पशुपालकों ने की गोवर्द्धन पूजा

पशुपालकों ने की गोवर्द्धन पूजा प्रतिनिधि, मधेपुरा कृषि एवं पशु धन को सम्मान देने का पशुपालकों का प्रमुख पर्व गोवर्द्धन पूजा गुरुवार को जोर-शोर से की गयी. पशुपालक अपने पशुधन की पूजा अर्चना किये. पशुओं के रहने का स्थान से उनके लिए रस्सियों से ले कर घंटियों तक को बदला गया. इस दौरान बाजार में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2015 8:14 PM

पशुपालकों ने की गोवर्द्धन पूजा प्रतिनिधि, मधेपुरा कृषि एवं पशु धन को सम्मान देने का पशुपालकों का प्रमुख पर्व गोवर्द्धन पूजा गुरुवार को जोर-शोर से की गयी. पशुपालक अपने पशुधन की पूजा अर्चना किये. पशुओं के रहने का स्थान से उनके लिए रस्सियों से ले कर घंटियों तक को बदला गया. इस दौरान बाजार में एक से बढ कर एक माला और घंटियां मौजूद थे. धार्मिक मान्यता है कि ब्रज में आज के ही दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पशुपालकों को इंद्र के कोप से बचाया था. उस दिन से हर वर्ष पशुपालक गोवर्द्धन पूजा करते हैं. पशुपालकों ने पशुओं को रंग-बिरंगे माला व डोरी से सजाया. कृषक परिवार की स्त्रियां बैल, हल, नाद, खेत आदि का प्रतिरूप गोबर से बना कर उनकी पूजा अर्चना की. ऐसी मान्यता है कि इस पूजन से पशुधन में वृद्धि होती है. वैज्ञानिक पहलू भी हैगोवर्द्धन पूजा का वैज्ञानिक पहलू भी है. कार्तिक मास वर्षा एवं शरद ॠतु का संक्रमण काल होता है. पशुधन के शरीर में वर्षा ॠतु में जो कीटाणु एवं विषाणु पनप जाते हैं उससे मुक्ति दिलाने के लिए तथा आगामी शरद ॠतु में पशुओं में प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने हेतु इस पर्व में पशुओं को औषधियां दी जाती हैं. इसमें बर, बकेन, महानिद, कच्ची हलदी, हरी मिर्च आदि प्रमुख होते हैं.ग्वालपाड़ा प्रतिनिधि अनुसार, तिथि कब्य चिंता मणी पुरान के अनुसार कार्तिक शुक्ल परिव को प्रात: काल में गोवर्द्धन पूजा किया जाता है. इसमें गांव माता की पूजा अर्चना होती है. गुरूवार को प्रखंड क्षेत्र में पशुपालकों ने धूम धाम से पर्व को मनाया. गांव पालकों द्वारा गोबर से गोवर्द्धन की मूर्ति बनाकर पीले रंग के फुल, अच्छत एवं दुभ से मंत्रोचार के साथ पूजा अर्चना किया गया. गो पालकों का मनाना है कि गोवर्द्धन पूजा से मवेशियों में वृद्धि होती है.

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