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रेलवे को और दो दिन का समय
मधेपुरा : मधेपुरा में ग्रीन फील्ड विद्युत लोकोमोटिव फैक्ट्री का टेंडर होने के बाद भी भूमि अधिग्रहण के मामले में पेंच फंसा हुआ है. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को सहरसा में आयुक्त सह आर्बिट्रेटर के कोर्ट लगी, जिसमें किसान व भूस्वामी भी पहुंचे. भूस्वामियों के मांग पत्र पर आर्बिट्रेटर ने रेलवे को दो […]
मधेपुरा : मधेपुरा में ग्रीन फील्ड विद्युत लोकोमोटिव फैक्ट्री का टेंडर होने के बाद भी भूमि अधिग्रहण के मामले में पेंच फंसा हुआ है. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को सहरसा में आयुक्त सह आर्बिट्रेटर के कोर्ट लगी, जिसमें किसान व भूस्वामी भी पहुंचे. भूस्वामियों के मांग पत्र पर आर्बिट्रेटर ने रेलवे को दो दिन का समय और दिया. मौके पर आर्बिट्रेटर ने बताया कि रेलवे का जवाब सोमवार तक मिल जाना चाहिए. इसके एक सप्ताह के बाद अंतिम निर्णय सुनाया जायेगा.
आर्बिट्रेटर से मिलने गये भूस्वामी प्रकाश कुमार पिंटू, अधिवक्ता निर्मल कुमार सिंह, अभय कुमार सिंह, राम लखन यादव, बुद्ध देव यादव, रूद्धनारायण यादव एवं अन्य ने बताया कि किसान जमीन की एवज में भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2014 के अनुसार बाजार दर के अनुसार चौगुनी कीमत मांग कर रहे हैं. लेकिन रेल विभाग ने अब तक इस दर पर अपनी सहमति नहीं दी है. इस मामले को पहले कोसी प्रमंडलीय आयुक्त सह आर्बिट्रेटर टी एन विंध्वेश्वरी ने किसानों से वार्ता कर मामले को सुलझाने की कोशिश भी की.
लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे. किसानों का कहना है कि उन्हें मुआवजे के अतिरिक्त अधिग्रहित जमीन के भू स्वामी के परिवार में से एक को फैक्ट्री में नौकरी दी जाये. पुनर्वास की व्यवस्था भी हो. इसके अलावा वर्ष 2008 में अधिग्रहण के चिन्हित 1116 एकड़ जमीन में से रेलवे केवल 307 एकड़ जमीन ही लेने की बात कही जा रही है.
शनिवार को तुनियाही में अधिग्रहण की जद में आने वाले किसानों ने इस बारे में विचार विमर्श किया. भूस्वामियों ने कहा कि11 सौ सोलह एकड़ जमीन में से 307 एकड़ जमीन लेने के बाद शेष रह गयी 809 एकड़ जमीन अधिसूचना जारी कर किसानों को वापस की जाये.
जमीन अधिग्रहण से पहले रेल विभाग को इस संबंध में लिखित रूप में देना होगा. किसानों की सबसे अहम मांग है कि अधिग्रहित जमीन के स्वामियों की फैक्ट्री में 25 फीसदी हिस्सेदारी भी सुनिश्चित हो. इसके अलावा किसानों की कई अन्य छोटी मांगें भी हैं. किसानों का कहना है कि जब तक इन मांगों को पूरा नहीं किया जाता तब तक वे जमीन अधिग्रहण का विरोध जारी रखेंगे. जमीन अधिग्रहण की जद में आने वाले किसान ‘ किसान संघर्ष मोरचा’ के बैनर तले अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
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