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डेंगू संक्रमित मरीजों के लीवर और किडनी भी हो रहे खराब, संक्रमण की चपेट में आ रहे अब बच्चे

तीन साल से कम उम्र के बच्चों में ब्रांकियोलाइसिस वायरस के चलते निमोनिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. उधर, डेंगू ठीक होने के बाद लीवर, किडनी पर भी असर डाल रहे है. डेंगू होने के बाद लीवर में सूजन, किडनी में संक्रमण तक हो रहा. इसलिए काफी अलर्ट रहने की जरूरत है.

गोपालगंज. सर्दी का असर शुरू होते ही फिर वायरल इन्फेक्शन के केस बढ़ने लगे हैं. इस बार वायरस गले पर भी अटैक कर रहा है, जिससे बुखार के साथ-साथ गले का संक्रमण बढ़ा है. इसके अलावा तीन साल से कम उम्र के बच्चों में ब्रांकियोलाइसिस वायरस के चलते निमोनिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. उधर, डेंगू ठीक होने के बाद लीवर, किडनी पर भी असर डाल रहे है. डेंगू होने के बाद लीवर में सूजन, किडनी में संक्रमण तक हो रहा. इसलिए काफी अलर्ट रहने की जरूरत है. डेंगू के मरीजों को भी अपने डॉक्टर से संपर्क में रहने की सलाह बनारस अस्पताल के एमडी डॉ प्रवीण तिवारी देते हैं. वैसे तो इन दिनों मौसम का मिजाज बार-बार बदल रहा है. दोपहर में तेज धूप परेशान कर रही है तो सुबह-शाम ठंडक भी है. रात में कभी उमस तो कभी ज्यादा ठंड का एहसास हो रहा है. इस उतार-चढ़ाव के चलते लोग बुखार व सर्दी-खांसी की चपेट में आ रहे हैं.

संक्रमण की चपेट में आ रहे बच्चे

बच्चे भी इस रोग की चपेट में हैं. बुखार के दूसरे-तीसरे दिन गले में संक्रमण हो रहा है. गले में खराश के चलते दर्द हो रहा है. राहत की बात यह है कि चार से पांच दिन में सामान्य इलाज में ही मरीज ठीक भी हो रहे हैं. शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ मंकेश्वर सिंह बताते हैं कि हर दिन आठ से 10 बच्चे निमोनिया से ग्रसित आ रहे हैं. संक्रमित बच्चे से दूसरे को संक्रमण हो सकता है. सदर अस्पताल में भी संक्रमण के रोज 20 से 25 मरीज आ रहे है.

जांच केंद्रों से स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिल रहा रिपोर्ट

स्वास्थ्य विभाग को डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने आदेश दिया था कि जिले के सभी पैथोलॉजी से डेंगू व अन्य बुखार की रिपोर्ट मांगी जाये. सिविल सर्जन के स्तर पर एक्शन लेना था. लेकिन पैथोलॉजी से रिपोर्ट नहीं मिल रहा. जिससे विभाग का आंकड़ा पूरी तरह से मेल नहीं कर पा रहा.

डेंगू होने पर बेहतर डॉक्टर की देख-रेख जरूरी

सिविल सर्जन डॉ बीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक डॉक्टर इलाज कर रहे. डेंगू का लक्षण मिलने पर मरीज सीधे अस्पताल में आयेंगे तो हम बेहतर इलाज कर सकेंगे. डेंगू में बेहतर डॉक्टर का देख-रेख जरूरी होता है. लोगों को भी अलर्ट रहने की जरूरत है. यहां एलिजा जांच से लेकर इलाज तक का इंतजाम है. जबकि प्राइवेट में पैसा भी लग रहा व परेशानी भी हो रहा.

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डेंगू से अब तक तीन की मौत

भोरे में डेंगू की चपेट में आयी रेफरल अस्पताल में कार्यरत एएनएम की मौत के बाद अब हथुआ के मछागर लच्छीराम में डेंगू की चपेट में आने से एक बुजुर्ग राम दयाल पंडित ( उम्र 70 वर्ष) की मौत हो गयी. उन्हें सात दिनों से बुखार था. प्लेटलेट्स लगातार गिर रहा था. हथुआ के एक प्राइवेट क्लीनिक में इलाज चल रहा था. शुक्रवार को लगातार प्लेटलेट्स गिरने लगा. स्थिति बिगड़ने के बाद डॉक्टर ने सदर अस्पताल में रेफर कर दिया. अस्पताल में इलाज शुरू होता, इसी दौरान उसकी मौत हो गयी. इस तरह से डेंगू से मरने वालों की संख्या जहां तीन हो गयी है.

24 घंटे में 13 नये मरीज मिले

पिछले 24 घंटे में 13 नये मरीजों में डेंगू पॉजीटिव पाया गया है. इसमें मीरगंज के राजेश कुमार, सरेया वार्ड नं तीन की श्वेता कुमारी, कमलाराय कॉलेज रोड के राजू सिंह समेत पांच को गोरखपुर के लिए रेफर किया गया है, जबकि आठ को डॉक्टरों की देख-रेख में इलाज चल रहा है. गोरखपुर के विभिन्न अस्पतालों में गोपालगंज के 83 डेंगू के मरीज भर्ती है जबकि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें, तो डेंगू के कुल 407 मरीजों की हुई जांच अब तक किये जाने का दावा किया जा रहा है, जिसमें 92 पॉजीटिव पाये गये हैं. सदर अस्पताल के डेंगू वार्ड में एक मरीज का इलाज चल रहा है.

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