पटना. निजी सुरक्षा गार्ड और पर्यवेक्षकों के प्रशिक्षण के लिए कागजों पर चलाये जाने वाले निजी प्रशिक्षण संस्थानों पर राज्य सरकार सख्त दिख रही है. अब इन संस्थानों की नियमित जांच होगी और यहां न्यूनतम संसाधन और सुविधाओं की उपलब्धता नहीं होने पर उनका लाइसेंस निलंबित करने के साथ ही रद्द भी किया जा सकेगा. इसको लेकर गृह विभाग (विशेष शाखा) ने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) निर्धारित करते हुए आदेश जारी किया है.
विभाग की विशेष सचिव के सुहिता अनुपम ने दिये अपने आदेश में कहा है कि निजी सुरक्षा गार्ड व पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षण की सुविधा मुहैया कराने वाले प्रशिक्षण संस्थानों को निजी सुरक्षा अभिकरण में शामिल किया गया है. बिहार निजी सुरक्षा अभिकरण नियमावली 2011 के मुताबिक प्रशिक्षण संस्थानों को लाइसेंस लेने के समय अपने यहां उपलब्ध प्रशिक्षण सुविधाओं का ब्योरा देना अनिवार्य है. अब प्रावधान किया गया है कि नियंत्री पदाधिकारी स्वयं या अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों के माध्यम से साल में कम- से -कम दो बार इसकी जांच करेंगे. जांच में प्रशिक्षण संस्थान के कार्यकलाप में किसी प्रकार की शिथिलता अथवा अनियमितता पाये जाने पर लाइसेंस की समीक्षा की जायेगी.
विभाग ने निजी संस्थानों में प्रशिक्षण को लेकर कक्षा, आउटडोर, सुरक्षा उपकरण, प्रशिक्षक तथा आवासीय एवं अन्य सुविधाओं को लेकर मानक तय कर दिये हैं. प्रत्येक संस्थान में कम- से- कम 300 वर्गफुट आकार का दो वर्ग कक्ष अनिवार्य हैं, जिसमें अधिकतम 30 प्रशिक्षुओं के बैठने की व्यवस्था हो. आउटडोर ट्रेनिंग के लिए 10 हजार वर्गफुट भूमि होनी चाहिए. प्रशिक्षण के लिए मेटल डिटेक्टर, विभिन्न प्रकार के अग्निशामक और अलार्म उपकरण, सीसीटीवी सर्विलांस सिस्टम के प्रशिक्षण हेतु आवश्यक उपकरण आदि होने अनिवार्य हैं. मुख्य प्रशिक्षक व सहायक प्रशिक्षक को लेकर शर्त रखी गयी है कि वह सेना, पुलिस या समरूप संगठनों से संबंद्ध होना चाहिए. इसके अतिरिक्त आवासीय व अन्य सुविधाओं को लेकर भी मानक निर्धारित किये गये हैं.