अनुमंडल का कई थाना व ओपी भवन विहीन

अनुमंडल का कई थाना व ओपी भवन विहीन फोटो – मधेपुरा 05कैप्शन – ग्वालपाड़ा थाना का फोटो प्रतिनिधि, उदाकिशुनगंज अनुमंडल के कई थानों के अलावे ओपी को स्थापना के बाद आज तक जमीन व भवन नसीब नहीं हो सका है. फलस्वरूप पुलिस को काफी कठिनाइयां हो रही है. अनुमंडल के ग्वालपाड़ा थाना की स्थापना 19 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2015 6:41 PM

अनुमंडल का कई थाना व ओपी भवन विहीन फोटो – मधेपुरा 05कैप्शन – ग्वालपाड़ा थाना का फोटो प्रतिनिधि, उदाकिशुनगंज अनुमंडल के कई थानों के अलावे ओपी को स्थापना के बाद आज तक जमीन व भवन नसीब नहीं हो सका है. फलस्वरूप पुलिस को काफी कठिनाइयां हो रही है. अनुमंडल के ग्वालपाड़ा थाना की स्थापना 19 सितंबर 1995 को की गयी थी. किंतु 20 वर्ष गुजर जाने के बावजूद भी न तो जमीन उपलब्ध हो सकी और न तो निजी भवन. ऐसी स्थिति में थाना का काम सामुदायिक विकास भवन में चल रहा है. जिसमें एक बड़ा व दो छोटा – छोटा कमरा है. एक कमरा में हाजत चलाया जा रहा है. पुलिस पदाधिकारियों को रहने के लिए आवासीय सुविधा तक नहीं है. बहुत कष्ट से पुलिस को वक्त गुजारना पड़ रहा है. इसी तरह सहायक थाना रतवारा को भी भवन नहीं है. भवन के अभाव में यह थाना भी विकास भवन में चल रहा है. जबकि आवासीय सुविधा नहीं रहने के कारण पुलिस पदाधिकारी तीन किमी दूर सोनामुखी बाजार स्थित पंचायत भवन में रहा करते है. हालांकि उक्त थाना को जमीन उपलब्ध है. यह विडंबना ही है कि उक्त थाना को स्थापना काल से ही ईंट तक उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. जिससे रात्रि वो दिवा गश्ती करने के लिए पुलिस को पैदल ही चलना मजबुरी बन गया है. इधर चौसा थाना अंतर्गत फुलौत भी पंचायत भवन, बिहारीगंज के मंजौरा बाजार स्थित ओपी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के आवासीय भवन में ,उदाकिशुनगंज के बुधामा ओपी छोटे से विकास भवन में, व अरार ओपी कोसी परियोजना के भवन में ही स्थापना काल से चलते आ रहा है. ग्वालपाड़ा व रतवारा थाना परिसर चार दीवारी से भी घिरा नहीं जा सका है. अपराधियों के तेज गतिविधि को देखते हुए व खगडि़या सहरसा के सीमा क्षेत्र होने के नाते प्रशासन ने बुधामा ओपी को थाना का दर्जा दिये जाने की अनुशंसा सितंबर में ही सरकार से की है. अगर थाना का दर्जा दे दिया जाता है तो छोटे से विकास भवन में किस तरह संचालित हो सकेगा यह विचारणीय मुद्दा है. इसलिए प्रशासन को अभी से ही जमीन की तलाश में जुट जाना चाहिए.

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