अब तो शहर में अवैध नर्सिंग होम व पैथोलॉजी की कट रही है चांदी

चिंताजनक . सुविधाविहीन हुए जिले के सरकारी अस्पताल पैथोलॉजिस्ट-डॉक्टर के बिना चल रहा सदर अस्पताल का लैब अल्ट्रासाउंड भी डेढ़ महीने से है बंद, मरीजों को हो रही है परेशानी मधेपुरा : जिले में मरीजों की जान पर बन आयी है. मधेपुरा में प्राइवेट नर्सिंग होम के साथ-साथ अब सरकारी अस्पताल भी मरीजों के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2017 6:11 AM

चिंताजनक . सुविधाविहीन हुए जिले के सरकारी अस्पताल

पैथोलॉजिस्ट-डॉक्टर के बिना चल रहा सदर अस्पताल का लैब
अल्ट्रासाउंड भी डेढ़ महीने से है बंद, मरीजों को हो रही है परेशानी
मधेपुरा : जिले में मरीजों की जान पर बन आयी है. मधेपुरा में प्राइवेट नर्सिंग होम के साथ-साथ अब सरकारी अस्पताल भी मरीजों के लिए मौत का पर्याय बन चुका है. एक तरफ जहां सरकारी अस्पताल सुविधाविहीन हो चुका है. वहीं इलाज के नाम पर अवैध नर्सिंग होम व पैथोलॉजी की चांदी कट रही है. इस बीच इलाज के दौरान बरती जा रही लापरवाही के कारण जिले में मौत का सिलसिला रुक नहीं रहा है. इस स्थित में मरीज इलाज के लिए जाये तो कहां जाये. आलम यह है कि मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल के पैथोलॉजी में मरीजों की जांच रिपोर्ट पर पैथोलॉजिस्ट चिकित्सक के हस्ताक्षर बिना ही जांच रिपोर्ट दिया जा रहा है.
ऐसी स्थिति में जब सदर अस्पताल ही मरीजों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहा है तो स्वास्थ्य विभाग अवैध नर्सिंग होम एवं प्राइवेट पैथोलॉजी के खिलाफ कार्रवाई कैसे करेगी. हैरत करने वाली बात यह है कि करीब डेढ़ महीने से सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहा है. बाजार में खून जांच से लेकर अल्ट्रासाउंड कराने में मरीजों को मोटी रकम देनी पड़ रही है. शहर में एक भी नर्सिंग होम, पैथोलॉजी व क्लिनिक एमसीआइ के मानक अनुसार संचालित नहीं हो रहा है.
इलाज के अभाव में पंद्रह दिन के भीतर हुई आधा दर्जन मौत . केवल इस महीने में प्राइवेट नर्सिंग होम से लेकर सरकारी अस्पताल तक आधा दर्जन मौत हो चुकी है. इसमें पुरैनी स्थ्ति अवैध नर्सिंग होम एक महिला मरीज एवं मुख्यालय स्थित एक प्राइवेट क्लिनिक में नवजात की मौत हो गयी. वहीं कुमारखंड एवं आलमगनर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लापरवाही के कारण एक-एक मरीज की मौत हुई. हद तो तब हो गयी जब सदर अस्पताल में सोमवार को डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही से एक महिला मरीज की मौत हो गयी. हालांकि मरीज की मौत को गंभीरता से लेते हुए सदर अस्पताल के अधीक्षक ने दोषी डॉक्टर शोकॉज किया है.
वेतन नहीं मिलने के कारण हड़ताल पर हैं कर्मी
सदर अस्पताल स्थित अल्ट्रासाउंड सेंटर में कार्यरत कर्मी वेतन नहीं मिलने के कारण अक्टूबर माह से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. तब से कर्मियों के हड़ताल पर जाने से अल्ट्रासाउंड सेवा पुरी तरह ठप हो गया है. जानकारी हो कि जिले का एक मात्र नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड सेंटर जो सदर अस्पताल परिसर में आईजीई मेडिकल सिस्टम के द्वारा संचालित किया जा रहा था. वह 18 अक्टूबर से अब तक बंद है. अल्ट्रासाउंड सेंटर के बंद होने से मरीजों को भारी परेशानी हो रही है. मरीजों को अब बाजार से अधिक रुपये खर्च कर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है.
अस्पताल में पैथोलॉजिस्ट
चिकित्सक नहीं
इस बाबत सदर अस्पताल के उपाधीक्षक अखिलेश कुमार ने बताया कि पैथोलॉजिस्ट चिकित्सक नहीं है. जिसके कारण लैब टेक्निशियन ही मरीजों के जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करते हैं. उन्होंने कहा कि पैथोलॉजी के अलावे अल्ट्रासाउंड में भी चिकित्सक की कमी है. अल्ट्रासाउंड 18 अक्टूबर से ही मरीजों का अल्ट्रासाउंड करना बंद कर दिया है. चूंकि अल्ट्रासाउंड में कार्यरत टेक्निशियन को वेतन नहीं मिला है. पैथोलॉजी में सीवीसी जांच कई महीनों से नहीं हो रहा है. पैथोलॉजी प्रभारी ने बताया कि सीवीसी जांच को केमिकल उपलब्ध नहीं है. केमिकल के लिए अस्पताल प्रबंधक को सूचना दे दिया गया है.

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