Lok Sabha Election 2024: बिहार में राजद के आधा दर्जन सीटों पर लग सकता है ग्रहण..
Lok Sabha Election 2024 इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों को लेकर होमवर्क जारी है. ऐसे में सीटों के बंटवारे में राजद को पिछली दफा की तुलना में कुछ सीटें छोड़नी पड़ सकती हैं.
लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का एक प्रमुख घटक राजद को इस बार पिछली दफा 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में कम- से- कम आधा दर्जन सीटों पर दावा छोड़ना पड़ सकता है. पिछली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद ने राज्य की 40 सीटों में से 19 पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में राजद इंडिया गठबंधन का प्रमुख घटक दल है. इसमें जदयू भी एक बड़ा हिस्सेदार है.जदयू के पास लोकसभा की 16 सीटें हैं.
वहीं, गठबंधन में दलों की संख्या भी बदली है. मधेपुरा,वैशाली,बांका, शिवहर, सारण, बेगूसराय, पाटलिपुत्र और बक्सर की सीटों पर पार्टी के भीतर मंथन का दौर जारी है. हालांकि,सीटों के बंटवारे पर आधिकारिक तौर पर किसी भी दल से कोई बयान नहीं आया है, पर सूत्र बताते हैं कि अंदरखाने में इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों को लेकर होमवर्क जारी है. ऐसे में सीटों के बंटवारे में राजद को पिछली दफा की तुलना में कुछ सीटें छोड़नी पड़ सकती हैं. कुछ सीटों की अदला -बदली और कुछ पर उम्मीदवार बदले जाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा रहा.
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राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने बिहार की सभी 40 सीटों पर इंडिया गठबंधन की जीत का दावा किया है. ऐसे में बंटवारे में जो भी सीटें राजद की झोली में आयेगी,उस पर पार्टी जीतने वाले उम्मीदवार को उतारने की तैयारी कर रही है. जानकारों की मानें, तो भाजपा को टक्कर देने को कुछ वरिष्ठ नेताओं को भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है. वैशाली जैसी सीट इस बार राजद के लिए खाली मानी जा रही है. पिछली बार इस सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह को उम्मीदवार बनाया गया था.तीन लाख 32 हजार से अधिक वोट पाकर भी राजद इस सीट से चुनाव जीत नहीं पाया. बाद के दिनों में रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन हो गया.
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ऐसे में इस सीट पर पार्टी किसी कद्दावर नेता की तलाश कर रही है. झंझारपुर की सीट पर 2019 में राजद ने गुलाब यादव को अपना प्रत्याशी बनाया था. गुलाब यादव को 2.79 लाख से अधिक वोट मिले,लेकिन उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी जदयू के रामप्रीत मंडल को छह लाख से अधिक वोट मिले. इस बार दोनों दल एक ही साथ हैं.इस कारण भी पार्टी को झंझारपुर की सीट से हाथ धोना पड़ सकता है. जानकार बताते हैं,सीट मिल भी गयी तो उम्मीदवार बदले जाने की पूरी संभावना है. मधेपुरा की सीट पर 2019 के चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव उम्मीदवार थे. शरद यादव को करीब सवा तीन लाख वोट मिले थे. उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी जदयू के दिनेश यादव को सवा छह लाख वोट आये थे. शरद यादव अब इस दुनिया में नहीं हैं. इस कारण मधेपुरा की सीट को राजद की झोली से बाहर मान कर देखा जा रहा.
2019 मे 19 सीटो पर उतारे थे उम्मीदवार
इसी प्रकार बक्सर की सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को उम्मीदवार बनाया था. सिंह को साढ़े तीन लाख से अधिक वोट मिले थे. इस बार पार्टी के सामने भाजपा की तीसरी दफा जीत से रोकने के लिए दमदार उम्मीदवार की तलाश है. पार्टी की पहली पसंद इस बार भी जगदानंद सिंह हो सकते हैं, मगर बढ़ती उम्र के कारण शायद वो चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हों, तो पार्टी के समक्ष उनके विधायक पुत्र को उम्मीदवार बनाने का विकल्प हो सकता है.
पाटलिपुत्र की सीट पर पिछली दफा लालू-राबड़ी की पुत्री मीसा भारती पार्टी की उम्मीदवार रही थीं. उन्हें भाजपा के रामकृपाल यादव के मुकाबले करीब तीस हजार मत कम आये थे. मीसा भारती को चार लाख 68 हजार के करीब मत आये और रामकृपाल यादव को पांच लाख सेअधिक वोट मिले. मीसा भारती वर्तमान में राज्यसभा की सदस्य हैं. ऐसे में पाटलिपुत्र की सीट पर पार्टी के उम्मीदवार को लेकर संशय बरकरार है.
बांका से राजद के जयप्रकाश यादव चुनाव जीतते रहे हैं. पिछली दफा वे जदयू के गिरधारी यादव से पराजित हो गये थे. इस बार राजद को इस सीट का मोह त्यागना पड़ सकता है.इसी प्रकार सारण की सीट पर पिछली दफा चंद्रिका राय को उम्मीदवार बनाया गया था. इस बार लालू परिवार के किसी सदस्य को उतारे जाने का कयास लग रहा. वहीं , बेगूसराय की सीट पर राजद पिछली दफा त्रिकोणात्मक संघर्ष में घिर गयी थी और उसे तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था. राजद के साथ ही सीपीआइ के कन्हैया भी यहां से उम्मीदवार थे.इस बार कन्हैया कांग्रेस में शामिल हो गये हैं.