बिहार में लॉकडाउन के दौरान भी कम नहीं हुई महिलाओं पर हिंसा, रोज तीन से पांच मामले हो रहे दर्ज
कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर लॉकडाउन के बीच महिलाओं पर हिंसा से संबंधित घटनाएं कम नहीं हुई हैं. वर्तमान परिस्थिति में पीड़ित होने के बावजूद वे हेल्पलाइन नहीं पहुंच पा रहीं. ऐसे में फिलहाल पीड़िता वाट्सएप और एसएमएस के जरिये अपना आवेदन दे रही हैं.
जूही स्मिता, पटना . कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर लॉकडाउन के बीच महिलाओं पर हिंसा से संबंधित घटनाएं कम नहीं हुई हैं. वर्तमान परिस्थिति में पीड़ित होने के बावजूद वे हेल्पलाइन नहीं पहुंच पा रहीं. ऐसे में फिलहाल पीड़िता वाट्सएप और एसएमएस के जरिये अपना आवेदन दे रही हैं.
इसके बाद महिला हेल्पलाइन की ओर से फोन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये समस्याओं का समाधान किया जा रहा है. इमरजेंसी मामले में ही होम विजिट किया जा रहा है. मामला अधिक बिगड़ने पर पीड़िता के साथ दूसरे पक्ष को हेल्पलाइन बुलाया जा रहा है. गुरुवार को इमरजेंसी में दो परिवारों की काउंसेलिंग की गयी. जबकि वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये साइबर क्राइम की शिकार हुई युवती की मदद की गयी.
हर तीन तीन से पांच मामले हो रहे रजिस्टर्ड : भले ही पीड़िता हेल्पलाइन नहीं आ रही हैं, लेकिन यहां की प्रोजेक्ट मैनेजर और काउंसेलर्स लगातार पीड़िताओं की काउंसेलिंग कर रहे हैं. हर दिन घरेलू हिंसा से जुड़े तीन से पांच मामले रजिस्टर हो रहे हैं, जबकि नॉन रजिस्टर्ड मामले की संख्या काफी है.
कंसल्टेशन और सलाह के लिए हर दिन 25-30 मामले : प्रोजेक्ट मैनेजर प्रमिला कुमारी ने बताया कि अभी हमारे पास कई ऐसे मामले आ रहे हैं, जिसमें पीड़िता मामला रजिस्टर करना नहीं चाहती हैं. लेकिन घर के माहौल और अपने रिश्ते को बचाने के लिए सलाह और कंसल्टेशन मांग रही हैं. हर दिन ऐसे नॉन रजिस्टर्ड मामलों से जुड़े 25-30 फोन आ रहे हैं.
परिस्थिति को समझते हुए हम उन्हें सलाह दे रहे हैं. साथ ही मामला अगर ज्यादा गंभीर है तो वाट्सएप और एसएमएस के जरिये मामला रजिस्टर करने को भी कह रहे हैं. जबकि हर दिन रजिस्टर्ड मामला तीन-चार आ रहे हैं. लगातार हमारी ओर से दोनों पक्षों की काउंसेलिंग की जा रही हैं. कुछ मामले तुरंत सुलझ जाते हैं, लेकिन कुछ में 3-4 काउंसेलिंग के सेशन के बाद चीजें काफी बेहतर हो जाती है.
Posted by Ashish Jha