गरमी में ताजगी दे रहा ताड़ का फल

नारियल पानी के समान ही पेट के लिए है लाभकारी मधेपुरा : ताड़ का पेड़ आम तौर पर ताड़ी को लेकर जाना जाता है लेकिन इसके फल को भी पसंद करने वाले कम नहीं हैं. यह बात अलग है कि बहुत कम लोगों को ही पता है कि ताड़ के पेड़ से निकला फल स्वास्थ्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 19, 2017 5:59 AM

नारियल पानी के समान ही पेट के लिए है लाभकारी

मधेपुरा : ताड़ का पेड़ आम तौर पर ताड़ी को लेकर जाना जाता है लेकिन इसके फल को भी पसंद करने वाले कम नहीं हैं. यह बात अलग है कि बहुत कम लोगों को ही पता है कि ताड़ के पेड़ से निकला फल स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. इसे केवल हल्के मीठे स्वाद और गरमी में तरावट के लिये लोग पसंद करते हैं. राज्य में नशाबंदी के बाद ताड़ी बेचने वाले समुदाय में से कई लोगों ने ताड़ का फल बेचने का रोजगार अपना लिया है. शहर में पांच -छह जगहों पर ताड़ का फल बेचने वाले सड़क किनारे मिल जायेंगे. खास बात यह है कि इनके पास लोगों की भीड़ भी लगी रहती है. तड़कोआ बेच कर इन्हें रोजाना औसतन करीब दो हजार की आय हो रही है.
बीमारी दूर करता है ताड़कोआ. आम लोगों के बीच इस फल को कहीं ताड़कून तो कहीं ताड़कोआ के नाम से जाना जाता है. इस फल के अंदर पानी भरा होता है जो पेट के लिए अमृत के समान है. इस फल को ताजा खाने से पेट की कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है. इसके सेवन से आंत के बीमारियों से दूर रह सकते हैं. वहीं कब्ज दूर करने में भी यह कारगर है. यह बेहद ही सस्ता फल है और इसके कई फायदे हैं. इस फल के सेवन से एसिडिटी भी दूर होती है. ताड़कोआ प्रकृति का सौगात है.
गरमी में ही मिलता है फल. गरमी आते ही ताड़ के फल की बिक्री शुरू हो जाती है. ताड़ के फल शरीर के लिए भी लाभदायक हैं. गांव से शहर पहुंचे कुछ युवक ताड़ का फल बेच कर रोजाना दो हजार रुपये तक कमा रहे हैं. प्रत्येक फल को दुकानदार पंद्रह रुपये प्रति पीस के हिसाब से बेचते हैं. शहर के मुख्य सड़क पर एसडीओ कार्यालय के समीप, कोर्ट रोड में, बस स्टैंड रोड सहित अन्य कई जगहों पर अस्थायी दुकानें मिले जायेगी. ताड़ के फल के ऊपर लगे ठोस पदार्थ को तेज चाकू से काट कर अलग किया जाता है. फिर उसके अंदर से तीन भाग में पानी से भरा हुआ फल निकलता है. इसे ही लोग खाना पसंद करते हैं. सिंहेश्वर के जजहट सबैला पंचायत निवासी बद्री चौधरी बताते हैं कि इस काम में काफी मेहनत है. दोपहर बाद से ही शरीर निढाल होने लगता है. इसलिए शाम से पहले ही वह अपनी दुकानदारी समेट लेते हैं. वह कहते हैं कि रोजगार तो अच्छा है लेकिन केवल गरमी में ही ये फल होता हैं इसलिए एक मौसम के रोजगार से क्या होगा.

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