सिंहेश्वर(मधेपुरा): प्रखंड मुख्यालय अंतर्गत एक दंपती ने आर्थिक परेशानी की वजह से अपनी नवजात बच्ची को समाज कल्याण विभाग के अधीन विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान को सौंप दिया. सिंहेश्वर स्थित सीएचसी में गुरुवार को जजहट सबैला वार्ड संख्या दस की एक गर्भवती विभा देवी ने आठवीं बच्ची को जन्म दिया.
इसके बाद से ही पूरे अस्पताल में हाई वोल्टेज ड्रामा चलने लगा. इसका अंत शुक्रवार की शाम को हुआ. दंपती का कहना है कि उन्हें पूर्व से सात पुत्री है और यह आठवीं बेटी है. उम्र हो जाने की वजह से बेटी का भार वहन नहीं कर पायेंगे. अभी तो तीन बेटी का विवाह भी करना शेष है. अब तक चार बेटी का जैसे तैसे विवाह कर चुके हैं. दो पुत्री की शादी तो अन्य राज्य में की है.
बेटे के इंतजार…
बच्ची के जन्म लेते ही रोने लगी महिला
बच्ची के जन्म लेने के बाद महिला रोने लगी. कारण पूछने पर उसने अस्पताल कर्मी को बताया कि उसे पूर्व में सात बेटी है. उन लोगों ने बेटा होने की आस लगा रखी थी. इसके बाद वह बेटी को घर ले जाने से मना करने लगी. कुछ स्थानीय लोगों ने बच्ची को गोद लेने की इच्छा जाहिर की और तब से ही ड्रामा शुरू हो गया.
शुक्रवार की दोपहर नवजात को स्थानीय के हवाले करने की बात होने लगी इसी बीच किसी ने एनजीओ सहित जिले के अधिकारी को इस बात की सूचना दे दी. सूचना मिलने के तुरंत बाद जिले से एनजीओ की जिला समन्वयक सुधा कुमारी व बाल कल्याण समिति के कर्मी भी अस्पताल पहुंच गये. तब तक बच्ची सहित उसके परिजन अस्पताल से बाहर पहुंच चुके थे. सभी को दुबारा अस्पताल लाया गया.
55 पार की मां व बाप कैसे करेंगी नवजात का पालन
बच्ची के पिता पेशे से रिक्सा चालक हरिलाल राम को जिला समन्वयक व अस्पताल प्रबंधक पियुष वर्धन ने काफी समझाया कि बच्ची को वह रख ले, लेकिन उसने बच्ची को रखने से सीधे तौर पर मना कर दिया. अंत में एनजीओ की समन्वयक कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद बच्ची को अपने साथ ले गयी. वहीं बच्ची के पिता ने जानकारी देते हुए बताया कि उसे पूर्व में सात बेटी है, जिसमें चार का विवाह जैसे- तैसे कर दिया, लेकिन अब भी उसके पास तीन बेटी, मां व पत्नी का पालन पोषण करना है.
उसकी उम्र अब 55 के पार है और वह ज्यादा कमाई भी नहीं कर पाता है. घर में रहने वाले सभी के लिए खाना भी मुश्किल से जुटा पाता है. तीन बेटियों का विवाह भी करवाना अभी शेष है. ऐसे में यह चौथी बेटी को वह कैसे पालेगा. इसी बात को लेकर वह अस्पताल में परेशान था. तभी किसी ने उसे सलाह दी कि वह बच्ची को किसी जरूरत मंद को सौंप दें और वह तैयार भी हो गया. लेकिन जबतक बच्ची को वह उन लोगों को सौंपता तब तक कई लोगों ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया. अंत में उसने फैसला लिया कि वह बच्ची को किसी अच्छी संस्था को सौंप देगा.
आर्थिक तंगी से मजबूर होकर नवजात को विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान को सौंपा
बेटे की आस में जन्म दिया था संतान को बेटी देखकर हुई निराशा
पहले स्थानीय लाेगों को किया गोद देने का प्रयास, बाद में सौंपा एनजीओ को