बिहार की 40 लोकसभा सीटें आगामी चुनाव में केंद्र की नई सरकार का समीकरण तय कर सकती हैं. इस बार राज्य की राजनीति में समीकरण पिछली बार से बदले हुए हैं. जेडीयू, राजद, कांग्रेस, सीपीआई (एमएल), सीपीआई (एम) और सीपीआई मिलकर बीजेपी के खिलाफ चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं. दूसरी तरफ एनडीए है, जिसमें बीजेपी, एलजेपी के दोनों गुट, जीतनराम मांझी की हम और उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी शामिल हैं. ये सभी पार्टियां लोकसभा चुनाव को लेकर राज्य में सियासी बिसात बिछाने में जुटी हुई हैं.
तिरहुत: पांच सीटो पर दिखेगी कांटे की टक्कर
तिरहुत इलाके की पांच लोकसभा सीटों पर कब्जे के लिए ‘इंडिया’ और एनडीए के बीच कांटे की टक्कर होने वाली है. अभी हाजीपुर, वैशाली, मुजफ्फरपुर और शिवहर में बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए का कब्जा है. सीतामढ़ी की सीट पर जदयू की जीत हुई थी. इस बार सीतामढ़ी के सांसद सुनील कुमार पिंटू के तेवर बदले-बदले से नजर आ रहे है. जबकि हाजीपुर की सीट पर रामविलास पासवान की गैर मौजूदगी में उनके पुत्र चिराग पासवान और भाई पशुपति कुमार पारस के बीच जोरदार टसल है. 2019 के चुनाव में वैशाली की सीट पर लोजपा की वीणा देवी चुनाव जीतने में सफल रही थी. हाल के दिनों में वे चिराग पासवान की लोजपा रामविलास के करीब आयी है. वही, मुजफ्फरपुर और शिवहर की सीट भाजपा की झोली मे है. इस बार सभी सीटो पर कांटे की टक्कर के आसार है.
मिथिलांचल : बदले समीकरण में सीट बचाने की चुनौती
मिथिलांचल की मधुबनी, दरभंगा, झंझारपुर, समस्तीपुर, उजियारपुर और सुपौल की छह लोकसभा सीटो पर चुनावी खलबली शुरू हो गयी है. भाजपा हो या जदयू या फिर राजद व कांग्रेस, सबने चौक-चौराहे से लेकर खेत-खलिहानो तक अपने कार्यकर्ताओं को दौड़ने का निर्देश दिया है. सीटों के तालमेल को लेकर सुगबुगाहट तेज है. 2019 में इनमें से सभी सीटों पर एनडीए का कब्जा रहा था. जिनमे झंझारपुर और सुपौल में जदयू तो समस्तीपुर मे लोजपा के उम्मीदवार चुनाव जीते थे. बाकी की तीन सीट मधुबनी, दरभंगा और उजियारपुर पर भाजपा का कब्जा हुआ. इस बार भाजपा को मधुबनी, दरभंगा और उजियारपुर में अपनी सीटें बचाने की चुनौती होगी, वही झंझारपुर और सुपौल मे जदयू को टक्कर देने लायक प्रत्याशी भी तलाशने होंगे.
पटना/मगध : जदयू का साथ मिलने से राजद को उम्मीद
पटना और मगध प्रमंडल की सात लोकसभा सीट पटना साहेब, पाटलिपुत्र, नालंदा, गया, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद की कई सीटों पर पिछली दफा राजद कम वोटों के अंतर से चुनाव जीतने से रह गया था. इनमें से पटना साहेब, पाटलिपुत्र और औरंगाबाद मे भाजपा को जीत मिली थी. वही नालंदा, गया और जहानाबाद में जदयू के सांसद हुए. नवादा में लोजपा के चंदन सिंह को जीत मिली. पटना साहेब से भाजपा के हाइ प्रोफाइल नेता रविशंकर पसाद की प्रतिष्ठा जुड़ी है. वहीं, पाटलिपुत्र की सीट पर एक बार फिर भाजपा के रामकृपाल यादव और राजद की मीसा भारती के बीच मुकाबले के आसार दिख रहे है. नालंदा की सीट पर भाजपा की ओर से दमदार उम्मीदवार उतारे जाने की तैयारी है. गया की सीट पर जीतन राम मांझी की पार्टी की नजर है.
सारण प्रमंडल की सीटों पर कई का दावा
सारण प्रमंडल के छपरा, महाराजगंज लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है. जबकि, गोपालगंज और सीवान की सीट जदयू की झोली में है. इस बार मौजूदा सांसदो की वापसी और पीएम नरेंद्र मोदी के चुनावी वादों को लेकर खेत खलिहानों में बहस छिड चुकी है. सीवान मे जदयू के सांसद होने के बावजूद इंडिया गठबंधन के दो मजबूत घटक दल राजद और भाकपा माले की भी इस सीट पर नजर है. वहीं सारण और महाराजगंज मे भाजपा को टक्कर देने के लिए नए दमखम वाले उम्मीदवार इंडिया गठबंधन की ओर से उतारे जाने की तैयारी है. अब तक किसी भी दल ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है और ना ही किसी दल के समझौते की तस्वीर साफ हुई है. इंडिया गठबंधन को भरोसा है कि सीटों का बंटवारा कोई मसला नहीं होगा. जबकि, भाजपा अपनी सीटे बचाये रखने को रणनीति बना रही है.
कोसी इलाके से ‘इंडिया’ को बड़ी उम्मीद
कोसी इलाके की मधेपुरा, कटिहार, खगड़िया, पूर्णिया, किशनगंज और अररिया में एक मात्र अररिया लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है. बाकी की पांच में चार पर जदयू और किशनगंज में कांग्रेस के सांसद है. इस बार भी चुनावी राह किसी भी दल के लिए आसान नहीं दिख रही. अलग हुए जदयू के तीखे तेवर से जहां भाजपा बचाव की मुद्रा में है. वहीं, जदयू के साथ आने का लाभ राजद समेत इंडिया गठबंधन को मिलने की पूरी संभावना है. मधेपुरा लोकसभा सीट पर 2019 के चुनाव में राजद और जदयू आमने- सामने रहा था. इस बार दोनों दल साथ है और शरद यादव इस दुनिया में नहीं है. भाजपा के लिए अपनी सीटें बचाने के अलावा बाकी की सीटें इंडिया गठबंधन से छीनना आसान नहीं होगा. इतनी चुनौतियों के बावजूद भाजपा का अपने संगठन और पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरा का लाभ मिलने का दावा है.
चंपारण में गोलबंदी हुई तेज
लोकसभा के चुनाव में चंपारण की तीनों सीट पूर्व चंपारण, पश्चमी चंपारण और वाल्मीकिनगर पर इस बार किसका परचम लहरायेगा, इसकी चर्च चौक चौराहे पर शुरू हो गयी है. वाल्मिकीनगर में जहां जदयू के सुनील कुमार सांसद है. वहीं पूर्व चंपारण और पश्चमी चंपारण पर भाजपा का कब्जा है. पश्चमी चंपारण से डॉ संजय जायसवाल और पूर्व चंपारण से पूर्व केद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह सांसद है. इन तीनों क्षेत्रों में इंडिया गठबंधन ने अपनी चुनावी तैयारी अभी से शुरू कर दी है. भाजपा भी अपनी इन सीटों को हर हाल में कब्जा पाने की तैयारी में है. इसके लिए दोनों ओर से सामाजिक गोलबंदी की कोशिशें जारी है. जदयू के साथ होने से जहां इंडिया की ताकत में इजाफा हुआ है. वहीं अपनी ताकत बढ़ाने के लिए भाजपा अति पिछड़ी जातियां और सवर्ण मतदाताओं के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रही है.
Also Read: लोकसभा चुनाव 2024: देश के जनादेश के लिए बिहार में बिछी सियासी बिसात, जानें क्या होंगे चुनावी मुद्दे
शाहाबाद : इस बार मुकाबला होगा तगड़ा
शाहाबाद के चार लोकसभा क्षेत्र आरा, बक्सर, सासाराम और काराकाट के चौपालों पर लोकसभा को लेकर चुनावी बहस छिड़ने लगी है. इन चारों सीटो में तीन पर भाजपा का कब्जा है. वही, काराकाट की सीट भाजपा की सहयोगी रालोसपा की झोली में है. इस बार जहां रालोसपा के एनडीए में बने रहने को लेकर कयास लगाये जा रहे है, वही भाजपा और जदयू के बीच असहज होती स्थिति आम लोगों में चर्चा का विषय बन चुकी है. आम तौर पर शाहाबाद की पहचान लड़ाकू मतदाताओं के इलाके की है. पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम से लेकर राम सुभग सिंह और सूर्यदेव सिंह जैसे दमदार उम्मीदवार इस इलाके से अपना भाग्य आजमाते आये है. शाहाबाद मे 2014 में नरेंद्र मोदी के नाम की लहर सिर चढ़ कर बोली थी, यही कारण है कि बाहरी होने के बावजूद आरा में आरके सिंह, काराकाट में उपेन्द्र कुशवाहा और बक्सर में अश्वनी कुमार चौबे को चुनाव में जीत हासिल हुई. इस बार मुकाबला तगड़ा है. राजद और कांग्रेस की संभावित गठजोड़ की ताकत को नकारना एनडीए के लिए आसान नहीं होगा.
Also Read: LokSabha Election 2024: विपक्ष के महाजुटान का 18 जुलाई को जवाब देगा NDA, जानिए किसमें कितना है दम…
इन सीटों पर नए चेहरे उतार सकती है भाजपा
लोकसभा चुनाव को लेकर भागलपुर, बांका, मुंगेर, जमुई और बेगूसराय के इलाकों में राजनीतिक तापमान चढ़ने लगा है. मुंगेर, भागलपुर और बांका की सीट पर जदयू का कब्जा है. इनमें भागलपुर और बांका में पिछले चुनाव में जदयू और राजद आमने-सामने रहा था. जमुई की सीट लोजपा की झोली में है. वही, एक मात्र बेगूसराय में भाजपा के सांसद है. बेगूसराय में राजद और सीपीआइ के बीच की जिद ने भाजपा को भारी जीत दिलायी थी. इस बार कन्हैया कुमार सीपीआइ छोड़ कांग्रेस में शामिल हो चुके है. इस बार जदयू के सांसदों को दोबारा चुनावी मैदान में उतारा जाना तय माना जा रहा है. वहीं, भागलपुर, बांका और मुंगेर पर भाजपा के उम्मीदवार चौंकाने वाले हो सकते है.