उदाकिशुनगंज : प्रखंड क्षेत्र के मधुबन-तीनटेंगा गांव में भारी मात्रा में एक्सपायरी दवा खेतों व नदी में फेंकी पड़ी मिली है़ इन दवाइयों के मिलने से स्थानीय लोग हतप्रभ हैं. इस बात का पता अब तक नहीं चल पाया है कि दवा कब और किसने फेंकी. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कुछ महादलित टोले के बच्चे को इन दवाइयों से खेलता एवं घर ले जाते देखा गया़ इस संबंध अस्पताल प्रशासन सरकारी दवा होने की बात से मुकर रहे है़ं
वहीं दवा को लेकर क्षेत्र में तरह तरह की चर्चा जारी है़ अगल बगल के महादलित और अति पिछड़ा, पिछड़ा टोला मुहल्ला होने के कारण एक्सपायरी दवा के बारे में लोगों को जानकारी नहीं हैं. वहीं कुछ शिक्षित लोगों ने बताया कि इस दवा की वैधता तिथि समाप्त हो चुकी है़ टोले मुहल्ले के आस पास ऐसे दवा का फेंका जाना हानिकार साबित हो सकता है़
बच्चे इसका सेवन कर सकते हैं. जानवरों द्वारा भी खाने का भय बना हुआ है़ दवा को पतनी रहटा और तारारही गांव जाने वाली कच्ची सड़क के किनारे तीनटेंगा गांव के बहियार में नदी किनारे फेंका गया है़ फेंकी गई दवा में – बी-विटा गोल्ड कैप्सूल है. इसका बैच नंबर ए-सी 1412 निर्माण तिथि जनवरी 2014 अंकित है़
डेपथर इंजेक्शन है. इसका बैच नंबर यूएलआई 4169 तथा निर्माण तिथि जुलाई 2013 और वैद्यता तिथि जून 2015 अंकित है़ -बडसेफ -375 इंजेक्ससन बैच नंबर 312 निर्माण तिथि जुलाई 2013 वैद्यता तिथि जून 2015 अंकित है़ -रैक-नेट है. बैच नंबर बीएसएच -12070102 निर्माण तिथि जुलाई 2012 बैद्यता तिथि 2013 अंकित है़-सायोलीव सस्पेंशन सिरप है. इसका बैच नंबर एसएस 1361 तथा निर्माण तिथि जून 2013 वैद्यता तिथि जून 2013 अंकित है़इसके अलावा अन्य कई तरह की दवाइयां भी फेंकी मिली है़ दवाई करीब 14 कार्टून में फेंकी गयी है़ दवा लगभग एक सौ मीटर की दूरी तक बिखरा पड़ा है़ जहां दवा मिली है
वहां गरीब तबके के बच्चे दवा के साथ खेलते नजर आये़ बच्चो के हाथ में दवाई भी दिखाई पड़ा है. सवाल उठता है कि दवा दुकानदारों ने फेंका है या ग्रामीण चिकित्सक, दवा सरकारी अस्पताल की है या नहीं पूरे मामले का खुलासा जांच के बाद ही हो पायेगा़ चर्चा यह है कि हाल के दिनों में अधिकारियों द्वारा दवा दुकानों पर जांच के कारण नकली दवाई में लिप्त दुकानदारों ने यह दवा फेंकी है.
वर्जन – जिस तरह की दवा का नाम सामने आया है उससे स्पष्ट है कि सरकारी अस्पताल की दवा नहीं है़ सरकारी अस्पताल में इस तरह की दवा की आपूर्ति नहीं होती है़ अस्पताल की दवा होती तो विभागीय जांच संभव था़- डाॅ के सिन्हा, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, पीएचसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उदाकिशुनगंज, मधेपुरा