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ब्लैक फंगस के इलाज के लिए खोजा जा रहा जोंक, जानें क्या है आयुर्वेद की जलौका पद्धति

पटना सहित पूरे बिहार में ब्लैक फंगस का कहर जारी है. शहर के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस और एम्स में लगातार फंगस के मरीज मिल रहे हैं. इसको देखते हुए शहर के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में नयी तकनीक से इलाज शुरू किया जा रहा है.

पटना. पटना सहित पूरे बिहार में ब्लैक फंगस का कहर जारी है. शहर के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस और एम्स में लगातार फंगस के मरीज मिल रहे हैं. इसको देखते हुए शहर के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में नयी तकनीक से इलाज शुरू किया जा रहा है. इसका नाम जोक पद्धति रखा गया है.

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. वैद्य दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि गंभीर फंगस के लिए जलौका पद्धति सदियों से कारगर रही है. नये मामले आते हैं तो इसका इस्तेमाल किया जायेगा़ हालांकि, आयुर्वेदिक कॉलेज के पास अब तक ब्लैक फंगस का कोई मामला सामने नहीं आया है. लेकिन डॉक्टर इस इलाज को आगे बढ़ाने के लिए जोंक की तलाश में जुट गये हैं.

उन्होंने कहा कि जोंक की खासियत है कि यह शरीर से गंदा खून चूसकर डेड सेल को नष्ट कर देती है. शरीर में कहीं भी स्किन खराब होने और रक्त संचार बंद होने की स्थिति में वहां डेड सेल को एक्टिव करने में जोक काफी मददगार होती है. डॉक्टर इस इलाज की विधि को जलौका कहते हैं.

पीएचइडी के कर्मियों को 25 जून से पहले टीका

राज्य में चल रही सरकारी योजनाओं और जो योजना पूरा हो चुका है उसे नियमित चलाया जा सके, इसको लेकर दो दिन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सभी विभागों की आॅनलाइन बैठक हुई. इसमें कोरोना के दौरान कैसे काम किया जा रहा है, इसको लेकर विभाग के सभी अधिकारियों से जानकारी ली गयी.

उसके बाद विभागों को निर्देश भी दिया गया कि सभी कर्मियों व अधिकारियों का टीकाकरण तेजी से कराया जाये, जिसके बाद पीएचइडी ने टीकाकरण के लिये जून तक का लक्ष्य रखा है. निर्देश दिया गया है कि जिलों में फील्ड कर्मियों की लिस्ट तैयार करें, ताकि प्राथमिकता के आधार पर उनका टीकाकरण कराया जा सके. इसके लिए 25 जून तक का लक्ष्य रखा है.

Posted by Ashish Jha

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