Lok Sabha Election 2024 : महागठबंधन में सीटों को लेकर खींचतान जारी है. गठबंधन में सीट बंटवारे का कोई औपचारिक फॉर्मूला अभी तय नहीं हुआ है. घटक दलों की सबसे बड़ी नाराजगी राजद द्वारा अधिक से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने से देखी जा रही है. सीपीआई (एमएल) ने सीट बंटवारे पर नाराजगी जताई है. पार्टी सीवान और कटिहार पर अड़ी हुई है.
सीवान सीट पर माले की जिद पर अब सीपीआई ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. सीपीआई का कहना है कि जिन सीटों पर भाकपा माले दावा कर रही है, उन में से अधिकतर सीटों पर सीपीआई का जनाधार मजबूत है. फिर भी उसने भाजपा विरोधी व्यापक विपक्षी एकता के मद्देनजर उन सीटों पर टकराव का रूख नहीं अपनाया है.
Lok Sabha Election 2024 : महागठबंधन में राजद के बाद सबसे अधिक जनाधार होने का दावा
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के राज्य सचिव रामनरेश पांडे ने दावा किया कि राजद के बाद, महागठबंधन में सबसे अधिक जनाधार वाली पार्टी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी है. ऐसे में छह बार जीत चुकी मधुबनी और मजबूत संगठन वाली बांका लोकसभा सीट के साथ-साथ सीपीआई को बेगूसराय क्यों नहीं मिलना चाहिए? सीपीआई की स्पष्ट समझ है कि महागठबंधन के घटक दलों को किसी भी तरह के अनर्गल दावों से बचते हुए पूरी एकजुटता के साथ लोकसभा चुनाव में उतरना चाहिए और किसी भी तरह के टकराव या दोस्ताना संघर्ष से बचना चाहिए.
छह बार मधुबनी से Lok Sabha Election जीत चुकी है सीपीआई
रामनरेश पांडे ने कहा कि सीपीआई छह बार मधुबनी से जीत चुकी है. इसी प्रकार तीन बार नालंदा में विजय प्राप्त हुई. जहानाबाद में सीपीआई सात बार जीत चुकी है. वासुदेव यादव बांका लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे और मामूली वोट से मधु लिमये से हार गये थे. संजय कुमार ने 2014 में बांका लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ा था और कुछ हजार वोटों से हार गए थे.
माकपा को मिली खगड़िया सीट
रामनरेश पांडे ने कहा कि महागठबंधन में खगड़िया सीट माकपा के लिए छोड़ दी गई है. खगड़िया में सीपीआई का जनाधार मजबूत है. इसके बावजूद व्यापक एकता की जरूरत को देखते हुए सीपीआई को कोई आपत्ति नहीं है. सीवान लोकसभा सीट से सीपीआई के इंद्रदीप सिन्हा लड़ते थे और कुछ सौ वोट से ही हार गए थे.
काराकाट सीट पर भी सीपीआई का मजबूत जनाधार
रामनरेश पांडे ने कहा कि काराकाट लोकसभा सीट पर भी सीपीआई का मजबूत जनाधार है. काराकाट लोकसभा सीट में आने वाली गोह विधानसभा सीट पर सीपीआई ने पांच बार जीत हासिल की थी. फिर भी भाकपा ने अपनी दावेदारी सीमित रखते हुए महागठबंधन के लिए एक बेहतर माहौल बनाने की पेशकश की है.
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