क्षेत्र में शुरू गो गयी पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट

क्षेत्र में शुरू गो गयी पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट- प्रशासनिक स्तर से पंचायतों में आरक्षण को लेकर अभी कोई तैयारी नहीं प्रतिनिधि, उदाकिशुनंज जिले में ग्राम पंचायत चुनाव अप्रैल-मई 2016 में होना है. प्रशासनिक स्तर पर अभी भी किसी प्रकार की तैयारी नहीं हो रही है. लेकिन संभावित उम्मीदवारों द्वारा अपने-अपने तरीके से पंचायत को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2015 6:40 PM

क्षेत्र में शुरू गो गयी पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट- प्रशासनिक स्तर से पंचायतों में आरक्षण को लेकर अभी कोई तैयारी नहीं प्रतिनिधि, उदाकिशुनंज जिले में ग्राम पंचायत चुनाव अप्रैल-मई 2016 में होना है. प्रशासनिक स्तर पर अभी भी किसी प्रकार की तैयारी नहीं हो रही है. लेकिन संभावित उम्मीदवारों द्वारा अपने-अपने तरीके से पंचायत को आरक्षित और अनारक्षित करने में माथा पच्ची की जाने लगी है. खास कर मुखिया पद के संभावित प्रत्याशी इस तरह के जोड़ घटाव में जुटे हुए हैं. पहले इस तरह थे आरक्षण प्रखंड के 16 ग्राम पंचायतों में से खाड़ा, बुधामा, महिला अनुसूचित जाति, व गोपालपुर ग्राम पंचायत अनुसूचित जाति पुरूष के आरक्षित हैं. इसी तरह जौतेली, बड़ीरनपाल, किशुनगंज ग्राम पंचायत अत्यंत पिछड़ा महिला व रहटा फनहन शाहजादपुर ग्राम पंचायत अत्यंत पिछड़ा पुरूष के लिए आरक्षित हैं. जबकि मधुबन, करोती पीपरा, लक्ष्मीपुर, मंजौरा ग्राम पंचायत समान्य पुरूष व लश्करी, रामपुर खोड़ा, नयानगर, समान्य महिला के लिए वर्तमान में पंचायत आरक्षित है. अब क्या होगा, प्रत्याशी उधेड़बुन मेंइस बार अप्रैल, मई 2016 में होने वाले पंचायत चुनाव में नये सिरे से ग्राम पंचायत को आरक्षित किया जाना है. लेकिन अभी तक प्रशासनिक स्तर पर इसके लिए किसी भी प्रकार पहल ही शुरू नहीं किया या है. लेकिन खास कर मुखिया पद के संभावित प्रत्याशियों द्वारा अपने – अपने तरीके से आरक्षित व अनारक्षित करने का दिमागी मंथन शुरू हो गया है. यहां तक कि गांव – गांव घूम कर लोगों से समर्थन देने की मांग करने लगे हैं. आदर-सत्कार का दौर शुरू ऐसे प्रत्याशियों के दरवाजे पर सुबह सुबह लोगों के लिए चाय का टेबुल सजने लगी है. शाम ढलते ही रंगीन पानी का दौड़ शुरू हो जाते हैं. अगर लोग ऐसे प्रत्याशियों के दरवाजे पर अगर लोग किसी कारण वश नहीं पहुंच पाते हैं, तो इन्हें अपने दूत को भेज कर बुलवाया जाता है. उनके आदर सत्कार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाती है. अब कौन समझाये कि अभी प्रशासनिक स्तर पर आरक्षण का काम शुरू नहीं किया गया है.

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