बिहार में अब तक कैसा रहा बाहरी उम्मीदवारों का प्रदर्शन, नवादा में 14 तो दरभंगा में 9 चुने गए

लोकसभा चुनाव में इस बाहरी बनाम स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा इस बार जोर पकड़ रहा है. तो आइए जानते हैं कि नवादा और दरभंगा में बाहरी प्रत्याशियों का प्रदर्शन कैसा रहा है.

By Anand Shekhar | April 16, 2024 8:16 PM
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कैलाशपति मिश्र,पटना

Loksabha Election: देश में 18वीं लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पारा परवान पर है. पहले चरण के चुनाव में अब कुछ ही दिन शेष रह गये हैं. इस बीच कई लोकसभा सीट पर स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा भी जोर पकड़ रहा है. राज्य के चालीस में दो लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां से चुनाव जीतने वालों में स्थानीय उम्मीदवारों की तुलना में बाहरी उम्मीदवार अधिक रहे. इनमें पहला स्थान नवादा का है और दूसरे स्थान पर दरभंगा है.

नवादा लोकसभा सीट

चलिए, बात करते हैं नवादा लोकसभा सीट की. लोकसभा चुनावों के इतिहास में मात्र दो ही बार ऐसा अवसर आया है जब स्थानीय नेता संसद में पहुंचने में सफल रहे हैं. वर्ष 1967 के लोकसभा चुनाव में पकरीबरावां के बुधौली मठ के महंथ सूर्य प्रकाश नारायण पुरी निर्वाचित हुए थे. उन्होंने कांग्रेस से चुनाव लड़ने की इच्छा जतायी थी, लेकिन पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर वे स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और जीत हासिल की.

इसी तरह 1991 के लोकसभा चुनाव में भाकपा के उम्मीदवार प्रेमचंद राम मैदान में थे. वे सिरदला प्रखंड के भरकंडा गांव निवासी थे. उन्होंने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार महावीर चौधरी को हराया था. इसके बाद से ही यहां का कोई भी स्थानीय नेता संसद की सीढ़ियों तक नहीं पहुंच सका. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी एनडीए समर्थित भाजपा के उम्मीदवार विवेक ठाकुर पटना के रहने वाले हैं. हालांकि, उनके प्रतिद्वंद्वी महागठबंधन समर्थित राजद के श्रवण कुशवाहा और निर्दलीय विनोद यादव स्थानीय हैं.

नवादा से जीतने वालों में दरभंगा, पटना, गया, हाजीपुर, बेगूसराय, नालंदा और लखीसराय के रहने वाले

संसद में नवादा सीट से सबसे अधिक सांसद कांग्रेस के रहे है. 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव के बाद से अबतक नवादा संसदीय सीट से पांच सांसद इस पार्टी के रहे. गया के ब्रजेश्वर प्रसाद, पटना सिटी के रामधनी दास, जहानाबाद के सुखदेव वर्मा और पटना के कुंवर राम को कांग्रेस ने टिकट दिया था. दूसरे स्थान पर भाजपा रही है. इस पार्टी के चार सांसद रहे हैं, जो यहां के निवासी नहीं हैं. इनमें पटना के कामेश्वर पासवान, दरभंगा के डा. संजय पासवान, बेगूसराय के डा. भोला सिंह और लखीसराय के बड़हिया निवासी गिरिराज सिंह शामिल हैं.

राजद के दो सांसदों में से एक मालती देवी गया की रहने वाली थीं, जबकि वीरचन्द्र पासवान हाजीपुर के थे. सीपीआइ(एम) से सांसद रहे प्रेम प्रदीप नालंदा निवासी थे. वहीं, आपातकाल के बाद वर्ष 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल से नथुनी राम जीते, जो बाहरी ही थे. 2019 में लोक जनशक्ति पार्टी के विजयी सांसद चंदन कुमार का घर पटना में है.

नवादा संसदीय क्षेत्र से अब निर्वाचित सांसद

वर्षकौन जीतेपार्टी
1952ब्रजेश्वर प्रसादकांग्रेस (गया-पूर्व-एससी के रूप में)
1957सत्यभामा देवीकांग्रेस
1962राम धनी दासकांग्रेस
1967सूर्य प्रकाश पुरीनिर्दलीय
1971सुखदेव प्रसाद वर्माकांग्रेस
1977नथुनी रामभारतीय लोक दल
1980कुंवर रामकांग्रेस
1984कुंवर रामकांग्रेस
1989प्रेम प्रदीपसीपीआइ (एम)
1991प्रेम चंद रामसीपीआइ (एम)
1996कामेश्वर पासवानभाजपा
1998मालती देवीराजद
1999डा. संजय पासवानभाजपा
2004वीरचंद्र पासवानराजद
2009डा. भोला सिंहभाजपा
2014गिरिराज सिंहभाजपा
2019चन्दन सिंहलोजपा

स्थानीय नेता अली असरफ फातमी दरभंगा से लगातार तीन बार चुनाव जीते

पहले आम चुनाव में दरभंगा लोकसभा सीट से कांग्रेस के श्रीनारायण दास और भोगेंद्र झा के बीच मुकाबला हुआ था. कांग्रेस के उम्मीदवार श्रीनारायण दास को विजयश्री मिली. 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव में भी श्री नारायण दास ही जीते. इसके बाद कई वर्षों तक इस लोकसभा सीट से बाहरी लोगों को ही जीत मिलती रही.

श्री नारायण दास दरभंगा जिले के केवटी के मूल निवासी थे. 1967 के लोकसभा चुनाव में श्री नारायण दास को दरभंगा की जगह जयनगर सीट से उम्मीदवार बना दिया गया, जहां वे पराजित हो गये. उस समय दरभंगा से सत्यनारायण सिन्हा सांसद बने. 1971 में देवधर के मूल निवासी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री विनोदानंद झा सांसद बने. 1972 में हुए उपचुनाव में सहरसा के रहने पूर्व रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र चुनाव जीते. हालांकि, 1977 के आम चुनाव में भारतीय लोकदल के टिकट पर स्थानीय सुरेंद्र झा सुमन सांसद बने थे.

इसके बाद हुए 1980 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मधुबनी के रहने वाले हरिनाथ मिश्र जीते थे. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए लोकसभा में दरभंगा से लोकदल के ललित नारायण मिश्र के पुत्र और सहरसा के मूल निवासी विजय कुमार मिश्र सांसद बने. उसके बाद स्थानीय राजद नेता अली अशरफ फातमी लगातार सांसद बनते रहे. वे 1991, 1996, 1998 और 2004 चुनाव जीते थे. वहीं 1999, 2009 और 2014 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के पुत्र और मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी कीर्ति आजाद मूल रूप से भागलपुर के हैं.

कश्मीर के डॉ रहमान भी दरभंगा से जीत चुके हैं चुनाव

दरभंगा लोकसभा का इतिहास बड़ा ही विचित्र है, इस लोकसभा सीट से अभी तक बने सांसदों में 10 बाहरी रहे. हालांकि, पिछले चुनाव में स्थानीय भाजपा के गोपालजी ठाकुर सांसद बने. वहीं, इस बार के चुनाव में भी जो जीतेंगे, वे स्थानीय ही होंगे. एनडीए समर्थित भाजपा उम्मीदवार और निवर्तमान सांसद और महागठबंधन की ओर से राजद के उम्मीदवार ललित यादव दोनों ही स्थानीय हैं. दरभंगा के वोटरों की खासियत रही है कि कश्मीर के रहने वाले डॉ. शकील-उर- रहमान को भी चुनाव जीता कर लोकसभा भेजा था. डॉ रहमान ने 1989 के लोकसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता नागेंद्र झा को काफी वोटों से हराया था.

दरभंगा लोकसभा सीट से अब तक जीते उम्मीदवार

चुनावी वर्षनामदल
1952श्रीनारायण दास
1957श्रीनारायण दासकांग्रेस
1962श्रीनारायण दासकांग्रेस
1967सत्य नारायण सिन्हाकांग्रेस
1971बिनोदानंद झाकांग्रेस
1972ललित नारायण मिश्रकांग्रेस
1977सुरेंद्र झा ‘‘सुमन’’जनता पार्टी
1980हरि नाथ मिश्रकांग्रेस
1984विजय कुमार मिश्रलोकदल
1989डॉ. शकील-उर- रहमानजनता दल
1991अली अशरफ फातमीजनता दल
1996अली अशरफ फातमीजनता दल
1998अली अशरफ फातमीराजद
1999कीर्ति आजादभाजपा
2004अली अशरफ फातमीराजद
2009कीर्ति आजादभाजपा
2014कीर्ति आजादभाजपा
2019गोपाल जी ठाकुरभाजपा

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