कैलाशपति मिश्र, पटना
Lok Sabha Election2024 साल 1952 में हुए आम चुनाव में बिहार में 198 उम्मीदवारों ने शिरकत की थी, जबकि 2019 में यह संख्या बढ़कर 902 हो चुकी थी. यानी पिछले 67 साल में राज्य में लोकसभा चुनाव लड़ने वालों की संख्या में साढ़े चार गुना की बढ़ोतरी हुई है. अगर बात पूरी देश की करें, तो साल 1952 में हुए आम चुनाव में 1874 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे, जबकि 2019 में ये संख्या बढ़कर 8039 हो चुकी थी. इस तरह यहां भी उम्मीदवारों की संख्या में चार गुना की बढ़ोतरी हुई है. विश्लेषण के अनुसार, इन 67 सालों के दौरान हर लोकसभा सीट पर लड़ने वाले उम्मीदवारों की औसत संख्या भी 3.83 से बढ़कर 14.8 हो चुकी है. यह विश्लेषण भारतीय निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के आधार पर किया गया है.
वर्ष 1996 का रिकॉर्ड नहीं टूटा
बिहार में 1996 में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या का रिकॉर्ड आज तक नहीं टूटा हैं. 11वीं लोकसभा में बिहार में कुल 1448 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे. उसके बाद से इस संख्या में कमी दिखाई देने लगी. राष्ट्रीय स्तर पर इस चुनाव में उम्मीदवारों की संख्या 10000 के पार पहुंच गयी थी. वर्ष 1996 में पूरे देश के 543 लोकसभा सीटों पर 13952 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. इसके कारण उम्मीदवार और सीट का औसत बढ़कर सीधे 25.69 हो गया था.
जमानत राशि बढ़ते ही घट गये उम्मीदवार
साल 1998 में चुनाव आयोग ने महज गंभीर उम्मीदवारों को ही चुनाव में मौका देने के लिए नियमों में बदलाव किया. इस बदलाव के तहत चुनाव लड़ने के लिए जमा होने वाली जमानत धनराशि 500 रुपये से बढ़ाकर 10000 रुपये कर दी गयी. इसके चलते महज लोकप्रियता के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या में कमी आनी शुरु हो गयी. साल 1998 के लोकसभा चुनावों में बिहार में उम्मीदवारों की संख्या घटकर 469 रह गयी. राष्ट्रीय स्तर पर भी औसत पिछले चुनाव के 25.69 के मुकाबले घटकर सीधे 8.75 पर आ गया, जबकि चुनाव लड़ने वालों की संख्या भी 5000 से नीचे रह गयी. बिहार में 1996 में उम्मीदवरों की संख्या 1448 थी. वहीं 1998 के चुनाव में यह संख्या घटकर 469 रह गयी.
बिहार बंटवारें के बाद सीटों की घट गई सीटें..
बिहार में साल 2004 में चुनाव लड़ने वालों की संख्या फिर से बढ़नी शुरू हो गयी. यह चुनाव 2000 में बिहार के बंटवारे के बाद पहला चुनाव था. बिहार में लोकसभा सीटों की संख्या कम होकर 40 रह गयी. 2004 में 14वीं लोकसभा चुनाव में 462, 2009 में 708, 2014 में 607 और 2019 में 902 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. यानी उम्मीदवारों की संख्या बढ़ने का ट्रेंड शुरु हो गया. 2004 में देश में 5435 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिससे उम्मीदवार और सीट का औसत फिर से बढ़कर 10 के पार पहुंच गया. वहीं, 2009 में उम्मीदवारों की संख्या 8000 के पर पहुंच गया. साल 2014 में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या 8251 रही थी, जबकि 2019 में यह संख्या मामूली कमी के साथ 8039 रही.
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