त्रिवेणीगंज : अनुमंडल क्षेत्र स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय का औचक निरीक्षण एसडीओ अरविंद कुमार व डीसीएलआर गोपाल कुमार ने मंगलवार को किया. इस दौरान विद्यालयी व्यवस्था की कलई खुल गयी. पदाधिकारी के अचानक विद्यालय पहुंचते ही शिक्षकों में हड़कंप का माहौल पैदा हो गया.
मौके पर विद्यालय के प्रधान अनुपस्थित पाये गये. साथ ही विद्यालय की शिक्षिका द्वारा बच्चों को कमरे में बिठाने के बजाय बच्चों को धूप में बिठा कर शैक्षणिक कार्य कराया जा रहा था. पदाधिकारी द्वय को सहायक शिक्षिका ने बताया कि विद्यालय प्रधान द्वारा उन्हें मोबाइल पर सूचना दी गयी है कि वे कतिपय कारणों से मंगलवार को विद्यालयी कार्य में शामिल नहीं होंगे.
पदाधिकारी द्वय ने उक्त विद्यालय में वर्ष 2012 से संचालित प्राथमिक विद्यालय लालपट्टी व प्राथमिक विद्यालय लतौना मिशन का भी निरीक्षण किया. प्रा वि लतौना मिशन के निरीक्षण के दौरान सहायक शिक्षक प्रेम कुमार उपस्थित थे. वहीं विद्यालय के प्रधान बीते 24 दिसंबर से ही अनुपस्थित हैं.
जबकि विद्यालय में 128 बच्चों का नामांकन है. बावजूद इसके एक भी बच्चे विद्यालय में उपस्थित नहीं थे. सहायक शिक्षक श्री कुमार ने बताया कि पोषक क्षेत्र काफी दूर है जिस कारण बच्चे कम आते हैं. बताया कि पांच माह से एमडीएम बंद पड़ा है. प्राथमिक विद्यालय लालपट्टी के निरीक्षण के क्रम में विद्यालय प्रधान रोमीता कुमारी उपस्थित थी. वहीं 117 नामांकन के विरुद्ध 35 बच्चे उपस्थित पाये गये.
प्रधान के पास रहता है एमडीएम पंजी
पदाधिकारी द्वय ने विद्यालय के एमडीएम पंजी उपलब्ध कराये जाने की बात कही तो सहायक शिक्षिका ने बताया कि एमडीएम पंजी विद्यालय प्रधान के पास ही रहता है. पदाधिकारी द्वय ने बताया कि उक्त विद्यालय में 537 बच्चों को नामांकन है. जबकि 204 छात्रों की उपस्थिति देखी जा रही है. एमडीएम भंडार कक्ष के जांचों परांत पदाधिकारी द्वय ने पाया कि भंडार कक्ष में 12 क्विंटल चावल उपलब्ध है. इसके उपरांत रसोई घर का जायजा लिया. जहां रसोईया से आवश्यक पूछताछ भी किया गया.
पठन-पाठन का गहनता से हुई जांच
मौके पर एसडीओ श्री कुमार ने बच्चों से कुछ सवाल किया. जहां बच्चों की तरफ से एक भी सवाल का जवाब नहीं मिल पाया. लेकिन हद तो तब हुई जब एसडीओ साहब शिक्षक से हिंदूस्तान की चौहद्दी बताये जाने का सवाल किया.
शिक्षक भी इस प्रश्न का जवाब पदाधिकारियों को नहीं दे पाये. इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार द्वारा बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मुहैया कराये जाने को लेकर करोड़ों की राशि बहाया जा रहा है. लेकिन जब गुणवत्ता युक्त शिक्षक ही नहीं होंगे तो बच्चों का भविष्य कौन संवारेगा.