बिहार में कम उम्र के बच्चों को हो रहे बड़े-बड़े रोग, कमजोर हो रही नजर, हो रहा हड्डियों और सिर में दर्द, डॉक्टरों ने दिया ये सुझाव

कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास के कारण बच्चे मोबाइल और कंप्यूटर से ज्यादा कनेक्ट हो रहे हैं. पढ़ाई भी घंटों ऑनलाइन हो रही है. सामान्य दिनों में आधा घंटा मोबाइल चलाने वाले बच्चे तीन से पांच घंटे मोबाइल व कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बिता रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | February 27, 2021 1:03 PM

आनंद तिवारी, पटना. कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास के कारण बच्चे मोबाइल और कंप्यूटर से ज्यादा कनेक्ट हो रहे हैं. पढ़ाई भी घंटों ऑनलाइन हो रही है. सामान्य दिनों में आधा घंटा मोबाइल चलाने वाले बच्चे तीन से पांच घंटे मोबाइल व कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बिता रहे हैं.

जरूरत से ज्यादा मोबाइल चलाने से बच्चों को आंखों की बीमारी के साथ सिर दर्द और हड्डियों की दिक्कत भी होने लगी है. शहर के पीएमसीएच व आइजीआइएमएस आदि सरकारी अस्पतालों के नेत्र रोग, मनोचिकित्सा और हड्डी रोग विभाग में पहले के मुकाबले ऐसे बच्चे ज्यादा आ रहे हैं.

कई बच्चों की करानी पड़ी फिजियोथेरेपी

घंटों मोबाइल पर ऑनलाइन क्लास व गेम खेलने की वजह से कुछ ऐसे बच्चे हैं, जिनको हड्डी रोग से संबंधित परेशानी हो रही है. यहां तक कि हड्डी रोग विभाग में कई बच्चों की फिजियोथेरेपी भी करानी पड़ रही है. आइजीआइएमएस के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ रत्नेश चौधरी ने कहा कि लगातार मोबाइल के इस्तेमाल के दौरान बच्चों की गर्दन और रीढ़ की हड्डी लंबे समय तक झुकी रहती है. इससे हड्डियों में दर्द होने लगता है. ओपीडी में ऐसी परेशानी वाले बच्चों की संख्या बढ़ गयी है. कुछ बच्चों की फिजियोथेरेपी करायी जा रही है.

आइजीआइएमएस और पीएमसीएच में इस तरह बढ़े मरीज

आइजीआइएमएस के मनोचिकित्सा विभाग के ओपीडी में मोबाइल से जुड़ी बीमारी के मरीज बढ़ गये हैं. ओपीडी में करीब 400 मरीज आते हैं. इनमें पहले 10 से 15 बच्चे होते थे. इसके उलट अब 40 से 50 बच्चे आ रहे हैं. इनकी उम्र सात साल से 16 साल के बीच है. यही हाल पीएमसीएच का भी है. इसी तरह दोनों ही अस्पतालों के हड्डी रोग विभाग में करीब 700 से 800 मरीज रोज आते थे. पहले गर्दन और रीढ़ की हड्डी में दर्द वाले 10 से 20 बच्चे आते थे. अब संख्या बढ़ कर 50 से 60 के बीच पहुंच गयी है.

देर तक स्क्रीन देखने के नुकसान

पीएमसीएच के मनोचिकित्सक डॉ सौरभ कुमार ने बताया कि सप्ताह में एक दिन व महीने में चार दिन गैजेट मुक्त रहना तय करें. इस दौरान फैमिली के साथ गेम खेलें. ध्यान रहे इस दौरान टीवी, मोबाइल, लैपटॉप आदि को हाथ भी नहीं लगाना है. पांच से 12 साल के बच्चे को रोजाना 90 मिनट से ज्यादा स्क्रीन नहीं देखनी चाहिए. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सुनील सिंह ने कहा कि मोबाइल की स्क्रीन छोटी होती है. कम दूरी से छोटी लिखावट को पढ़ने से बच्चे की आंखों व सेहत को नुकसान पहुंचने की आशंका रहती है. प्रत्येक 15 से 20 मिनट में कुछ देर के लिए स्क्रीन से नजर हटा लें.

यह हो रहा नुकसान

  • बच्चों के दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है

  • ऐसे बच्चे कम सो पाते हैं, जिसका असर मानसिक व शारीरिक विकास पर पड़ता है

  • ऐसे बच्चे बड़े होकर शारीरिक रूप से कम सक्रिय रहते हैं

  • 12 माह से कम उम्र के बच्चों को ऑटिज्म जैसे लक्षणों की आशंका रहती है

मानसिक विकास पर पड़ सकता है असर

एनएमसीएच के मनोचिकित्सा विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रूपम ने बताया कि ऑनलाइन क्लास के कारण मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से सिर दर्द, आंखों में दर्द और चक्कर आने जैसी दिक्कतें हो रही हैं. आइजीआइएमएस के नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विभूति प्रसाद सिन्हा ने बताया कि मोबाइल स्क्रीन के कारण दूर दृष्टि की समस्या होने लगती है. इस कारण कम उम्र में बच्चों को भी चश्मा लगाना पड़ता है. समय पर डॉक्टर को न दिखाने से बच्चे का मानसिक विकास भी धीमा पड़ सकता है.

Posted by Ashish Jha

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