बिहार के बहुचर्चित रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड मामले की जांच कर रही सीबीआई ने जांच शुरु होने के 10 साल के बाद अब चौंकाने वाला दावा किया है. सीबीआई की ओर से एक चार्जशीट आरा के कोर्ट में दाखिल की गयी जिसमें पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय को भी आरोपित बनाया गया है. वहीं ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में सीबीआई की चार्जशीट में नाम आने के बाद पहली बार पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय का भी बयान सामने आया है. हुलास पांडेय ने इस पूरे मामले को लेकर अपना पक्ष रखा है. बता दें कि ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड के बाद बिहार से लेकर दिल्ली तक सियासत गरमायी थी. वहीं इस हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी गयी थी.
पूर्व एमएलसी और चिराग पासवान की पार्टी लोजपा(रा) के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष हुलास पांडेय की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. सीबीआइ द्वारा रणवीर सेना प्रमुख बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड में आरा के जिला एवं सत्र न्यायालय के सेशन जज-3 के कोर्ट में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर करने के बाद यह मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है. इस चार्जशीट में पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय का नाम भी शामिल किया गया है. बरमेश्वर सिंह उर्फ मुखिया जी की हत्या के 10 साल बाद सीबीआइ ने पूर्व विधान पार्षद हुलास पाण्डेय को मुख्य अभियुक्त बनाया है.
अब सीबीआइ के सेसन कोर्ट में चार्जशीट दायर करने बाद अब सीबीआइ के विशेष जज मामले का संज्ञान लेंगे. उसके बाद आरोप तय किया जायेगा. आरोपितों से कोर्ट में आरोप स्वीकारने या नहीं स्वीकारने के संबंध में पूछताछ की जायेगी. यदि बचाव में उनके खुद का वकील नहीं हो पायेगा, तो कोर्ट वकील की व्यवस्था करायेगा. यदि आरोपित खुद का बेकसूर कहते हैं तो ट्रायल शुरू होगा. सीबीआइ पूरे तथ्य के साथ गवाह गुजारेगी. आरोपी को बचाव के लिए दंड प्रक्रिया की धारा 313 के तहत अंतिम मौका दिया जायेगा. सीबीआइ द्वारा दायर चार्जशीट में पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय, अभय पांडेय, नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी, रीतेश कुमार उर्फ मोनू, अमितेश कुमार पांडेय उर्फ गुड्डू पांडे, प्रिंस पांडेय, बालेश्वर पांडेय और मनोज राय उर्फ मनोज पांडेय के नाम शामिल किये गये हैं.
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रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या 1 जून 2012 की अहले सुबह हुई थी. उनकी हत्या से संबंधित एफआइआर आरा के नवादा थाने में दर्ज की गयी थी. दर्ज एफआइआर में हत्या, आपराधिक षडयंत्र समेत अन्य संगीन आपराधिक धाराएं लगायी गयी थीं. एफआइआर बरमेश्वर मुखिया के पुत्र इंदु भूषण सिंह ने दर्ज करवायी थी. करीब एक साल बाद 12 जुलाई 2013 को इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गयी थी. जुलाई 2013 से सीबीआइ इस मामले की जांच कर रही है. उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी सीबीआई ने हुलास पांडेय से पूछताछ की थी.
ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में पूर्व विधान पार्षद हुलास पांडेय का नाम आने के बाद रविवार को उन्होंने अपना पक्ष रखा. प्रभात खबर से फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि सीबीआइ के चार्जशीट के बारे में अभी तक उन्हें कोई अधिकारिक सूचना नहीं मिली है. मीडिया के माध्यम से ही उन्हें चार्जशीट की खबर मिली रही है. मेरा ब्रह्मेश्वर मुखिया से ना कोई संबंध था और ना ही मैं कभी उनका विरोधी रहा हूं. ऐसे में यह आरोप पूरी तरह गलत है. उन्होंने कहा कि जब-जब चुनाव आता है तो मेरे विरोधी मुझे नीचा दिखाने के लिए साजिश करते हैं. ऐसा लगता है कि किसी ने जांच एजेंसी को गुमराह किया है.
ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड के बाद बिहार से लेकर दिल्ली तक की सियासत गरमा गयी थी. आरा, पटना, औरंगाबाद, जहानाबाद और गया जिला समेत बिहार के अन्य जगहों पर उपद्रव हुआ था. आरा में तो उन्मादी भीड़ ने सरकारी तंत्र को खास तौर पर निशाने को लिया था. स्टेशन से लेकर सर्किट हाउस और कृषि भवन से लेकर आरा के सदर ब्लॉक तक आग के हवाले कर दिये गये थे. हालात ऐसे थे कि आरा में भीड़ ने तत्कालीन डीजीपी अभयानंद पर भी हमला बोलने की कोशिश की थी.
गौरतलब है कि 1 जून 2012 की अहले सुबह जब रणवीर सेना के प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया जब रोजाना की तरह टहलने के लिए निकले थे तो घात लगाए बदमाशों ने उनकर ताबड़तोड़ गोली बरसा दी थी. जब ब्रह्मेश्वर मुखिया अपने घर के समीप मोड़ पर पहुंचे थे तो उन्हें गोली मार गयी थी. ब्रह्मेश्वर मुखिया की मौत मौके पर ही हो गयी थी. उनकी मौत से सियासी भूचाल मचा था. वहीं सीबीआई की जांच लंबे समय से इस मामले में चल रही है. शुरुआती दौर में सीबीआई के हाथ खाली रहे थे. वहीं सीबीआई ने पोस्टर चस्पा कर सुराग देने वालों पर इनाम भी रखा था. अब चार्जशीट में पूर्व एमएलसी का नाम आने से मामले ने नया मोड ले लिया है.