स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति बदतर, लोगों में आक्रोश

शंकरपुर : प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायतों में बने स्वास्थ्य उपकेंद्र में कर्मी नहीं रहने के कारण स्वास्थ्य उपकेंद्र परिसर में बने भवन जानवरों का बसेरा बना हुआ है. मालूम हो कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शंकरपुर के अंतर्गत 16 सवसेंटर है व चार स्वास्थ्य उपकेंद्र जो जिरवा मधैली पंचायत के मधैली बाजार, मोरा कबियाही पंचायत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 23, 2019 4:24 AM

शंकरपुर : प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायतों में बने स्वास्थ्य उपकेंद्र में कर्मी नहीं रहने के कारण स्वास्थ्य उपकेंद्र परिसर में बने भवन जानवरों का बसेरा बना हुआ है. मालूम हो कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शंकरपुर के अंतर्गत 16 सवसेंटर है व चार स्वास्थ्य उपकेंद्र जो जिरवा मधैली पंचायत के मधैली बाजार, मोरा कबियाही पंचायत के मोरा रामनगर मोरा, झरकाहा पंचायत के चोरहा और परसा पंचायत के बथान परसा में उप स्वास्थ केंद्र को भवन भी है, लेकिन जिला प्रशासन की उदासीनता यह है. 16 उप स्वास्थ केंद्र होने के बावजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शंकरपुर में मात्र तीन डॉक्टर के भरोसे चलता है.

इस कारण आये दिन स्वास्थ्य केंद्र शंकरपुर में रोगी की संख्या बढ़ने पर अफरा-तफरी का माहौल बना रहता है. प्रखंड क्षेत्र के स्वास्थ्य उपकेंद्र का संचालन नहीं होने से नराजगी व्यक्त करते हुये ग्रामीण प्रकाश दास, बिजेंद्र यादव, पप्पू कुमार, विनोद यादव, अरुण यादव ने कहा कि अगर उप स्वास्थ्य केंद्र पर कर्मी उपलब्ध रहता प्रखंड क्षेत्र के लोगों का कम से कम प्राथमिक उपचार तो हो पता.
लेकिन चारों स्वास्थ्य उप केंद्र बंद रहने के कारण प्राथमिकी उपचार के लिए भी लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ता है, जबकि एएनएम सृजित पद 42 है. नौ डाॅक्टर के सृजित पद के जगह तीन डॉक्टर है. जिसमें दो आयुष डॉक्टर है. डैसर का एक पद जो खाली है. फर्मासिस्ट पद खाली लेडिज कंपाउंडर का एक पद है. लेकिन खाली एक ग्रेंड का चार पद सृजित जो खाली है.
कहते हैं ग्रामीण: स्वास्थ्य केंद्र की लचर व्यवस्था पर आक्रोश व्यक्त करते हुए हिरो यादव, आलोक यादव, केंदुला देवी, श्यामवती देवी, निर्मला देवी, तेलिया देवी, देवेंद्र साह, सिकेंद्र ठाकुर, दिपक ऋषिदेव, अशोक यादव, अनील यादव सहित कई ग्रामीणों ने बताया कि मधैली सहित अन्य जगहों पर बने स्वास्थ्य उपकेंद्र में स्वास्थ्य कर्मी नदारत रहने से लोगों को प्राथमिक चिकित्सा का लाभ नहीं मिल पाता है.
जबकि जिला के आलाधिकारी के द्वारा कई बार लोगों को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने को लेकर स्वास्थ्य उपकेंद्र में कर्मी की अनिवार्यता का आदेश दिया गया था. लेकिन वह भी आदेश आदेश ही बन कर रह गया.
जब जिले के आलाधिकारी का स्वास्थ्य केंद्र के लिए जांच होने की संभव होती है, तो उस समय स्वास्थ्य केंद्र चकाचक भी रहते है और स्वास्थ्य कर्मी भी नजर आते है. ऐसा कई बार जांच के समय देखा भी गया है. ड्यूटी रोसटर चाट तो बनाया गया, लेकिन कर्मी ड्यूटी चार्ट के अनुसार कर्मी नदारत दिखते हैं.

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