पटना. मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में एक दिन में अधिकतम 12 ऑपरेशन की जगह 75 ऑपरेशन करनेवाले डॉक्टर की लाइसेंस रद्द हो सकती है. अस्पताल की जांच के बाद सिविल सर्जन से सरकार को भेजी रिपोर्ट में इस बात की अनुशंसा की है. माना जा रहा है कि सिविल सर्जन की अनुशंसा के बाद सरकार इस पर कार्रवाई करेगी.
इधर 17 मरीजों के आंख निकालने और दर्जनों लोगों को अंधा बना देने के मामले में बिहार स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद कैंप से जुड़े मामले की जांच रिपोर्ट जिला स्वास्थ्य प्रशासन से मांगी है. जिसे लेकर बुधवार को सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल और एसकेएमसीएच में भर्ती मरीजों से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि अस्पताल को अभी फिलहाल बंद कर दिया गया है.
मालूम हो कि सिविल सर्जन ने गुरुवार को ब्रह्मपुरा थाने में एफआईआर दर्ज करायी है. इसमें अस्पताल ट्रस्ट के सचिव दिलीप जालान व प्रबंधक दीपक कुमार के अलावा ऑपरेशन करने वाले तीन डॉक्टर और 9 सहायकों को नामजद आरोपी बनाया है.
थाना अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि इसमें आईपीसी की धारा 307, 325, 326, 336, 337, 338 और 34 लगायी गयी है. थानेदार खुद इसकी जांच करेंगे. सिविल सर्जन ने एफआईआर में कहा है कि 29 नवंबर को मरीज राममूर्ति सिंह, गोपी देवी रामजी राय एवं अन्य ने उनसे शिकायत की.
इस मामले में एसीएमओ के नेतृत्व में जांच टीम बनायी गयी है. उसमें सदर अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. नीतु कुमारी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मो. हबीब असगर और एसकेएमसीएच के नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार सिंह शामिल है.
-
दिलीप जालान, मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल के ट्रस्टी सचिव
-
दीपक कुमार, मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल के प्रबंधक
-
डॉ. एनडी साहू, नेत्र रोग चिकित्सक व सर्जन
-
डॉ. समीक्षा, नेत्र रोग चिकित्सक व सर्जन
-
डॉ. निरुपमा, नेत्र रोग चिकित्सक व सर्जन
-
बबीता कुमारी, चक्षु सहायक
-
बिल्टु कुमार, चक्षु सहायक
-
सरस्वती रानी, चक्षु सहायक
-
विकास कुमार, चक्षु सहायक
-
भावना वर्मा, चक्षु सहायक
-
अनुप कुमार, चक्षु सहायक
-
शाहिना परवीन, चक्षु सहायक
-
सौरभ कुमार, चक्षु सहायक
-
उमाशंकर सिंह, चक्षु सहायक
-
307 : किसी इरादे या बोध के साथ विभिन्न परिस्थितियों में कोई ऐसा कार्य करता है, जो किसी की मृत्यु का कारण बन जाए, तो वह इसमें दोषी होगा. 10 वर्ष तक कारावास व अर्थदंड का भागी होगा.
-
325 : कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अपने मन से कोई गंभीर चोट पहुंचाता है तो वह इस धारा के तहत दोषी होगा. इसमें आरोपी 7 वर्ष तक की कारावास और आर्थिक जुर्माना से दंडित होगा.
-
326 : खतरनाक आयुधों या साधनों से गंभीर आघात पहुंचाना इस धारा के तहत अपराध माना गया है. इसमें आजीवन कारावास या 10 साल का कारावास और आर्थिक दंड का भागी होगा.
-
335 : जो कोई भी यह नहीं जानते हुए भी कि उसके कृत्य से किसी को गम्भीर आघात पहुंचेगा और वह अचानक प्रकोपन कर आघात पहुंचा देता है तो उक्त व्यक्ति इस धारा का दोषी होगा. चार वर्ष कारावास व जुर्माना का भागी होगा.
-
336 : जो कोई भी उतावलेपन या उपेक्षापूर्वक ऐसा कोई कार्य करे, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा हो, तो उसे तीन महीने तक सजा व आर्थिक दंड होगा.
-
337 : कोई व्यक्ति उतावलेपन या उपेक्षापूर्वक ऐसा कार्य करे, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो या चोट पहुंचाता है तो छह महीने तक कारावास व 500 रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है.
-
34 : यह धारा लगने के बाद सभी आरोपियों पर समान रूप से अपराध करने का बोध होता है. उस अपराध के लिए सभी आरोपी समान रूप से दोषी माने जाएंगे.
Posted by Ashish Jha