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कुसहा त्रासदी वर्ष 2008 में भरही धार पर बने लोहे का पुल हुआ था ध्वस्त आज तक नहीं बना पुल

आलमनगर : कोसी के जलस्तर में बुधवार की रात वृद्धि होने से भरही धार में बनाया गया. डायवर्सन पर पानी आ जाने से आवागमन बाधित हो गया है. भरही धार के उस और बसे कटाव से विस्थापित परिवारों के लगभग 200 बच्चे इस धार को पार कर सोनामुखी के नजदीक चल रहे विद्यालय में शिक्षा […]

आलमनगर : कोसी के जलस्तर में बुधवार की रात वृद्धि होने से भरही धार में बनाया गया. डायवर्सन पर पानी आ जाने से आवागमन बाधित हो गया है. भरही धार के उस और बसे कटाव से विस्थापित परिवारों के लगभग 200 बच्चे इस धार को पार कर सोनामुखी के नजदीक चल रहे विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने आते हैं.

परंतु बुधवार की रात कोसी के जलस्तर में अत्यधिक वृद्धि होने से भरही धार पर स्थानीय लोगों के द्वारा आवागमन हेतु बनाये गये डायर्वसन पर पानी आ जाने से स्कूली छात्र-छात्रा पानी से गुजर कर विद्यालय जमाने को विवश है. इस बाबत मुरोत के विस्थापित धर्मेंद्र सिंह,कैलाश सिंह, वीरेंद्र सिंह, बालेश्वर सिंह,भूपेंद्र सिंह सहित अन्य लोगों ने बताया कि बार बार पुल की मांग स्थानीय जनप्रतिनिधियों से की गई. परंतु आज तक आश्वासन के शिवा कुछ नहीं मिला. हम लोग अपने बच्चों को जान जोखिम में डालकर कैसे शिक्षा दें अनहोनी की आशंका बनी रहती है. ऐसे में हम लोग अपने बच्चों को 5 महीने तक स्कूल भेजने से कतराते रहते हैं क्योंकि नाव ही आवागमन का सहारा रहता है. नाव पर बच्चों को विद्यालय भेजना खतरों से भरी रहती है ऐसे में हमारे बच्चे शिक्षा ग्रहण करने से वंचित रह जाते हैं.

ज्ञात हो कि कुसहा त्रासदी वर्ष 2008 में भरही धार पर बने लोहे का पुल ध्वस्त हो गया था जो आज तक नहीं बन पाया.
जल संसाधन विभाग ने 20 करोड़ से अधिक राशि किया खर्च, नहीं बच पाया मुरोत. मुरोत गांव पर 1995 से कोसी नदी ने लोगों के हजारों एकड़ खेती योग्य उपजाउ भूमि को अपने आगोश में ले ली. वर्ष 2002 से कोसी ने मुरौत गांव पर कहर बनकर टूटना शुरू किया. कटाव पीड़ित के मांगों पर बचाव के लिए मुरौत वासियों को स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा कटाव से निजात दिलाने का बार -बार आश्वासन दी गया. अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों का कटाव पीड़ितों के प्रति सहानुभूति का दौरा वर्ष दर वर्ष चलता रहा.
परंतु मुरोत कटता रहा. हालांकि जल संसाधन विभाग द्वारा वर्ष 1998 से 2008 तक नायलॉन प्रोजेक्ट, बंबू प्रोजेक्ट ,पायलट प्रोजेक्ट योजना चलाती रही. लगभग 20 करोड़ की राशि मुरोत को कटाव से बचाने नाम पर खर्च कर दी गई. फिर भी मुरोत गांव नहीं बच पाया. हालांकि अधिकारी एवं संवेदक मालामाल होते रहे लोग अपने आशियानों को अपने हाथों से तोड़कर विस्थापित की जिंदगी जीने को विवश है.
खानाबदोश की जिंदगी गुजारने को विवश विस्थापित परिवार. बच्चों की शिक्षा देने के बावत अभिभावकों ने मध्य विद्यालय मुरोत जो कोसी के कटाव में कट गई थी दोनों ओर के लोगों ने अपनी ओर करने में लग गये. भरही धार के दोनों ओर से विस्थापित लोग कटे हुये विद्यालय को भरही धार के इस और तो आधी उस और की लड़ाई लड़ने लगे. अधिकारियों का दौरा शुरू हुआ. विद्यालय सोनामुखी में शिफ्ट हो गया. फिर लोगों द्वारा जमीन देकर बांस का घर बनाकर सोनामुखी के पास विद्यालय में पठन पाठन शुरू किया गया. परंतु भरही धार के पार बसे बच्चों के अभिभावक और विद्यालय चलाने की मांग को लेकर अपनी लड़ाई जारी रखी.
विवाद इतना बढ़ा कि सामाजिक रूप से कटाव पीड़ित दो धरे में बंट गये. कोसी मैया की मंदिर दो जगहों पर हो गई मेला दो जगहों पर विभक्त हो गया. परंतु आज भी कोसी के कटाव से विस्थापित परिवारों को पुनर्वासित नहीं किया गया. सिर्फ कोरे आश्वासन के सहारे खानाबदोश की जिंदगी गुजारने को विस्थापित परिवार विवश है.
विद्यालय सहित मंदिर को लील लिया कोसी ने. कोसी के कटाव में मुरोत स्थित मध्य विद्यालय सहित कोसी मैया का प्राचीन मंदिर को भी कोसी ने अपने आगोश में समेट लिया. मुरोत वासी का मुख्य आस्था कोशिकी मैया का पूजा है. इस मंदिर के प्रांगण में पूसी पूर्णिमा पर भव्य मेला का आयोजन होता था. परंतु कोसी ने सबको लील ली. यहां तक की कटाव का दंश मुरोतवासी के सौहार्द पूर्ण वातावरण को भी उजाड़ दिया. मंदिर के कट जाने से कोसी ने सामाजिक बटवारा भी कर दिया. कटाव से पीड़ित लगभग पांच सौ परिवार भरही धार के इस पार सोनामुखी के नजदीक प्रधानमंत्री सड़क को अपना आशियाना बनाकर विस्थापित की जिंदगी जीने को मजबूर हो गये. वहीं आधी विस्थापित परिवार भरही धार के उस पार विस्थापित की जिंदगी जीने लगे.
कोसी का दंश पीढ़ी दर पीढ़ी भुगतने को मजबुर, शिक्षा से विंचित रह जाते है छात्र
आलगनगर प्रखंड के मुरौत गांव जिसका अस्तित्व कोसी के कटाव ने लगभग समाप्त कर दिया है इसके बावजूद भी कोसी का दंश पीढ़ी दर पीढ़ी मुरोत वासी झेलने को मजबूर हैं. लोग अपने बच्चों को शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं. कोसी के कहर से सैकड़ों बच्चों शिक्षा से वंचित रहने पर विवश है. जैसे ही कोसी नदी का जलस्तर का बढ़ना जब शुरू होता है स्कूली बच्चों का पढ़ाई बाधित हो जाती है. कोसी के पानी में वृद्धि होने से स्कूली बच्चों के समक्ष समस्या इस वर्ष भी उत्पन्न हो गई है. स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को विवश है. रतवारा पंचायत का मुरोत गांव आर्थिक सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से कभी संपन्न गांव था. मुरोत गांव पांच वार्ड में विभक्त था. जहां लगभग सात हजार की जनसंख्या निवास करती थी.

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