एसटी वर्ग से बाहर हुई बिहार में लोहार जाति, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार ने जारी की अधिसूचना
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने लोहार जाति को दी गयी अनुसूचित जनजाति की सुविधाओं को खत्म कर दिया है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के संदर्भ में सामान्य प्रशासन विभाग ने बुधवार को आदेश जारी कर दिया है.
पटना. बिहार में लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति यानी एसटी की सुविधाएं नहीं मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने लोहार जाति को दी गयी अनुसूचित जनजाति की सुविधाओं को खत्म कर दिया है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश (डब्ल्यू पीसीसी संख्या 1052:2021 सुनील कुमार राय एवं अन्य बनाम राज्य सरकार एवं अन्य) के संदर्भ में सामान्य प्रशासन विभाग ने बुधवार को आदेश जारी कर दिया है.
तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गयायह तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गया है. इस संबंध में सभी विभागों के साथ प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी, सभी आयोग और अन्य कार्यालयों को लेटर लिखा है. लोहार जाति को साल 2016 में अत्यंत पिछड़े वर्गों की सूची से हटाकर अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा दिया गया था. लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र जारी करने के साथ अन्य सुविधाएं भी देने के आदेश दिये गए थे.
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था. 21 फरवरी 2022 को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के साल 2016 के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति की तरह सुविधाएं दी गई थी. इसी आदेश के आलोक में यह निर्णय लिया गया है. अब पहले की तरह ही लोहार जाति को राज्य में अत्यंत पिछड़े वर्गों को मिलने वाली आरक्षण समेत दूसरी सभी सुविधाएं मिलेंगी.
अत्यंत पिछड़े वर्गों की सूची (एनेक्चर-1) में शामिल रहेंगेलोहार जाति के लोग पहले की तरह अत्यंत पिछड़े वर्गों की सूची (एनेक्चर-1) में शामिल रहेंगे. उन्हें इस समूह में शामिल अन्य जातियों की तरह सरकारी सेवाओं में आरक्षण एवं अन्य सुविधाएं मिलेंगी. सरकार के आदेश के बाद लोहार जाति के लोगों को पहले से जारी अनुसूचित जनजाति के प्रमाण-पत्र मान्य नहीं होंगे. उन्हें नए सिरे से एनेक्चर-1 का जाति प्रमाण-पत्र बनाना होगा.
कब मिला था अनुसूचित जनजाति का दर्जाराज्य सरकार ने लोहार को आठ अगस्त, 2016 को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया था. इससे पहले लोहार जाति एनेक्चर-1 की सूची में शामिल थी. इस सूची के 115वें नंबर पर इस जाति का उल्लेख था. सूची में परिवर्तन के लिए जारी आदेश का 23 अगस्त, 2016 को गजट में प्रकाशन किया गया था. सर्वोच्च न्यायालय ने इस गजट को ही रद्द कर दिया.
कई जगह फसेंगे पेंचसामान्य प्रशासन विभाग ने संबंधित विभागों को कहा है कि वे पहले से जारी प्रमाण-पत्र एवं उस आधार पर दी गयी सुविधाएं निरस्त कर दें. सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश नियोजन से जुड़ी संस्थाओं को भी दिया गया है. हालांकि, आदेश में यह स्पष्ट नहीं है कि बीते पांच-छह वर्षों में अनुसूचित जनजाति श्रेणी में आरक्षण के माध्यम से बहाल हुए इस जाति के सरकारी सेवकों का क्या होगा.