नगर सरकार की मेहरबानी, नहीं सुधरी रैंकिंग, गंदगी से पटा रहता है शहर

मधेपुरा : राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में यूं तो सूबे के किसी शहर की रैकिंग संतोष जनक नहीं आयी है. अपना मधेपुरा शहर भी इसमें फिसड्डी ही रहा है. पिछले वर्ष भी मधेपुरा नगर की रैकिंग तीन सौ के पार ही रही थी. बावजूद इसके नप ने इस वर्ष भी अपनी स्वच्छ्ता रैकिंग सुधारने की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2019 7:40 AM

मधेपुरा : राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में यूं तो सूबे के किसी शहर की रैकिंग संतोष जनक नहीं आयी है. अपना मधेपुरा शहर भी इसमें फिसड्डी ही रहा है. पिछले वर्ष भी मधेपुरा नगर की रैकिंग तीन सौ के पार ही रही थी. बावजूद इसके नप ने इस वर्ष भी अपनी स्वच्छ्ता रैकिंग सुधारने की कोशिश नहीं की.

नतीजा एक बार फिर सिफर ही रहा. मालूम हो कि स्वच्छ्ता अभियान की शुरूआत के बाद हर वर्ष केंद्र सरकार बेहतर साफ-सफाई के आधार पर सर्वेक्षण कर अंको के आधार पर शहरों को रैकिंग देती है. साथ ही संबंधित निकाय सरकार को सम्मानित भी करती है. वहीं नप की अकर्मण्यता व सुस्त रवैया के कारण मधेपुरा नप की पिछड़ती रैकिंग से शहर वासियों की किरकिरी होती है.
मधेपुरा की रैकिंग 298: इस वर्ष केंद्र सरकार द्वारा जारी रैकिंग में मधेपुरा नगर परिषद की कलई पूरी तरीके से खुल गई है. जारी रैकिंग में मधेपुरा नप को 298 रैकिंग मिली है, जबकि स्कोर 1269 मिला है. ज्ञात हो कि नगर पंचायत मुरलीगंज की स्थिति इस वर्ष के सर्वेक्षण में मधेपुरा से बेहतर रही है. मुरलीगंज की रैकिंग 266 है. वहीं स्कोर 1405 है.
मधेपुरा नप ने किया निराश: शहर के नालों में जमा पानी,सड़क किनारे जमा कूड़ा-कचरा का अंबार, हर घर नल योजना की असफलता व जर्जर सड़क ने मधेपुरा की रैकिंग नीचा रखने में विशेष भूमिका निभाई है. हालांकि इन समस्याओं के समाधान के लिए सफाई मद में प्रत्येक वर्ष करोड़ों रूपये खर्च किये गये है.
पानी की तरह बहाया जाता हैं पैसा: शहर को साफ- सुथरा और स्वच्छ रखने के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार कई योजना चला रही है. सरकार द्वारा राशि देने में कोई कोताही नहीं बरती जाती है. बावजूद इसके साफ-सफाई के नाम पर नप द्वारा सिर्फ खानापूर्ति ही की जाती है. जबकि साफ-सफाई के नाम पर पैसा पानी की तरह बहाया जाता है. लेकिन नतीजा सकारात्मक नहीं निकलता है.
सफाई मशीन व वाहन का नहीं होता प्रयोग
सफाई कार्य के लाखों की कीमत के वाहन व मशीन नप कार्यालय परिसर में यूं ही रखे हुए हैं. इसका उपयोग नहीं किये जाने से वाहन व मशीनों में जंग लग रहा है. नप परिसर में रखी स्वीप वाहन, ट्रेक्टर, फॉगिंग मशीन का का उपयोग यदा-कदा ही होता है.
बोर्ड की बैठक में भी साफ-सफाई को लेकर हर माह नई-नई रणनीति बनती है. लाखों-करोड़ो के खर्च की राशि भी बोर्ड की बैठक में पास हो जाती है, लेकिन धरातल पर साफ-सफाई की दिशा में नप द्वारा लापरवाही व उदासीनता ही बरती जाती है. शहरवासियों का कहना है कि कागज पर ही नप के अधिकारी व जनप्रतिनिधि शहर का विकास कर लेते हैं.

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