सुबोध कुमार नंदन, पटना. लॉकडाउन की वजह से पटना जिले की लगभग दस हजार छोटी-बड़ी खुदरा, थोक एवं रेडीमेड की दुकानों पर पिछले एक माह से ताला लटका है. इसके कारण कारोबारियों के समक्ष आर्थिक संकट पैदा हो गया है. लगभग दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का कपड़ा कारोबार प्रभावित हुआ है.
कारोबारियों के अनुसार लगन को लेकर कारोबारियों ने नये डिजाइन और स्टॉक मंगवाये थे. वह आज दुकानों व गोदाम में धूल फांक रहा है. लगन का सीजन इस बार निकल चुका है. सेल नहीं होने के कारण कारोबारियों का करोड़ों रुपया फंस गया है. कपड़ा कारोबार मुख्य रूप से उधारी पर चलता है. लेनदेन का चक्र थम सा गया है. करोड़ों रुपये मंडी में अटके हैं.
पटना कपड़ा थोक मंडी में प्रतिदिन 60-70 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है. सियाराम शोरूम के मालिक मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि कपड़ा उद्योग का कारोबार चक्र पूरी तरह से रोटेशन पर आधारित है. इसमें कहीं से भी एक पहिया अटका तो पूरे कारोबार चक्र पर असर पड़ता है. स्थानीय कारोबारी बस बाहरी मंडियों के खुलने का इंतजार कर रहे हैं. लगन के कारण काफी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है.
मिली जानकारी के अनुसार कपड़ा कारोबार में लगभग दो लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं. इस वक्त छोटे कपड़ा कारोबारी अपने कर्मचारियों को वेतन देने की हालत में भी नहीं हैं. और न ही उधारी भुगतान की स्थिति में है. कई दुकानदारों और शोरूम के मालिकों ने कर्मचारियों की मजबूरन छंटनी कर दी है तो कई कारोबारियों ने तो वेतन कटौती कर दी है.
पटना से ही पूरे राज्य में कपड़ों की सप्लाइ होती है. इस हालत में कपड़ा व्यवसायियों के लिए दुकान का किराया, बिजली- शुल्क, कर्मचारियों के वेतन-भुगतान आदि की समस्या करोना की भयावहता से भी अधिक त्रासद है.
पटना थोक वस्त्र व्यवसायी संघ के सदस्य पुरूषोत्तम कुमार चौधरी ने कहा कि सप्ताह में तीन दिन दुकान खोलने की मिले इजाजत कृषि, निर्माण-कार्य एवं अन्य उद्योगों से संबंधित व्यवसायों को छूट दी गयी है.
कपड़ा व्यवसायियों को भी सप्ताह में कम से कम तीन दिनों के लिए दुकानें खोलने की इजाजत सरकार को देनी चाहिए. इससे सूबे के समस्त कपड़ा व्यवसायियों एवं उनके कर्मचारियों को संभावित भुखमरी व बेरोजगारी से बचाया जा सकेगा.
Posted by Ashish Jha