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छात्रों ने विद्यालय में किया हंगामा

मामला नगर परिषद क्षेत्र के जयपालपट्टी के भुवनेश्वरी मध्य विद्यालय का विद्यालय परिसर में गंदगी का लगा है अंबार बच्चों ने कहा नहीं होती है पढ़ाई, शिक्षक करते टाइम पास आठ महिला शिक्षिका व लगभग दो सौ छात्रा के विद्यालय में एक भी शौचालय चालू नहीं, बीइओ ने दिया तत्काल शौचालय मरम्मत का निर्देश मधेपुरा […]

मामला नगर परिषद क्षेत्र के जयपालपट्टी के भुवनेश्वरी मध्य विद्यालय का
विद्यालय परिसर में गंदगी का लगा है अंबार
बच्चों ने कहा नहीं होती है पढ़ाई, शिक्षक करते टाइम पास
आठ महिला शिक्षिका व लगभग दो सौ छात्रा के विद्यालय में एक भी शौचालय चालू नहीं, बीइओ ने दिया तत्काल शौचालय मरम्मत का निर्देश
मधेपुरा : नगर परिषद के वार्ड नंबर 15 स्थित भुवनेश्वरी मध्य विद्यालय जयपालपट्टी के बच्चों ने गुरुवार को एमडीएम में पिल्लू मिलने व स्कूल बदहाली के खिलाफ हंगामा किया. मौके पर जांच के लिए पहुंचे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी व वार्ड पार्षद ने कार्रवाई के आश्वासन के बाद मामला शांत हुआ, लेकिन हंगामे ने शिक्षा विभाग की लचर स्थिति की कलई खोल दी.
दस शिक्षक, चार सौ बच्चे, लेकिन सब कुछ कागज पर. नगर परिषद क्षेत्र के भुवनेश्वरी मध्य विद्यालय जयपालपट्टी में प्रधानाध्यापक मिलाकर दस शिक्षक है. यहां वर्ग एक से आठ तक के बच्चों की पढ़ाई होती है. विद्यालय में मौजूद दाखिला पंजी से लगभग 400 बच्चे नामांकित है, लेकिन बच्चों की उपस्थिति की संख्या एक सौ तक भी नहीं पहुंचती है.
प्रधानाध्यापक की लापरवाही के कारण विद्यालय की स्थिति चरमरा गयी है. विद्यालय में शिक्षक तो समय से आते है, लेकिन पढ़ाई के प्रति एक भी शिक्षिक जिम्मेदारी नहीं दिखाते है. स्कूल आये और चार बजे का इंतजार करते रहते है कि फिर वह कब घर जायें. विद्यालय परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है.
नहीं होता है मीनू का पालन. स्थानीय लोगों के बार-बार शिकायत होने पर वार्ड पार्षद सुप्रिया कुमारी स्कूल पहुंची. रसोइया पिंकी कुमारी, गुड़िया देवी, सुमित्रा देवी, गिरजा देवी ने कहा कि एमडीएम बनाने के लिए प्रत्येक दिन चावल व आलू दिया जाता है. सब्जी लाने कहते है तो प्रधान के द्वारा कहा जाता है जो देते है वहीं बनाओ. प्रधानाध्यापक बाजार से एक दो किलो सिर्फ दाल लाते है. बच्चों ने बताया कि प्रधानाध्यापक के मनमर्जी के कारण एक भी शिक्षिका बच्चों को समुचित शिक्षा देने में असमर्थ है.
वार्ड पार्षद ने बताया कि प्रधानाध्यापक लालबहादुर यादव अक्सर अपने विद्यालय को छोड़ सड़क पर राजनीति करते है. वह विद्यालय कभी कभार ही आते है. जब विद्यालय के प्रधानाध्यापक ही ऐसे करेंगे तो शिक्षक क्या करेंगे. मौके पर छात्र लता कुमारी, सौरभ कुमार, निशु कुमारी, अमन कुमारी, मोनी कुमारी, अमोद कुमार, लड्डू कुमारी, अमन कुमार, अयूष कुमार, रूपम कुमार ने बताया कि विद्यालय की स्थिति दयनीय है.
बच्चों ने कहा, मध्याह्न भोजन में रहता है पिल्लू. बच्चों ने प्रधानाध्यापक व शिक्षकों पर बीइओ के समक्ष आरोप लगाते हुए कहा कि सब्जी के लिए जो सोयाबीन बनाया जाता है उसमें पिल्लू रहता है.
इस बाबत कि शिकायत हमलोग प्रधानाध्यापक व शिक्षक को किये, लेकिन उनके द्वारा कुछ सुधार नहीं किया गया. चावल में कंकड़ रहता है. वहीं मीनू के अनुसार भोजन तो दूर की बात है कभी दाल तक नसीब नहीं होता है. बीइओ ने प्रधानाध्यापक को कहा कि बारिश के मौसम में सोयाबीन सब्जी में नहीं दें. हरी साग सब्जी का उपयोग करें.
दो शौचालय पर काम का एक भी नहीं . विद्यालय में आठ महिला शिक्षिका, चार रसोइया समेत सैकड़ों छात्राएं रहती है, लेकिन शौचालय व मुत्रालय नहीं रहने के कारण कठिनाई होती है. बच्चों ने बताया कि शौच करने के लिए वे सभी को घर जाना पड़ता है. विद्यालय में गंदगी का अंबार लगा हुआ है.
चापकल के पानी को एक निश्चित जगह पर नहीं गिरया जाता है. इससे विद्यालय परिसर में चापाकल का पानी फैला रहता है. खाने के बाद प्लेट को चापाकल पर साफ करने के बाद गंदगी को गड्ढे नहीं रहने के कारण वहीं छोड़ देते है. इस कारण वह गंध करता है.
प्रधानाध्यापक ने कहा. प्रधानाध्यापक लालबहादुर प्रसाद ने बताया कि 400 बच्चे नामांकित है. एक शिक्षिका सीमा सिंह छुट्टी पर है. बाकी शिक्षिका नीलम कुमारी, नंदनी कुमारी, प्रिति माथुर, रश्मि राय, रंजना कुमारी, प्रिता कुमारी, बबली कुमारी उपस्थित है. विद्यालय में जो भी कमियां है उसे जल्द दूर किया जायेगा.
वार्ड पार्षद ने कहा. वार्ड पार्षद सुप्रिया ने कहा इस तरह विद्यालय स्थिति बनी रही, तो बच्चों का भविष्य अधर में लटक जायेगा. बच्चे अनपढ़ रह जायेंगे.
प्रत्येक महीना बच्चों को पढ़ाने के पीछे लाखों रुपये एक विद्यालय पर खर्च कर रही है, लेकिन शिक्षा के नाम पर बच्चे ठगी का शिकार हो रहे है. वार्ड पार्षद ने कहा विद्यालय के एक कमरे में पांच-छह बच्चे मौजूद है. उन्हें पढ़ाने के लिए एक वर्ग में तीन शिक्षिका मौजूद है. सभी बच्चों को पढ़ाने के बजाय पैर पर पैर दे कर बैठे हुए थे. पढ़ाने के नाम पर इस विद्यालय में सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है.

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