Lockdown ने बढ़ाई तरबूज किसानों की टेंशन! खेत में पक कर फसल तैयार, नहीं मिल रहे खरीददार

Tarbuj kisan news in bihar: लॉकडाउन में गाड़ियों का परिचालन बंद होने से बिहार में नदी के किनारे फैले दियारा क्षेत्र में तरबूज, खीरा, ककड़ी व कद्दू आदि की खेती से होने वाले कारोबार पर संकट मंडरा रहा है. लगभग 300 एकड़ में तरबूज के अलावा खीरा, ककड़ी व कद्दू सहित अन्य हरी सब्जियों की खेती की जाती है. यहां से देश के छह राज्यों सहित नेपाल में भी इसकी आपूर्ति की जाती है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 14, 2021 5:20 PM

लॉकडाउन में गाड़ियों का परिचालन बंद होने से बिहार में नदी के किनारे फैले दियारा क्षेत्र में तरबूज, खीरा, ककड़ी व कद्दू आदि की खेती से होने वाले कारोबार पर संकट मंडरा रहा है. लगभग 300 एकड़ में तरबूज के अलावा खीरा, ककड़ी व कद्दू सहित अन्य हरी सब्जियों की खेती की जाती है. यहां से देश के छह राज्यों सहित नेपाल में भी इसकी आपूर्ति की जाती है.

यूपी, दिल्ली, आंध्रप्रदेश, सिलीगुड़ी व कोलकाता में यहां से इन सभी उत्पादों की आपूर्ति की जाती है. लेकिन इस बार अन्य प्रदेशों के एक भी व्यापारी ने किसानों के उत्पाद खरीदने के लिए संपर्क नहीं किया है. एक सप्ताह के अंदर तरबूज खेत से निकलने लगेगा, लेकिन उसे खरीदने के लिए अब तक कोई आगे नहीं आया है. इसको लेकर निराशा का माहौल है. किसानों की चिंता बढ़ने लगी है. किसान कर्ज लेकर कर खेती किये हुए थे. इसी खेती से किसानों को साल भर का खर्चा निकलता है. परिवार के खाने-पीने से लेकर के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी इसी पर निर्भर है

100 किसानों ने 300 एकड़ में की है खेती- निमुइया व अन्य गांवों के करीब 100 किसानों ने ही लगभग 300 एकड़ में तरबूज व सब्जी आदि की खेती की है. किसानों का कहना है कि एक एकड़ की खेती में लगभग 75 हजार रुपये की लागत आती है. इसमें बीज से लेकर मवेशी खाद व सिंचाई आदि शामिल है. वहीं ठीक से उत्पादन होने पर लगभग प्रति एकड़ दो लाख रुपये की कमाई भी हो जाती है. इन फसलों की रक्षा के लिए किसान खेत में ही बांस व फूस की बनी झोंपड़ी में निवास करते हैं.

900 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है तरबूज– इस वर्ष तरबूज 900 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है. वहीं खीरा 250 रुपये सैकड़ा व कद्दू प्रति सैकड़ा एक हजार रुपये है. किसानों की मुख्य चिंता यह है कि अगर लॉकडाउन की वजह से बाहर के कारोबारी नहीं आये, तो तरबूज व खीरा बिक नहीं पायेगा, जिससे इनकी लागत बर्बाद हो जायेगी.

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Posted By : Avinish Kumar Mishra

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