Valentine Week: गैंगस्टर मुकेश पाठक और किडनैपिंग क्विन पूजा की लव स्टोरी, जेल में शादी, कैद में बनी थी मां
Valentine Week: 14 अक्टूबर 2013 को मुकेश पाठक और पूजा पाठक ने जेल में ही शादी रचा ली. शादी के करीब डेढ़ साल बाद 20 जुलाई 2015 को मुकेश पाठक पूजा के प्रेग्नेंट होने के साथ ही जेल से फरार हो गया था.
राजेश कुमार ओझा
बिहार में आतंक का दूसरा नाम मुकेश पाठक है. मुकेश फिलहाल भागलपुर जेल में बंद हैं. लेकिन, उनका आतंक आज भी बिहार में कायम है. शिवहर में अपनी गुनाहों की सजा काट रहे गैंगस्टर मुकेश पाठक और किडनैपिंग क्विन पूजा पाठक की पहली जेल से हुई थी. मुलाकात कैसे प्रेम में और फिर विवाह में बदला.(Gangster mukesh pathak pooja pathak Love Story) यह एक रोचक कहानी है. अपराध की दुनिया में दोनों की प्रेम कहानी की काफी दिनों तक चर्चा भी होती रही थी. 07 फरवरी से 14 फरवरी तक चलने वाले Valentine Week में प्रभात खबर डॉट कॉम आपके लिए लेकर आया है ऐसी कुछ रोचक कहानी .आज पढ़िए बिहार के गैगस्टर मुकेश और किडनैपिंग क्वीन पूजा की प्रेम कहानी…
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गुरु की हत्या कर बढ़ाया अपना साम्राज्य
बिहार में आगे बढ़ने के लिए अपने उस्ताद की हत्या करने की पंरपरा पुरानी है. इन्हीं में से एक नाम है मुकेश पाठक का. जिसने बिहार के सबसे कुख्यात माफियाओं में से एक संतोष झा को वर्चस्व की लड़ाई में हत्या कर दी. मुकेश ने संतोष झा की ही अंगुली पकड़कर अपराध की दुनिया इंट्री ली थी. लेकिन, पैसा के लेन देन में मतभेद होने पर मुकेश ने संतोष झा की हत्या कर दी. कहा जाता है कि मुकेश पाठक के संतोष झा के गिरोह में शामिल होने से पहले यह गिरोह सिर्फ मिथिलांचल में ही सक्रिय हुआ करता था. लेकिन, मुकेश पाठक ने गिरोह में शामिल होने के बाद संतोष झा के साथ मिलकर अपने गिरोह को पूरे बिहार में फैलाया था. मुकेश पाठक ने बिहार में पहली बार वेतन अपने गुर्गे रखने शुरु किए थे. जिससे उसका आतंक मिथिलांचल से बढ़कर पूरे बिहार में फैला था.
भाई की हत्या से ली थी इंट्री
गैंगस्टर मुकेश पाठक ने वर्ष 2003 में अपने चचेरे भाई प्रेम नाथ पाठक की हत्या कर अपराध की दुनिया में इंट्री किया था. कहा जाता है कि मुकेश ने 8 मई 2003 को पारिवारिक रंजिश के चलते इस घटना को अंजाम दिया गया था. वर्ष 2004 में सीतामढ़ी पुलिस ने संतोष को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद जेल में रहते मुकेश पाठक और संतोष झा के बीच दोस्ती हुई. जेल से बाहर आने पर संतोष झा को गुरु मानकर मुकेश उसके साथ काम करना शुरू कर दिया. दोनों ने मिलकर अपने गिरोह को काफी आगे बढ़ाया और कई बड़ी घटनों को अंजाम दिया. इसी क्रम में मुकेश पाठक का जेल आना जाना लगा रहा. लेकिन, हुलिया बदलने में मुकेश ने महारत हासिल कर रखा था. इसी कला का लाभ लेकर वो अक्सर कैद में आने के बाद भी जेल से फरार हो जाया करता था. लेकिन ,17 जनवरी 2012 को पुलिस ने मुकेश को रांची में संतोष झा के साथ गिरफ्तार कर लिया.
जेल में हुई थी पहली मुलाकात
झारखंड पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद मुकेश पाठक को बिहार पुलिस के हवाले कर दिया. उसे शिवहर कारागार में रखा गया, जहां उसकी पहली मुलाकात बिहार की किडनैपिंग क्वीन पूजा से हुई. दोनों में नजदीकियां बढ़ी तो 14 अक्टूबर 2013 को दोनों ने जेल में ही शादी रचा ली. शादी के करीब डेढ़ साल बाद 20 जुलाई 2015 को मुकेश, जेलकर्मियों को नशीला पदार्थ खिलाकर फिर से फरार हो गया. इसी दौरान पूजा की तबियत खराब हो गई. उसे जब अस्पताल में भर्ती कराया गया तो पता चला कि वह 12 हफ्ते की प्रेग्नेंट है.
मुकेश फरार, पूजा के प्रेग्नेंट
जेल में रहते ही पूजा के प्रेग्नेंट की बात सामने आने पर जेल प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए. आनन- फानन में पूजा पाठक को मुजफ्फरपुर शिफ्ट किया गया. पूरे मामले की जांच भी शुरु हो गई. आखिर कोई महिला कैदी जेल में रहते कैसे प्रेग्नेंट हो सकती है. मामला के तुल पकड़ने पर वरीय पुलिस अधिकारियों ने जेल के कुछ पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिए गए थे. इधर, अलग-अलग थानों में हत्या, अपहरण, रंगदारी, लूट सहित करीब 2 दर्जन मामले की आरोपी पूजा ने एक मार्च 2016 को अपनी बेटी को जन्म दिया था.
कौन है किडनैपिंग क्विन
पूजा पाठक एक साधारण परिवार की लड़की थी. उसके माता-पिता ने पटना में उसे पॉलिटेक्निक की पढ़ाई करने के लिए भेजा था. पढ़ाई के दौरान ही पटना में पूजा की कैलाश नाम के शख्स से मुलाकात हुई. पूजा कैलाश के संगत में आने के बाद अपराध के धंधे में उतर आई. 2013 में पूजा ने पहली बार अपने साथियों के साथ मिलकर दो लोगों का अपहरण किया था. फिरौती की बड़ी रकम लेने के बाद फिर उसे छोड़ा था. इसके बाद तो पूजा किडनैपिंग क्वीन हो गई. वो चलती गाड़ी से व्यवसायियों का किडनैपिंग करने लगी. पटना में वो लेडी डॉन के जानी जाने लगी. लेकिन, उसका आतंक लंबा समय तक नहीं चला. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. फिर मजबूत चार्जशीट की वजह से पूजा पाठक को आजीवन कारावास की सजा हो गई.