बिहार में लोकसभा चुनाव के अंतिम दो चरणों की 16 सीटों पर दोनों गठबंधनों में बड़ी जंग, अभी NDA के कब्जे में हैं सभी सीटें
लोकसभा चुनाव के आखिरी दो चरण में 16 सीटों पर मतदान होगा. ये सभी सीटों पर फिलहाल एनडीए का कब्जा है. जानिए क्या है इन सीटों पर स्थिति
मिथिलेश, पटना.
Lok Sabha Election : बिहार में लोकसभा के छठे और सातवें चरण के चुनाव में बड़ी जीत के लिए बड़ी जंग होगी. राज्य की चालीस लोकसभा सीटों में से 16 सीटों के लिए अंतिम दो चरणों में वाेट डाले जायेंगे. इनमें 25 जून को आठ और बाकी की आठ सीटों के लिए एक जून को मतदान होगा. दोनों चरणों की सभी सीटें फिलहाल एनडीए की झोली में हैं. एनडीए ने पिछली बार की एक सीट की कमी पूरी कर राज्य की सभी चालीस सीटें जीतने का दावा किया है.
वहीं, इस बार महागठबंधन ने भी अधिक से अधिक सीट जीतने के लिए पूरा जोर लगाया है. दोनों चरणों की सात सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी हैं, जबकि आठ सीटों पर जदयू ने उम्मीदवार उतारे हैं. एक सीट काराकाट में राष्ट्रीय लोक मोरचा के उपेंद्र कुशवाहा की प्रतिष्ठा दाव पर है. यह वही काराकाट की सीट है, जहां पर भोजपुरी गायक और अभिनेता पवन सिंह निर्दलीय लड़ने की घोषणा कर चुके हैं.
पिछले चुनाव में एनडीए चालीस में 39 सीटों पर जीती थी, जबकि एक सीट किशनगंज कांग्रेस के खाते में गयी थी. राजद व वाम दलों का खाता भी नहीं खुल पाया था. इस बार दोनों ही गठबंधनों के सामने अधिक से अधिक मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचाने की चुनौती है. चालीस डिग्री से अधिक तापमान में वोट का प्रतिशत जब तक नहीं बढ़ पायेगा, तब तक बड़ी जीत किसी भी गठबंधन को हासिल नहीं हो पायेगी.
10 बड़ी सीटें
- पटना साहेब : पटना साहेब की सीट पर भाजपा के दिग्गज रविशंकर प्रसाद उम्मीदवार हैं. कांग्रेस ने उनके मुकाबले पटना के लिए नये अंशुल अविजित को उम्मीदवार बनाया है. अंशुल की राजनीतिक पहचान लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार के बेटे के रूप में ही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में रविशंकर प्रसाद को छह लाख से अणिक वोट मिले थे. कांग्रेस ने उनके मुकाबले पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा को उम्मीदवार बनाया था. श्री सिन्हा को तीन लाख 22 हजार से अधिक वोट प्राप्त हुए थे. भाजपा को यहां करीब पौने तीन लाख मतों से जीत मिली थी.भाजपा यहां जीत का अंतर बढ़ाने के लिए, तो कांग्रेस अपनी उपस्थिति जताने की लड़ाई लड़ रही है.
- आरा : आरा लोकसभा की सीट पर एनडीए में भाजपा ने केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को उम्मीदवार बनाया है. उनके मुकाबले महागठबंधन ने भाकपा माले के विधायक सुदामा प्रसाद को मैदान में उतारा है. भोजपुर के इलाके में भाकपा माले का प्रभाव रहा है. पिछली बार 2019 में भाजपा के आरके सिंह के मुकाबले में खड़े भाकपा माले के उम्मीदवार राजू यादव को चार लाख 19 हजार वोट मिले थे. वहीं, पांच लाख 66 हजार से अधिक वोट पाकर आरके सिंह ने दूसरी बार जीत हासिल की थी. भाजपा इस बार जीत का अंतर बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ रही है, तो भाकपा माले के सामने जीतने की चुनौती है.
- काराकाट : काराकाट की सीट एनडीए के लिए महत्वपूर्ण है. पिछली बार भी एनडीए को इस सीट पर जीत मिली थी. इस बार थोड़ा समीकरण बदला है. एनडीए में यह सीट जदयू से निकल कर उपेंद्र कुशवाहा को मिल गयी है. उपेंद्र कुशवाहा इस बार एनडीए के साथ हैं. उनके मुकाबले भाकपा माले ने पूर्व विधायक राजा राम सिंह को उम्मीदवार बनाया है. दूसरी ओर आसनसोल से पहले भाजपा के उम्मीदवार घोषित और कुछ ही घंटे बाद चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा करने वाले भोजपुरी गायक पवन सिंह ने यहां बतौर निर्दलीय उम्मीदवारी की घोषणा कर एनडीए की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
- नालंदा : नालंदा की सीट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा से जुड़ी है. पिछले कई चुनावों में नालंदा से जदयू के उम्मीदवार ही जीतते आये हैं. खुद नीतीश कुमार भी 2004 के चुनाव में यहां से जीत हासिल कर चुके हैं. इस बार जदयू ने कौशलेंद्र कुमार को ही उम्मीदवार बनाया है. उनके मुकाबले महागठबंधन से भाकपा माले के विधायक संदीप सौरव प्रत्याशी बनाये गये हैं. नालंदा में 2019 में एनडीए को पांच लाख 40 हजार से अधिक वोट मिले थे. वहीं उनके मुकाबले हम के अशोक कुमार आजाद को दो लाख 88 हजार वोट मिले थे.
- जहानाबाद : जहानाबाद सीट पर देश की निगाहें टिकी हैं. 2019 के चुनाव में यहां एनडीए से जदयू के चंदेश्वर प्रसाइ चंद्रवंशी महज 17 सौ से कुछ अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल कर पाये थे. दूसरे नंबर पर रहे राजद को इस बार उम्मीद है कि वह अपने हार का बदला ले लेगी. यहां तीसरा कोण पूर्व सांसद डा अरुण कुमार बना रहे हैं. यहां एनडीए को अपनी सीट बचाने की चुनौती है तो राजद के लिए सीट छीनने की.
- शिवहर : शिवहर की सीट पर इस बार एनडीए ने नया प्रयोग किया है. भाजपा की सांसद रमा देवी की जगह जदयू से पूर्व सांसद लवली आनंद को उम्मीदवार बनाया गया है. लवली आनंद के मुकाबले महागठबंधन ने राजद की रितु जायसवाल को मैदान में उतारा है. रमा देवी को उम्मीदवार नहीं बनाये जाने से वैश्य वर्ग की नाराजगी देखी जा रही है. इस सीट पर एनडीए खास कर जदयू की प्रतिष्ठा दाव पर है.
- पूर्वी चंपारण : पूर्वी चंपारण की सीट पर भाजपा से एनडीए के राधामोहन सिंह उम्मीदवार हैं. वे 2009 के नये परिसीमन में बने इस सीट से लगातार सांसद होते आये हैं. इस बार उनका मुकाबला महागठबंधन में वीआइपी के राजेश कुशवाहा से होने जा रहा है. राधामोहन सिंह के जीत का अंतर हर चुनाव में बढ़ जाता है. पिछली बार की तरह इस बार भी उनका मुकाबला नये उम्मीदवार से होगा.
- सीवान : देश दुनिया में चर्चित सीवान लोकसभा क्षेत्र इस बार सुर्खियों में है. राजद के प्रस्ताव को ठुकरा कर पूर्व सांसद स्व मो शहाबुद्दीन की पत्नी हेना शाहाब सीवान लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं. उनके मुकाबले एनडीए ने पिछली दफा की उम्मीदवार मौजूदा सांसद कविता सिंह को बदल कर नयी उम्मीदवार राजलक्ष्मी कुशवाहा को मैदान में उतारा है. वहीं, महागठबंधन ने राजद के वरिष्ठ नेता अवध बिहारी चौधरी पर दांव लगाया है.
- पाटलिपुत्र : पाटलिपुत्र की सीट पर महागठबंधन ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की बेटी सांसद मीसा भारती को तीसरी बार प्रत्याशी बनाया है. राज्यसभा की सदस्य मीसा भारती का मुकाबला भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री और मौजूदा सांसद रामकृपाल यादव से हो रहा है. रामकृपाल यादव पाटलिपुत्र से हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में उतरेंगे. वहीं मीसा भारती अपनी जीत हासिल करने के लिए चुनाव लड़ रही हैं.
- बक्सर : बक्सर लोकसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे का टिकट काट कर अपेक्षाकृत युवा पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया है. श्री चौबे ने यहां से दो बार जीत चुके हैं. उन्होंने दोनों बार राजद के जगदानंद सिंह को पराजित किया है. इस बार भाजपा के मिथिलेश तिवारी का मुकाबला राजद के विधायक सुधाकर सिंह से हो रहा है. सुधाकर सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र हैं.
छठे चरण की सीटें
- वाल्मीकीनगर
- पश्चिम चंपारण
- पूर्वी चंपारण
- शिवहर
- वैशाली
- गोपालगंज
- सीवान
- महाराजगंज
सातवें चरण की सीटें
- नालंदा
- पटना साहेब
- पाटलिपुत्र
- आरा
- बक्सर
- सासाराम
- काराकाट
- जहानाबाद
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