मुजफ्फरपुर के LS कॉलेज वाले अब करेंगे इस बात पर गर्व, जानने के लिए यहां पढ़े:-
लंगट सिंह कॉलेज के खगोलीय वेधशाला को हाल ही में दुनिया की महत्वपूर्ण लुप्तप्राय विरासत वेधशालाओं की यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया है. यह वेधशाला 1916 में स्थापित की गई थी.
मुजफ्फरपुर. जिले वासियों के लिए एक अच्छी खबर है. मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कॉलेज की वेधशाला को यूनेस्को ने लुप्तप्राय विश्व विरासत की सूची में शामिल कर लिया है. खगोलीय वेधशाला को हाल ही में दुनिया की महत्वपूर्ण लुप्तप्राय विरासत वेधशालाओं की यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया है. वहीं, ये लंबी उपेक्षा का शिकार यह वेधशाला वर्तमान में बंद है. देखभाल के अभाव में अब यहां बिना मशीनों का सिर्फ ढांचा खड़ा है.
यूनेस्को की सूची में शामिल
जिले के लंगट सिंह कॉलेज के खगोलीय वेधशाला को हाल ही में दुनिया की महत्वपूर्ण लुप्तप्राय विरासत वेधशालाओं की यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया है. यह वेधशाला 1916 में स्थापित की गई थी. वेधशाला का जीर्णोद्धार कर इसे फिर से पुराना गौरव हासिल कराने की जरूरत है, इसके लिए प्रयास शुरू हो गया है. एलएस कॉलेज में वर्ष 1916 में वेधशाला का निर्माण हुआ था, जहां विद्यार्थियों को खगोलीय जानकारी दी जाती थी. उपकरण खराब होने के कारण 70 के दशक में यह बंद हो गया.
यूनेस्को के सदस्यों का गया ध्यान
बता दें कि चार साल पहले पत्रिका के लेख पर यूनेस्को का ध्यान गया. खगोलीय वेधशाला के बारे में प्रो. जेएन सिन्हा ने 13-26 अक्टूबर 2018 की फ्रंटलाइन पत्रिका के अंक में ‘एक वेधशाला की गिरावट’ शीर्षक से एक लेख लिखा था, जिस पर यूनेस्को के सदस्यों का ध्यान गया. वहीं, प्रो सिन्हा हिस्ट्री ऑफ साइंस इंटरनेशनल कमेटी के मेंबर भी है, लिहाजा उनका लेख महत्वपूर्ण हो गया. लंबी उपेक्षा का शिकार यह वेधशाला वर्तमान में बंद है. देखभाल के अभाव में अब यहां बिना मशीनों का सिर्फ ढांचा खड़ा है. ऐसे में अब इस वेधशाला का जीर्णोद्धार कर इसे फिर से पुराना गौरव हासिल कराने की जरूरत है. इसके लिए मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कॉलेज की ओर से प्रयास शुरू किए जाने की बात कही जा रही है.
‘यह गौरव की बात है’
वेधशाला के विरासत की सूची में शामिल होने पर प्राचार्य डॉ. ओपी राय ने कहा कि विरासत को संजोने और संवारने के लिए हर तरह से मिल कर प्रयास होगा. यह गौरव की बात है कि 5 शिक्षक और 72 छात्रों के साथ 3 जुलाई 1899 में स्थापित यह कॉलेज नित्य नई ऊंचाईयों को छू रहा है. इस विरासत को संजोने और संवारने के लिए हर तरह से प्रयास जारी है और आगे भी जारी रहेगा. वेदशाला और तारामंडल के जीर्णोद्धार के लिए राज्य से लेकर केंद्र तक पहल की जा रही है.