लखीसराय : खुलेआम पत्थर का हो रहा है अवैध उत्खनन

चानन : सरकार के द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर पर्यावरण को बचाने के लिए लाखों पेड़ प्रत्येक वर्ष जंगलों तथा जंगलों के आसपास लगाये जा रहे हैं. जिससे वन्य प्राणी और पर्यावरण संतुलित रखा जा सके, लेकिन चंद पैसों की लालच में पत्थर व वन माफियाओं के द्वारा प्रखंड के विभिन्न स्थानों पपर जंगलों तथा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2018 5:48 AM
चानन : सरकार के द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर पर्यावरण को बचाने के लिए लाखों पेड़ प्रत्येक वर्ष जंगलों तथा जंगलों के आसपास लगाये जा रहे हैं. जिससे वन्य प्राणी और पर्यावरण संतुलित रखा जा सके, लेकिन चंद पैसों की लालच में पत्थर व वन माफियाओं के द्वारा प्रखंड के विभिन्न स्थानों पपर जंगलों तथा जंगल के बाहर पेड़ों को काट पत्थर तोड़ने के लिए डायनामाइट का इस्तेमाल कर पत्थर का अवैध उत्खनन किया जा रहा है. जिससे आसपास में लगे पेड़ भी गिर जा रहे हैं.
इससे माफियाओं को दो तरफा फायदा हो रहा है एक तरफ उन्हें आसानी से लकड़ी उपलब्ध हो रही तो दूसरी तरफ पत्थर मिल रहा है. जबकि क्षेत्र में पत्थर के उत्खनन व पेड़ों के काटे जाने पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगी हुई है. इसके बावजूद पत्थर माफिया पहाड़ों को तोड़ने में लगे हुए हैं और यहां से निकलने वाली पत्थर को आसपास के क्षेत्र में रात के अंधेरे में चोरी छिपे बेच भी रहे हैं. प्रखंड के चरका पत्थर पहाड़ी, बरारे मुसहरी, लक्ष्मीनियां, जानकीडीह, बेलदरिया, बासकुंड डैम,महजनवा कोड़ासी, चेहरौन कोड़ासी, मननपुर गांव, गजियागढ़ी, गोपालपुर, कुंदर, जगुआजोर सहित दर्जन भर जगहों पर पत्थर माफियाओं के द्वारा एवं वन माफियाओं के द्वारा खुलेआम इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है.
जिससे पर्यावरण को हमेशा खतरा बना रहता है. क्षेत्र के चर्चाओं के अनुसार सीआरपीएफ कैंप बन्नूबगीचा से मात्र आधे किलोमीटर की दूरी पर दिन के उजाले में ही अवैध पत्थर उत्खनन कार्य किया जाता है. इस संबंध में पुलिस व वन विभाग को सूचना रहने पर भी इस दिशा में कार्रवाई नहीं होना लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.
लोगों के अनुसार इस क्षेत्र में सिर्फ कांबिंग के दौरान ही कोई पदाधिकारी प्रवेश करते हैं और उस वक्त माफिया अपना काम समेट कर अलग हो जाते हैं. वन विभाग के पदाधिकारी तो इस दिशा में शायद ही कभी भ्रमण करते हों. जिससे इनका मनोबल बढ़ा हुआ रहता है. लोगों के अनुसार सारा काम बिना किसी रोक ठोक के विगत चार वर्षों से बदस्तूर जारी है. ग्रामीण सड़कों के निर्माण में भी संवेदक द्वारा स्थानीय पहाड़ों के पत्थर का उपयोग किया जाता है. इस संबंध में वन विभाग के रेंजर संजीव कुमार से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यह बात उनके संज्ञान में नहीं है, वे पता कर इस दिशा में आगे की कार्रवाई करेंगे.

Next Article

Exit mobile version