केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार के मखाना को अलग पहचान देने की बात की है. दरअसल,कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी. इसे विस्तार से बताने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन मीडिया से रू-ब-रू हुई. वित्त मंत्री ने आज विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए लॉकडाउन में कृषि सेक्टर को 1 लाख करोड़ देने की बात की. इस दौरान उन्होने कहा कि फूड एंटरप्राइजेज माइक्रो साइज के लिए 10 हजार करोड़ रुपये दिया जाएगा. जिसमें उन्होंने बिहार के मखाना का भी जिक्र करते हुए बिहार को मखाना क्लस्टर बनाने की बात कही. इसके साथ उन्होने कश्मीर में केसर, कर्नाटक में रागी उत्पादन, नॉर्थ ईस्ट में ऑर्गनिक फूड और तेलंगाना में हल्दी का भी जिक्र करते हुए इन्हे ग्लोबल स्टैंडर्ड के प्रोडक्ट बनाने की बात कही.
देश का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक राज्य है बिहार :
बिहार, देश का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक राज्य है. बिहार के सीमांचल में इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है. यहां के मिथिलांचल में देश का सबसे अधिक मखाना उत्पादन होता है.बिहार के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, पूर्णिया, कटिहार आदि जिलों में मखाना का सार्वाधिक उत्पादन होता है.
इम्युनिटी सिस्टम मजबूत बनाने में मखाना कारगर :
कोरोना संक्रमण से जूझ रहे भारत समेत समस्त विश्व के सामने इम्यूनिटि एक मजबूत कवच के रूप में बताया जा रहा है.और बात मखाने की करें तो मखाना के अंदर शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली (इम्युनिटी सिस्टम) को बेहतर बनाने के बेहतीन गुण रिसर्च में सामने आए हैं. एमीनो एसीड से युक्त मखाना मानव शरीर को रोग प्रतिरोधी बनाता है.
मखाना के गुण :
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट कहती है कि मखाना के अंदर चावल, गेहूं, सोयाबीन,मां का दूध, गाय का दूध, मछली व मटन से भी ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं. प्रति 100 ग्राम मखाना में 9.7 फीसद प्रोटीन, 75 फीसद कार्बोहाइड्रेट, आयरन और वसा के अलावा 382 किलो कैलोरी मिलती है. मखाना में दूध और अंडे के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है.यह कई बिमारियों से लडने में हमारी मदद करता है.आइये जानते हैं मखाना के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें…
मखाना कई बिमारियों से लडने में है मददगार :
– मखाना हार्ट अटैक जैसी बिमारियों से लड़ने के लिए मददगार साबित हो सकता है.
– रात को दूध में मखाना मिलाकर खाने से तनाव की शिकायत कम होती है.
– हड्डियों और जोड़ों के दर्द में मखाना काफी आराम देता है.इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूती देता है.
– यह पाचन शक्ति को मजबूत करता है.इसके अंदर मौजूद एस्ट्रीजन पेट की समस्या को दूर करता है.
– इसमें मौजूद एंटीएजिंग और एंटीआक्सीडेट तत्व त्वचा के लिए काफी सहायक होते हैं.साथ ही ये बढ़ती उम्र में भी उर्जावान बनाए रखने में मददगार है.
– प्रेगनेंसी के दौरान मखाने के सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और इससे बच्चा भी स्वस्थ रहता है.
किसानों और जलजमाव वाली भूमि के लिए वरदान है मखाना की खेती :
मखाना की खेती का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि हर साल बाढ़ का दंश झेलने वाले बिहार में जलजमाव वाली जमीन को भी मखाना की खेती उपजाऊ बना देती है. मखाना का पौधा जल के स्तर के साथ ही बढ़ता है. इसके पत्ते पानी के ऊपर फैले रहते हैं और जैसे पानी के घटने की प्रक्रिया शुरू होती है उसके साथ ही पानी से लबालब भरे खेत की जमीन पर ये पसर जाते हैं. इसके बाद प्रशिक्षित श्रमिकों के द्वारा विशेष प्रक्रिया के द्वारा फसल को जमा करके पानी से बाहर निकाल लिया जाता है. इस प्रक्रिया में पानी के नीचे ही बुहारन का इस्तेमाल किया जाता है. बिहार में सालों भर पानी के जमाव में बेकार दिखने वाली जमीन मखाना की खेती के लिए उपयुक्त साबित हो रही है. बड़ी जोत वाले किसान अपनी जमीन को मखाना की खेती के लिए लीज पर देने लगे हैं. इसकी खेती से बेकार पड़ी जमीन से अच्छी आय किसानों को हो जाती है.
अब मिलेगी और बड़ी पहचान :
पहले मखाना की खेती बिहार के दरभंगा में होती थी लेकिन अब इसकी खेती ने बिहार के एक बड़े भाग पर अपना बर्चस्व बना लिया है.अब मखाना क्लस्टर की घोषणा इसे बड़ी और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दे पाएगी.