंधी गजट प्रकाशित किया है. बाईपास परियोजना को लेकर 1995 में रैयती जमीन को सरकारी बताकर अधिग्रहित की गयी थी.

भागलपुर: बिहार में एनएच विभाग का भी जवाब नहीं. स्थायी बाइपास प्रोजेक्ट को लेकर जिस जमीन को सरकारी बता कर अधिग्रहण किया गया था, वह रैयती निकली. मुआवजे से वंचित रैयतों को अब 27 साल बाद मुआवजा मिलेगा. एनएच विभाग ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

आपत्ति व दावा प्रस्तुत करने के लिए गजट प्रकाशित

एनएच विभाग ने भूमि में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए 21 दिन के अंदर आपत्ति व दावा प्रस्तुत करने संबंधी गजट प्रकाशित किया है. बाइपास परियोजना को लेकर 1995 में रैयती जमीन को सरकारी बताकर अधिग्रहित की गयी थी. यह जमीन नाथनगर के अंबई निस्फ गांव में है और धनहर-2 प्रवृत्ति की है.

वर्तमान वेल्यू के हिसाब से मिलेगा मुआवजा

रैयतों को वर्तमान मिनिमम वेल्यू रजिस्टर (एमवीआर) के हिसाब से मुआवजा दिया जायेगा. यह जमीन एनएच 80 के किमी 132.53 से किमी 132.685 किमी तक में है. यानी, लगभग 0.1699 हेक्टेयर (42 डिसमिल) क्षेत्रफल की इस जमीन का मालिकाना हक निजी रैयत के पास है. एनएच विभाग अब जल्द से जल्द रैयतों को मुआवजा देकर छुटकारा पाना चाहता है.

साल 2019 में बनकर तैयार हुआ था बाइपास

भू-अर्जन विभाग ने एलायनमेंट के मुताबिक जमीन अर्जित कर दी. अर्जित जमीन के हिसाब से काम हुआ और बाइपास साल 2019 में बनकर तैयार हुआ. अधिग्रहण की प्रक्रिया के समय इस जमीन को सरकारी बतायी गयी थी. कार्य एजेंसी जीआर इंफ्रा को जब अलायनमेंट और अधिग्रहित जमीन मिला, तो उसके हिसाब से उन्होंने बाईपास की 16.73 किमी सड़क बना दी. अब जमीन निजी निकल गया है तो रैयत को मुआवजा दिया जायेगा.

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