प्रधानमंत्री के मन की बात से रेडियो को मिली संजीवनी

नये पीढ़ी को बतानी होती है खासियत समय के इस बदलते दौर में लोगों की बदल गयी है ख्वाहिश अब स्मार्ट फोन ने बढ़ा दी है दूरी मधेपुरा : तकनीकी युग के बढ़ते प्रभाव से सामान्य जीवन शैली भी प्रभावित होने लगी है. नये-नये आविष्कार अब जिंदगी की जरूरत बन गयी है. इस आधुनिक विकास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2018 5:34 AM

नये पीढ़ी को बतानी होती है खासियत

समय के इस बदलते दौर में लोगों की बदल गयी है ख्वाहिश
अब स्मार्ट फोन ने बढ़ा दी है दूरी
मधेपुरा : तकनीकी युग के बढ़ते प्रभाव से सामान्य जीवन शैली भी प्रभावित होने लगी है. नये-नये आविष्कार अब जिंदगी की जरूरत बन गयी है. इस आधुनिक विकास के बीच कुछ पारंपरिक चीजे अब इतिहास बनने लगी है. इन्हीं में से एक रेडियो की सुरीली आवाज भी है.
पहले के समय में रेडियो पर समाचार सुनने के लिए लोग शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में एक जगह इकट्ठा होकर दर्जनों की संख्या में बैठ कर समाचार सुनते थे. ऑल इंडिया रेडियो, विविध भारती हो या पटना का प्रादेशिक समाचार, मनोरंजन से लेकर ज्ञान बर्द्धक बातें बड़े ही गौर से सुना करते थे. समय के इस बदलते दौर में लोगों की ख्वाहिश भी बदल गयी और लोग अब सोशल मीडिया में व्यस्त रहने लगे हैं.
आलम ये है कि जहां पहले हर घर में रेडियो मिलता था, वहां लोग टीवी, मोबाइल व इंटरनेट से जुड़े रहते हैं. इन सब के बीच रेडियो का वजूद खत्म होता दिख रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम के जरिये रेडियो को पुन: जन सामान्य से जुड़ने का अवसर मिला है.
रेडियो ने पाट दी थी दूरी
पहले के जमाने में रेडियो पर समाचार प्रसारित होने के समय गांव से लेकर शहर तक में परिवार के सभी वर्ग के लोग एक साथ बैठकर देश दुनिया के हालात पर चर्चा करते थे. अब स्मार्ट फोन ने दूरी बढ़ा दी है. लोग अपने-अपने मोबाइल के साथ अलग जगहों पर एकांत में बैठे रहते है. इतना ही नहीं पास होने पर भी स्वयं में गुम हो जाते है. समाज में बढ़ रही दूरी को रोकने में रेडियो मजबूत हथियार के रूप में मददगार हो सकती है.
टीवी ने तोड़ा रेडियो का वर्चस्व
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