पटना: बिहार में सातवें चरण की शिक्षक बहाली की मांग कर रहे अभ्यर्थियों पर आज पटना में पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. बिहार में लंबे समय से सातवें चरण के शिक्षक बहाली की मांग हो रही है. STET पास अभ्यर्थी लगातार इसके लिए धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं. इसी बीच बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने ऐलान किया कि बिहार में जल्द ही साढ़े तीन लाख भर्तियां शिक्षा विभाग से होंगी. लेकिन शिक्षक अभ्यर्थी सरकार के मुंहजबानी ऐलान की बजाय ऑफिशियल नोटिफिकेशन जारी करने की मांग को लेकर शिक्षक अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों का जुलूस डाक बंगला चौराहे पर पहुंचा तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया.
इससे पहले जेपी गोलंबर से शिक्षक अभ्यर्थियों ने डाकबंगला चौराहा पर पैदल मार्च निकाला. प्रदर्शन करने वाले अभ्यर्थी चौक छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए. तब पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठी चार्ज कर दी. लाठी चार्ज होने के बाद भगदड़ मच गई. इस दौरान काफी संख्या में अभ्यर्थी सड़क पर गिर पड़े. उसके बावजूद भी पुलिस अभ्यर्थियों को पीटती रही.
बता दें कि जब से बिहार में महागठबंधन की सरकार (Mahagathbandhan Sarkar) बनी है, तब से सियासी गलियारों में हलचल तेज है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. बीजेपी के नेता लगातार उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से पूछ रहे हैं बिहार के लोगों को सरकारी नौकरी (Government Job) मिलेगी? इधर, बीते दिनों ही शिक्षक अभ्यार्थियों ने सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव को टैग कर जल्दी नौकरी देने की मांग की थी.
शिक्षक अभ्यर्थियों ने सोशल मीडिया पर तेजस्वी याजव को (Tejaswi Yadav) को टैग कर लिखा था कि ‘भैया थोड़ा जल्दी किजिए हमारी गर्लफ्रेंड छोड़कर भाग गई थी लेकिन जब से आप सत्ता में आए हैं और भरोसा दिए हैं कि STET मेरिट लिस्ट में चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति जल्द करेंगे, तब से वह पगली फोन कर के पूछ रही है, नियुक्ति पत्र कब मिलेगा, भैया थोड़ा जल्दी कीजिए ताकि हम लोग इसी साल घर बसा लें’.
साल 2006 में बिहार में शिक्षक भर्ती आई थी. इस भर्ती को ‘पहले की चरण की शिक्षक भर्ती’ कहा गया. उसके बाद जो भी भर्तियां आईं उन्हें दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें चरण की भर्ती कहा गया. इस क्रम में छठे चरण की भर्ती आखिरी भर्ती थी, जो कि साल 2019 में हुई थी. इसके लिये लगभग 94 हजार पदों के लिये शिक्षक भर्ती निकाली गई थी. फरवरी 2022 में इस चरण की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी. लेकिन सिर्फ 42 हजार पदों पर ही नियुक्ति हो पाई थी. यानी 50 हजार से ज्यादा पद खाली रह गये थे.
प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का दावा है कि बिहार के प्राथमिक विद्यालयों में करीब डेढ़ लाख शिक्षकों के पद खाली हैं. इन तीन सालों में (साल 2019 के बाद से) बहुत से पद खाली हुये हैं. अभ्यर्थियों का दावा है की साल 2020 के बाद से करीब 5500 स्कूलों को अपग्रेड किया गया है. लेकिन केवल 3 हजार शिक्षकों की ही बहाली हुई है. प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी इन सीटों को जल्द से जल्द भरने की मांग करते हुए नई भर्ती, यानी सातवें चरण की भर्ती लाने की मांग कर रहे हैं. अभ्यर्थियों का कहाना है कि जल्द ही नोटिफिकेशन जारी किया जाये और भर्ती प्रक्रिया को ऑनलाइन और सेंट्रलाइज किया जाये.