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जीवन में संघर्ष का हौसला देती है मां

मधेपुरा : जिले स्थित रासबिहारी विद्यालय + 2 के बगल में स्थित महादलित बस्ती है, जिसमें एक ऐसी मां रहती है जो अपने बच्चे के लिए कुछ भी करने को तैयार है. अपने जिंदगी के सफर में 35 वर्षीय समतोलिया देवी अपने 14 वर्षीय पुत्र नीरज मल्लिक को पति नारायण मल्लिक के 12 वर्ष पूर्व […]

मधेपुरा : जिले स्थित रासबिहारी विद्यालय + 2 के बगल में स्थित महादलित बस्ती है, जिसमें एक ऐसी मां रहती है जो अपने बच्चे के लिए कुछ भी करने को तैयार है. अपने जिंदगी के सफर में 35 वर्षीय समतोलिया देवी अपने 14 वर्षीय पुत्र नीरज मल्लिक को पति नारायण मल्लिक के 12 वर्ष पूर्व ही गुजर जाने के बाद से लेकर अब अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने बच्चे की परवरिश कर रही है.

उस समय मात्र नीरज दो वर्ष का था. बिना किसी सहायता के अब तक समतोलिया देवी अपने बच्चे का कठिन परिस्थितियों पूरा ख्यालय रखती और नीरज को पढ़ाती हैं. नीरज जिले के अभ्यास मध्य विद्यालय में कक्षा सात का छात्र है. यह मां दिन भर लोगों के घर में झाड़ू पोछा एवं जूठे वर्तन साफ कर कुछ पैसे जमा करती है और अपने बच्चे को पढ़ाती है. इस लालन पालन के दौरान यदि कुछ सहायता भी मिला तो विधवा पेंशन जो दो सौ रुपये महीने की दर से मिलता है. इतने पैसे में वह दो जिंदगी गुजारना कठिन प्रतीत होता है, लेकिन जिंदगी के दर्द को भूलकर यह मां अपने बच्चे को पढ़ा रही है.

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