घंटों जाम रही सड़क

मधेपुरा : सरकार की योजना धरातल पर नहीं पहुंचने का आरोप लगाते हुए भाकपा कार्यकर्ताओं ने एनएच 107 को घंटो जाम किया. प्रदर्शनकारी सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों से पंचायत स्तर पर धान खरीद शीघ्र सुनिश्चित करने, सरकार द्वारा निर्धारित दर पर किसानों को रासायनिक खाद्य मुहैया कराने,यूरिया की किल्लत को दूर करने बढ़ते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2014 12:05 PM

मधेपुरा : सरकार की योजना धरातल पर नहीं पहुंचने का आरोप लगाते हुए भाकपा कार्यकर्ताओं ने एनएच 107 को घंटो जाम किया. प्रदर्शनकारी सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों से पंचायत स्तर पर धान खरीद शीघ्र सुनिश्चित करने, सरकार द्वारा निर्धारित दर पर किसानों को रासायनिक खाद्य मुहैया कराने,यूरिया की किल्लत को दूर करने बढ़ते अपराध पर रोक लगाने, जले ट्रांसफारमर व टूटे तार को बदलने आदि समस्या को जल्द ठीक करने की मांग कर रहे थे.

ज्ञात हो कि सहरसा पूर्णिया मुख्य मार्ग को बुधमा चौक स्थित भाकपा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सड़क को जाम कर यातायात पूरी तरह घंटों बाधित कर दिया. वहीं कार्यकर्ताओं ने धान एवं टायर जला कर सरकार व प्रशासन के विरुद्ध जम कर नारे बाजी किया. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भाकपा के जिला मंत्री प्रमोद प्रभाकर केंद्र की मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए राज्य की मांझी सरकार एवं जिला प्रशासन को किसानों के प्रति लापरवाह बताया. उन्होंने कहा कि रब्बी फसल की बुआई के कारण 80 प्रतिशत किसानों कम दाम में धान को बेचने पर विवश हुआ. लेकिन आज तक सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर धान की खरीद शुरू नहीं हुई. खाद की कालाबाजारी हो रही है. जिले में बढ़ते अपराध व लूट की घटना में लोगों का जीना दूभर कर दिया है.

भाकपा के अंचल मंत्री नवीन कुमार एवं मुरलीगंज अंचल मंत्री रमण कुमार ने बुधमा के वार्ड (11) में एवं पोखराम के वार्ड नंबर तीन चार में जले ट्रांसफारमर तथा बुधमा से लख राज के बीच टूटे बिजली तार को शीघ्र बदलने की मांग प्रशासन से की. वहीं अंचलाधिकारी उदय कृष्ण यादव एवं भर्राही पुलिस के आग्रह पर जाम को हटाया गया. बाद में पांच सदस्यी प्रतिनिधि मंडल मिल कर जिला पदाधिकारी को 13 सूत्री मांगों के समर्थन में एक ज्ञापन सौंपा गया. मौके पर भाकपा नेता विष्णुदेव मेहता, शैलेंद्र कुमार, विद्याधर मुखिया, विरेंद्र नारायण सिंह, मो जहागिर, विष्णुदेव मेहता, मोहन सिंह, टुकेंदर यादव, मंजुर आलम, श्याम यादव, शंभु यादव आदि सैकड़ों की संख्या में किसान व मजदूर शामिल थे.

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