पांच सौ में 50 नंबर तो दो हजार में मनमाफिक नंबर देने का का खेल

बीएनएमयू अंतर्गत आरएल कॉलेज, माधवनगर, पूर्णिया का मामला मधेपुरा : पैसे के बिना ज्ञान बेकार, बीएनएमयू के मेघावी छात्रों के लिए यह कहना निरर्थक नहीं होगा. यहां पैसे देकर आसानी से अधिक नंबर मिलते है. पैसे के हिसाब से नंबर बढ़ता व घटता भी है. इसके लिए रेट तय है. सात अक्तूबर से चल रहे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2017 12:44 PM

बीएनएमयू अंतर्गत आरएल कॉलेज, माधवनगर, पूर्णिया का मामला

मधेपुरा : पैसे के बिना ज्ञान बेकार, बीएनएमयू के मेघावी छात्रों के लिए यह कहना निरर्थक नहीं होगा. यहां पैसे देकर आसानी से अधिक नंबर मिलते है. पैसे के हिसाब से नंबर बढ़ता व घटता भी है. इसके लिए रेट तय है. सात अक्तूबर से चल रहे पार्ट थर्ड के प्रायोगिक परीक्षा में यह खूब फला-फूला. 50 नंबर के लिए पांच सौ रुपया तो मनमाफिक नंबर के लिए दो हजार रुपये तक वसूली की बात कही जा रही है.

खासकर सौ नंबर के मतबंध पेपर में छात्रों का आर्थिक दोहन किया गया. ऐसा नहीं है कि विवि प्रशासन इस बात से अनभिज्ञ है. गत दिनों हुई परीक्षा समिति की बैठक में कुलपति प्रो डा अवध किशोर ने निर्देश दिया कि यह कतई बर्दाश्त नहीं की जायेगी, लेकिन इसका असर नहीं हुआ.

पहले तो इस तरह का खेल चोरी छिपे होता था, लेकिन विवि अंतर्गत आरएल कॉलेज, माधवनगर, पूर्णिया कॉलेज में खुलेआम परीक्षा में अधिक नंबर देने के लिए छात्रों से पैसा लेने का खुलासा हुआ है. इस खुलासे से सब कोई हतप्रभ है. इस संबंध में प्रतिकुलपति सह प्रभारी कुलपति प्रो डा फारूक अली ने कहा कि नामांकन परीक्षा या मूल्यांकन में विधिसम्मत कार्य नहीं करने वाले के विरुद्ध विवि कार्रवाई करेगी.

अर्थपाल ने चेताया, फिर भी नहीं मानी एचएम

आरएल कॉलेज माधवनगर के कैशियर सुभाष कुमार सिंह ने खुलासा किया है कि एचएम के आदेश पर अवैध रूप में राशि ली जाती थी और राशि को मैं एफसीआरडीसीआर में यह कहकर अंकित नहीं किया कि यह अवैध राशि है. वहीं महाविद्यालय के एक अन्य प्राध्यापक प्रो एमभी फारूकी ने भी बताया है कि कॉलेज की परिस्थिति को देखते हुये प्राचार्या के आदेशानुसार आपसी सहमति से सब कुछ हुआ है.

उक्त महाविद्यालय के अर्थपाल प्रो गजेंद्र नारायण यादव ने कहा कि प्रधानाचार्य को अवैध वसूली के संबंध में सतर्क किया गया, लेकिन वे नहीं मानी यह राशि महाविद्यालय के विकास कोष में जमा नहीं किया गया है, बल्कि प्रो घनश्याम यादव व प्रो कंचन महतो के संयुक्त खाता में जमा कराया गया है. राशि किस मद में खर्च की गयी इसकी जानकारी प्रधानाचार्य प्रो घनश्याम यादव व प्रो कंचन महतो को होगा.

Next Article

Exit mobile version