गोशाला समिति व नप की लापरवाही, सड़कों पर विचरण करते पशुओं की नहीं होती रखवाली
अमित अंशु, मधेपुरा : गोशाला समिति व नगर परिषद की लापरवाही के कारण शहर की सड़कों पर विचरण करते आवारा पशुओं की रखवाली नहीं होती है. शहर में सड़क पर घूम रही गायों के रख रखाव की समूचित व्यवस्था नहीं है. शहर की सड़क पर ये गो माता बेआसरा होकर जहां तहां भटकती रहती हैं […]
अमित अंशु, मधेपुरा : गोशाला समिति व नगर परिषद की लापरवाही के कारण शहर की सड़कों पर विचरण करते आवारा पशुओं की रखवाली नहीं होती है. शहर में सड़क पर घूम रही गायों के रख रखाव की समूचित व्यवस्था नहीं है.
शहर की सड़क पर ये गो माता बेआसरा होकर जहां तहां भटकती रहती हैं और इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं. नगर परिषद क्षेत्र में प्रमुख समस्याओं में से यह भी एक जटिल समस्या है, जो वर्षों से लेकर अब तक बरकरार है. एक तरफ गोमाता की रक्षा के लिए पूरे देश में अभियान चलाया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ शहर की सड़क पर ये गो माता बेआसरा हो कर जहां तहां भटकती रहती हैं और इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं.
ऐसा नहीं है कि मधेपुरा शहर में गोमाता की रक्षा के लिये आवाज उठाने वाले नहीं है, लेकिन इन गोमाता को देखने और रखरखाव की यहां कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. शहर में सब्जी दुकानों के आसपास ये गायें मंडराती रहती हैं. सड़ी-गली सब्जी पर ही ये गायें भोजन के लिए निर्भर हैं. दुखद है कि पॉलिथीन भी खाते रहने के कारण इन गायों की मौत बड़ी दर्दनाक होती है. वहीं कभी किसी दुकान पर मौजूद सब्जी में मुंह लगा देने पर सब्जी वाले और ग्राहक इन्हें भगाते रहते हैं.
विडंबना है कि इस ओर न गो रक्षा के पैरोकार का ध्यान गया है न ही प्रशासन का. इस बाबत नगर परिषद के अधिकारी कहते हैं कि इसके रखवाली के लिए सरकार की ओर से राशि निर्गत की जाती है. गोशाला के अधिकारी कहते है कि पशुओं के रख रखाव के लिए राशि निर्गत नहीं की जाती है. आगे कहा कि पशुओं को गोशाला तक लाने के जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है.
पांच दर्जन से अधिक पशु सड़क पर हैं घूम रहे: केवल शहर की सड़कों पर पांच दर्जन से अधिक पशु इधर उधर घूमते रहते हैं. रात में भी इन गायों का ठिकाना सड़क ही होता है. रात होते ही पूरे शहर में जगह-जगह पर एक साथ गोलबंद होकर इन गायों को बैठे अक्सर देखा जा सकता है.
दिन निकलते ही भोजन की तलाश इन्हें सब्जी बाजार की ओर खींच लाती है. वहीं कुछ गायें कूड़े-कचरे की ढेर में पॉलिथीन में रखी खाद्य सामग्री को पॉलीथिन सहित खा लेती हैं. सड़क पर जहां तहां बैठने के कारण सड़क पर लोगों को गुजरने में परेशानी होती है. कभी-कभी गाड़ी से गायों को धक्का भी लग जाता है. जिसमें ये घायल हो जाती हैं.
सड़क पर रहने वाली ये गायें हर मौसम का मार झेलती हैं. सर्दी, गर्मी हो या बरसात, इन गायों के नसीब में छत नहीं है. किसी खाली दुकान के शेड के नीचे या फिर बरसात में भींगते रहना इनकी नियती है. कहीं-कहीं तो ऐसा भी देखा गया है कि गाय सड़क पर बच्चे को जन्म दे देती है. जिसके बाद स्थानीय लोगों द्वारा उसे सड़क के किनारे कर फिर वहीं छोड़ दिया जाता है.
गाय को बेहरमी के साथ पीटने से भी परहेज नहीं : गाय को हिंदू धर्म में पवित्र माना गया है, लेकिन ये गाय भोजन के लिए बाजार पर निर्भर हैं. बाजार में सड़ी गली सब्जियों के भरोसे इनका भोजन होता है. दुखद है कि पॉलिथीन भी खाते रहने के कारण इन गायों की मौत बड़ी दर्दनाक होती है. वहीं कभी किसी दुकान पर मौजूद सब्जी में मुंह लगा देने पर सब्जी वाले और ग्राहक इन्हें भगाते रहते हैं. आलम यह है कि दुकानदार गायों को बेहरमी के साथ पीटने से भी परहेज नहीं करते है.
पशु को घेर कर रखने के लिए नहीं है अगरगरहा की व्यवस्था: लोग कहते हैं कि गोमाता की रक्षा करना हमारा धर्म है, लेकिन नगर परिषद क्षेत्र में स्थान मुहैया नहीं होने के कारण पशु को घेर कर रखने का स्थान यानी अगरगरहा नहीं बनाया गया है. नतीजन शहर के सभी मुख्य मार्गों पर गायें विरचरण करते रहती है. पूर्णिया गौला चौक से लेकर सुभाष चौक तक सड़क पर गायों की संख्या अत्याधिक देखी जाती है.
शहर में घुम रहे गाय व आवारा पशु के लिए गोशाला का पर्याप्त जमीन है. सरकारी के द्वारा इसे रखने के लिये अलग से फंड भी दिया जाता है. पशुओं को रखने के लिए शेड बनवाया गया. इस बाबत पूर्व में भी गोशाला प्रबंधन के समक्ष बात रखी गयी थी और पशुओं को शेड में रखने की बात भी कही गयी थी. पुन: गोशाला प्रबंधन से उपरोक्त विषय में वार्ता की जायेगी.
प्रवीण कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, मधेपुरा
गाय मालिकों को सचेत करे नगर परिषद
लोगों का कहना हुआ कि इन गायों के सड़क पर खड़े हो जाने से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. नगर परिषद को इन गाय के मालिकों को सचेत करना चाहिए कि वे गायों को खूंटे में बांध कर रखें अन्यथा नगर परिषद के चारागाह में भेज दिया जायेगा. सड़क पर गाय की संख्या ज्यादा रहती है. सुभाष चौक पर बीच सड़क से गाय झूंड में गुजरती है. सड़क की दोनों तरफ से वाहन चालकों का हार्न भी इन्हें हटाने में नाकाम साबित होती है.
इस बीच यहां वाहन सवार खासकर बाइक चालक दुघर्टनाग्रस्त हो जाते है. पानी टंकी चौक व थाना चौक के आस-पास दिन भर गायें विचरण करते रहती है. इसी इलाके में सदर अस्पताल होने के कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं शहर में खरीदारी करने वालों में खासकर महिलाओं के लिए ये गाये परेशानी का सबब बन जाती है.
शहर में घुम रही पशुओं को पकड़ कर गोशाला पहुंचाना जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है. यह गोशाला का नहीं है. जिला प्रशासन पशुओं को पकड़ कर गोशाला पहुंचाएं. साथ ही उनके रख रखाव व खाने पीने के लिए होने वाले खर्च मुहैया करवायें. क्योंकि रख-रखाव व खाने के लिए अलग से राशि की व्यवस्था नहीं है. राशि मिलने के बाद पशुओं को रखने में हमें कोई परेशानी नहीं है.
पृथ्वी राज यदुवंशी, सचिव, गोशाला समिति मधेपुरा