कल्याण समिति निष्प्राण, कैसे हो रोगी का कल्याण
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से स्वास्थ्य सेवाओं में जन भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में रोगी कल्याण समिति की अवधारणा को लागू किया गया.लेकिन, मधेपुरा में इसका लाभ रोगियों को नहीं मिल पा रहा है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस वित्त वर्ष में मात्र एक […]
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से स्वास्थ्य सेवाओं में जन भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में रोगी कल्याण समिति की अवधारणा को लागू किया गया.लेकिन, मधेपुरा में इसका लाभ रोगियों को नहीं मिल पा रहा है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस वित्त वर्ष में मात्र एक बार ही बैठक हो पायी है.
मधेपुरा : जिले में सदर अस्पताल सहित सभी पीएचसी में रोगी कल्याण समिति का गठन किया जाता है. इस समिति का कार्य अस्पताल प्रबंधन में सहयोग करना होता है. लेकिन जिले में सदर अस्पताल सहित पीएचसी में रोगी कल्याण समिति का गठन तो किया गया है, लेकिन यह निष्क्रिय है.
हाल यह है कि वर्ष 2015 में सदर अस्पताल में रोगी कल्याण समिति की केवल एक बैठक आयोजित की गयी है. इतनी लंबी अवधि के बाद बैठक होने पर सदस्य पिछली बैठक में लिये गये निर्णय के अनुपालन के बारे में जानना तो दूर वे यह भी भूल जाते हैं कि विगत बैठक में निर्णय क्या हुए थे.
इस ओर अस्पताल प्रबंधन की गंभीरता इससे समझी जा सकती है कि अस्पताल परिसर में रोगी कल्याण समिति के बोर्ड पर अब तक अध्यक्ष के नाम में पूर्व सिविल सर्जन का नाम डा परशुराम प्रसाद ही अंकित है.
रोगी कल्याण समिति की जिम्मेदारियां . रोगी कल्याण समिति मरीजों की जरूरतों के अनुसार व्यय एवं निवेश की प्राथमिकता तय करती है. जैसे जीवन रक्षक औषधि, सर्जिकल उपकरण एवं सामग्री, आहार एवं स्वच्छता संबंधी सेवाओं में व्यय का निर्णय लेती है. समिति के सदस्यों को संवाद के जरिये रोगी की कठिनाइयों को चिन्हित कर फीडबैक प्रणाली को विकसित करना है. जैसे अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मी उपलब्ध रहते हैं या नहीं,
औषधि है या नहीं, उचित समय पर उपचार किया गया या नहीं, कर्मियों का व्यवहार कैसा था इसकी जानकारी लेना. वहीं रोगियों की संतुष्टि के स्तर में विस्तार करना भी समिति का दायित्व है. इसके अलावा रोगी कल्याण के काफी महत्वपूर्ण कार्य और उत्तरदायित्व हैं.