मिथिलेश, पटना. लोकसभा चुनाव दस्तक दे रहा है. बिहार की 40 लोकसभा सीटें केंद्र में आने वाली नई सरकार का समीकरण तय कर सकती हैं. केंद्र में तीसरी बार लगातार सरकार बनाने का दावा कर रही भाजपा और बिहार से भाजपा को एक भी सीट जीतने नहीं देने का दावा करने वाले इंडिया गठबंधन के नेताओं के लिए अग्निपरीक्षा की घड़ी आ गयी है. 19 दिसंबर को दिल्ली में ‘इंडिया’ की होने वाली बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के खिलाफ वन टू वन उम्मीदवार उतारे जाने का फैसला लेने की वकालत की है. दूसरी ओर भाजपा का दावा है कि पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे और उनके कामकाज के आधार पर राज्य में भी सभी सीटों पर जीत हासिल करेगी.
बिहार में इस बार बदला हुआ है राजनीतिक समीकरण
लोकसभा का चुनाव सिर पर है. राज्य की राजनीति में पिछली दफा से इस बार समीकरण बदली हुई है. जदयू एनडीए से बाहर होकर इंडिया गठबंधन का प्रमुख घटक दल बन चुका है. दोराहे पर खड़ी प्रदेश की राजनीति में एक ओर छह दलो वाला इंडिया गठबंधन है. इसमें जदयू, राजद, कांगरेस, भाकपा माले, माकपा और भाकपा मिल कर संयुक्त रूप से भाजपा के खिलाफ चुनावी रणनीति तैयार कर रही है. दूसरी ओर एनडीए है, जिसमें भाजपा, लोजपा के दोनों गुट, हम और उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी है. अभी तक दोनों ही गठबंधनों में सीटो का बंटवारा अंतिम रूप से नहीं हो पाया है.
सीटों को लेकर रस्साकशी जारी
जानकार बताते है कि सभी दल अपने-अपने होमवर्क को अंतिम रूप देने में जुटे है. दलो के बीच सीटों को लेकर रस्साकशी जारी है. जदयू के मौजूदा लोकसभा में सोलह सांसद है. वह किसी भी सूरत में अपने किसी सांसद या सीट को गंवाना पसंद नहीं करेगा. जदयू को सोलह सीटे मिली तो माना जा रहा है कि राजद को भी इससे कम सीटे मंजूर नहीं होगी. दोनों ही दलो को उनके मुताबिक सीटे बांटी गयी, तो बाकी की आठ सीटो पर कांग्रेस और तीन वाम दलो के बीच बंटवारा होगा. हालांकि भाकपा माले अभी भी नौ सीटो पर, माकपा चार और भाकपा नौ सीटो पर अपना दावा कर रही है.
तीस से 32 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा कर सकती है भाजपा
दूसरी ओर भाजपा के सामने अपने तीनो सहयोगी दल लोजपा के दोनो धड़ो के साथ ही उनपेन्द्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की पार्टी के साथ सीट बंटवारे की चुनौती है. भाजपा ने 2019 के आम चुनाव में राज्य की 17 सीटें जीती थी. पार्टी सूत्रों की माने तो भाजपा कम से कम तीस से 32 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है.
क्या होंगे चुनाव मुद्दे
इंडिया गठबंधन : चुनावी रणनीतिकार बताते है कि इस बार के चुनाव में इंडिया गठबंधन के लिए बिहार में जाति गणना और इस आधार पर सरकारी नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का दायरा बढ़ाने का फैसला मास्टर स्ट्रोक होगा. जदयू समेत सरकार के सभी घटक दल इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाने की तैयारी में है. इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज, बड़ी संख्या में शिक्षा व अन्य विभागों में नियुक्तियों को लेकर भी जनता के बीच जाने की कोशिश होगी. इंडिया गठबंधन एक उम्मीदवार, एक चुनावी घोषणा पत्र और साझा चुनाव प्रचार की योजना पर चलने की तैयारी में है.
Also Read: ‘क्या है नरेंद्र मोदी, सब मिलकर हटाएंगे..’ लालू यादव के बयान पर भाजपा हमलावर, सम्राट चौधरी ने किया पलटवारएनडीए गठबंधन : दूसरी ओर एनडीए के भाजपा समेत सारे घटक दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव मैदान में उतरेंगे. जाति गणना को लेकर भाजपा की सहमति लेकिन आंकड़ों में गड़बड़ी के आरोप को लेकर भाजपा व एनडीए के नेता मतदाताओं के बीच जाने की तैयारी में है. भाजपा का फोकस इस बार अति पिछड़ी जातियों पर अधिक होगा. इसके अलावा अयोध्या का राम मंदिर और कांग्रेसी सांसद धीरज साहू के आवास से मिले करोड़ों के नोट को आधार बना कर कांग्रेस समेत अन्य दलो पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप भी भाजपा के एजेंडे में होगा.
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