पटना. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार में शामिल होने को लेकर वाम दल एकमत नहीं हैं. हालांकि भाकपा माले ने संकेत दिया है कि वह सरकार को बाहर से ही समर्थन करेगी. बिहार विधानसभा में भाकपा, माकपा और माले को मिलाकर 16 सदस्य हैं. भाकपा माले ने 13 अगस्त को राज्य कमेटी की बैठक बुलायी है, जिसमें सरकार में शामिल होने या न होने के बारे में फैसला होगा.
माकपा के राज्य सचिव ललन चौधरी ने कहा कि अगले एक-दो दिनों में पार्टी फैसला ले लेगी. भाकपा सरकार में शामिल होने की इच्छुक दिख रही है. हालांकि गुरुवार को होने वाली बैठक में अंतिम निर्णय होगा. वैसे, लालू प्रसाद के साथ निकटता का भाकपा का कड़वा अनुभव रहा है.
भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनकी पार्टी बिहार की नयी सरकार को बाहर से समर्थन देने का वादा करने के साथ ही एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम की मांग कर रही है. उन्होंने कहा कि पार्टी नीतिगत सूचनाएं मुहैया कराएगी और सरकार को नीति बनाने और लागू करने में मदद करेगी. सरकार को राज्य में रोजगार सृजन को प्राथमिकता देनी होगी.
नयी सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्रियों के नाम दिल्ली दरबार से ही तय होगा. बिहार प्रभारी भक्त चरण दास गुरुवार को संभावित सूची लेकर दिल्ली पहुंचेंगे. पार्टी नेता राहुल गांधी और अध्यक्ष सोनिया गांधी की सहमति के बाद तीन से चार नाम तय कर दिये जायेंगे. इसके लिए विधायकों का दिल्ली प्रवास जारी है.
संभावित मंत्रियों में एक अल्पसंख्यक, एक सवर्ण और एक पिछड़ी जाति से मंत्री बनाये जा सकते हैं. इस बार कांग्रेस कोटे से मंत्री बनने वालों में प्रदेश अध्यक्ष डाॅ मदन मोहन झा, विधायक दल के नेता अजित शर्मा, अल्पसंख्यक कोटे से अफाक आलम के नाम के कयास लगाये जा रहे हैं.