ठनके से लोगों को बचायेगा लॉकेट, आइआइटी पटना के विशेषज्ञ तैयार कर रहे हैं बॉडी हिट गैजेट्स
ठनके की घटना पर रोक लगाने के लिए प्राधिकरण आइआइटी पटना के विशेषज्ञों के सहयोग से बॉडी हिट एक लॉकेट तैयार करने में जुटा है, जिसके प्रथम परीक्षण के बाद आइआइटी पटना ने एक लॉकेट का सैंपल बना कर प्राधिकरण को सौंपा है, लेकिन दोबारा से इस उपकरण में बदलाव के लिए विशेषज्ञों को दिया गया है.
पटना. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के जागरूकता अभियान के बाद भी राज्य में वज्रपात से लोगों की मौत हो रही है. इस घटना पर रोक लगाने के लिए प्राधिकरण आइआइटी पटना के विशेषज्ञों के सहयोग से बॉडी हिट एक लॉकेट तैयार करने में जुटा है, जिसके प्रथम परीक्षण के बाद आइआइटी पटना ने एक लॉकेट का सैंपल बना कर प्राधिकरण को सौंपा है, लेकिन दोबारा से इस उपकरण में बदलाव के लिए विशेषज्ञों को दिया गया है, ताकि इसका इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति सहज तरीके से कर सके. प्राधिकरण के मुताबिक देशभर में ठनका से बचाव के लिए इस तरह का पहला प्रयोग आइटीआइ के विशेषज्ञों की सहायता से कराया जा रहा है, ताकि लोगों की जान बच सके.
क्या होगा बॉडी हिट लॉकेट, इस तरह से करेगा काम
प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक बॉडी हिट लॉकेट ऐसा होगा, जिसे लोग गला, हाथ या कमर कहीं पहन सकें और यह बॉडी की गर्मी से चार्ज होता रहे. जैसे ही वज्रपात की आंशका रहेगी, तो इस लॉकेट में थरथराहट भी होगा और लोग समझ जायेंगे कि ठनका गिरने वाला है और लोग सुरक्षित जगह पर चले जायेंगे. आइटीआइ पटना के सहयोग से बनाये गये उपकरण में चार्जिंग सिस्टम था. इस कारण से इस मॉडल को लौटाया गया है. इसके बाद अब पटना आइटीआइ के विशेषज्ञों ने आइटीआइ मंडी के विशेषज्ञों से सहयोग मांगा है, ताकि इस उपकरण को बॉडी की गर्मी से चार्ज हो सके.
लोगों को मुफ्त में मिलेगा उपकरण
प्राधिकरण के मुताबिक इस साल अंत तक इस उपकरण के काम को पूरा कर लिया जायेगा. इसके बाद यह लोगों को मुफ्त में दिया जायेगा. खासकर ग्रामीण इलाकों में वैसे लोगों के बीच इसका वितरण होगा, जो खेतों में काम के लिए हर दिन निकलते हैं.
ठनका से बचाव के लिए चलाया जाता है जागरूकता अभियान
प्राधिकरण ठनका से बचाव के लिए समय-समय जागरूकता अभियान चलाता है. इस अभियान में लाखों का खर्च होता है. वहीं, ठनका से बचाव के लिए 2020 में इंद्रवज्र एप को लांच किया गया, ताकि लोगों को ठनका गिरने की जानकारी समय से पहले मिल सके. अब तक 1.98 लाख से अधिक लोगों ने एप को लोड किया है.जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, आम लोगों को मैसेज भी भेजा जाता है.इसके बावजूद ठनका से लोगों की मौत का आंकड़ा कम नहींहो रहा है.
इन जिलों में सबसे अधिक हो रही है ठनका से मौत
प्राधिकरण के मुताबिक बिहार के सभी जिलों में ठनका गिरने की संभावना रहती है. जमुई, भागलपुर, पूर्णिया, बांका, गया, औरंगाबाद, कटिहार, पटना, नवादा, रोहतास सबसे अधिक ठनका से प्रभावित जिले हैं.सारण,सीवान दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय, भोजपुर, पश्चिम चंपारण जिले ठनका गिरने के मामले में दूसरे नंबर पर हैं. गोपालगंज मधुबनी, कैमूर, जहानाबाद, बक्सर, खगड़िया, मधेपुरा, अरवल, वैशाली, शेखपुरा, सहरसा, लखीसराय, सुपौल, मुजफ्फरपुर तीसरे नंबर हैं.
ठनका से मौत एक नजर में
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साल @मौत
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2016 : 97
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2017 : 142
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2018 : 139
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2019 : 253
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2020 : 459
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2021 : 280
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2022 : 292
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2023 अब तक 67 से अधिक
बादलों के बीच क्यों चमकती है बिजली?
बादलों के बीच अक्सर गरज के साथ बिजली कड़कती देखी जाती है. हालांकि कभी-कभी यह बहुत खतरनाक हो जाती है और जमीन पर गिरने पर जानलेवा हो जाती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर बादलों के बीच यह बिजली बनती कैसे है? यह जहां पर गिरती है, वहा तबाही मचा देती है. बारिश के मौसम में अक्सर आसमानी बिजली गिरने के मामले सामने आते हैं. बादलों की तेज गड़गड़ाहट की आवाज सुनकर हर कोई डर जाता है.
उत्पन्न होती है लाखों वोल्ट की बिजली
साल 1872 में वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रेंकलिन ने पहली बार बादलों के बीच बिजली चमकने की सही वजह बतायी थी. उन्होंने बताया कि बादलों में पानी के छोट-छोटे कण होते हैं, जो वायु की रगड़ की वजह से आवेशित हो जाते हैं. कुछ बादलों पर पॉजिटिव चार्ज हो जाता है, तो कुछ पर निगेटिव चार्ज. आसमान में जब दोनों तरह के चार्ज वाले बादल एक दूसरे से टकराते हैं तो लाखों वोल्ट की बिजली उत्पन्न होती है. कभी-कभी इस तरह उत्पन्न होने वाली बिजली इतनी अधिक होती है कि धरती तक पहुंच जाती है. इस घटना को बिजली गिरना कहा जाता है.
क्यों गरजते हैं बादल?
जब आसमान में इस तरह बिजली पैदा होती है, तो बादलों के बीच जो जगह रहती है, वहां पर बिजली की धारा बहने लगती है। इससे बड़े पैमाने पर चमक उत्पन्न होती है जिसकी वजह से आसमान में बादलों की बीच चमक नजर आती है. बिजली की धारा बहने की वजह से बहुत अधिक मात्रा में गर्मी पैदा होती है जिससे वायु फैलती है और इससे करोड़ों कणों की आपस में टक्कर होती है. इससे बादलों के बीच गड़गड़ाहट पैदा होती है, जिसकी आवाज धरती पर सुनाई देती है.