नये वर्ष में बदले कानून, अब अगर फिसड्डी हैं वार्ड सदस्य तो उपमुखिया को मिलेंगे वित्तीय अधिकार
पंचायती राज विभाग ने वार्ड सभा और वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति की कार्य संचालन नियमावली में संशोधन किया है.
पटना. पंचायती राज विभाग ने काम नहीं करनेवाले वार्ड सदस्यों से वित्तीय अधिकार छीन लिया है. विकास योजना को अमल में नहीं लानेवाले ऐसे वार्ड सदस्यों की जिम्मेदारी अब संबंधित पंचायत के उपमुखिया को सौंप दी गयी है.
इससे उपमुखिया के हाथ में ऐसे वार्ड के विकास की जिम्मेदारी मिल जायेगी. राज्य में कुल एक लाख 14 हजार 733 वार्ड सदस्य हैं. हर वार्ड में वार्ड सदस्य की अध्यक्षता में वार्डसभा और वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का गठन किया गया है.
यह समिति ही अपने वार्ड में किये जानेवाले विकास कार्यों को कराती है. साथ ही समिति के खाते का संचालन वार्ड समिति के अध्यक्ष के नाते वार्ड सदस्य और सदस्य सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से होता है.
पंचायती राज विभाग ने वार्ड सभा और वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति की कार्य संचालन नियमावली में संशोधन किया है.
इसमें कहा गया है कि समिति के खाते में राशि ट्रांसफर होने के 45 दिनों के अंदर योजनाओं का कार्यान्वयन नहीं किया जाता है.
अथवा अध्यक्ष इस कार्यों में रुचि नहीं दिखाते हैं या अध्यक्ष लंबी अवधि के लिए क्षेत्र से बाहर चले जाते हैं, तब संबंधित बीडीओ की रिपोर्ट और अनुशंसा के आधार पर जिला पंचायती राज पदाधिकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए खाते का संचालन संबंधित पंचायत के उपमुखिया और समिति के सदस्य सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से किये जाने का आदेश दे सकेंगे.
यह आदेश तब तक लागू होगा, जब तक वार्ड सदस्य अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का निर्वहन सम्यक रूप से करने के लिए खुद उपस्थित होकर बीडीओ को अंडरटेकिंग नहीं दे दें.
अब राज्य में विकास कार्यों को बाधित करनेवाले वार्ड सदस्यों की जगह पर पंचायत के उपमुखिया को यह वित्तीय अधिकार मिलने से समय पर कार्य संपन्न हो सकेगा.
Posted by Ashish Jha