मौसम की मार से किसानों में बढ़ी छटपटाहट फोटो – मधेपुरा – 20 कैप्शन – धूप से कुम्हलाते गेहूं के नन्हे पौधे -चिंताजनक . मौसम के बदलते मिजाज से गेहूं सहित अन्य रबी फसलों पर व्यापक असर- किसानों को बार-बार करना पड़ रहा है पटवन, किसानों पर बढ़ रहा आर्थिक बोझ प्रभातखबर टोली, मधेपुराजिले में मौसम के बदलते मिजाज के कारण गेहूं सहित अन्य रबी फसलों पर असर पड़ने लगा है. धूप की नजरें चढ़ी हुई हैं और इसे गेहूं के नन्हें पौधे सहन नहीं कर पा रहे हैं. इसके कारण किसानों को पटवन अधिक करना पड़ रहा है. खेती की बढ़ती लागत से किसान चिंतित हैं. धान की सरकारी खरीद बंद है. व्यापारी मनमानी कीमत पर खरीद कर रहे हैं. ऐसे में धान बेच कर गेहूं की खेती छोटे व सीमांत किसानों के लिए संभव नहीं हो पा रहा है. यह बेबसी उन्हें महाजन के दरवाजे तक ले जा रही है. ग्वालपाड़ा : साहूकारों से ले रहे कर्ज — प्रखंड क्षेत्र के किसान के सामने गेंहू फसल की सिंचाई की समस्या उत्पन्न हो गई है. प्रखंड क्षेत्र के नहर क्षतिग्रस्त रहने से नहरों मे पानी नही दिया गया. वहीं प्रखंड में सरकारी बोरिंग खराब रहने के कारण किसानों को सिंचाई की सुविधा में भारी परेशानी हो रही है. किसान अर्थिक रूप से कमजोर हो चुके है. महाजन से कर्ज उठा उठा कर अपना कार्य करते जा रहा है. किसान बेदानंद ठाकुर ने कहा कि सिंचाई के लिए प्रखंड के प्राइवेट मशीन वाले सौ रूपया प्रति घंटा के दर से पटवन करता है. किसान महाकांत झा ने कहा कि किसानों का धान पैक्स के द्वारा खरिदी नहीं जा रही है. प्रखंड के बहुत से किसान जो विवश हो कर धान को बिचौलिया के हाथों बेच कर गेहूं की फसल उगाने में लगे है. किसान लक्ष्मण तांती ने कहा कि डीजल अनुदान के भरोसे सेठ साहूकारों से कर्ज लेकर सिंचाई करने को विवश है.किसान राम लखन यादव ने बताया कि इस तरह की दोहरी मार से किसान अब खेती से मुंह मौड़ने लगे. किसानों की समस्या के समाधान के लिए सरकारी स्तर पर कोई पहल नहीं हो रहा है. शंकरपुर: डीजल अनुदान की राशि का भरोसा प्रखंड क्षेत्र में मौसम के बेरूखी के कारण अधिकांश जमीन में नमी की मात्रा बहुत कम होने के कारण गेहूं फसल लगाने वाले किसान को बोआई के समय में ही पहले पटवन करना मजबूरी बन गया है. पटवन के बाद भी खेत के जुताई कर बीज बोने के बाद भी बीज का अंकुरण कम मात्रा में हुआ है जिस कारण किसान बीज के अंकुरण समय से ही इस वर्ष कि फसल अच्छी पैदावार नहीं होने की आशंका से भयभीत हैं. एक तरह जहां किसानों का सरकारी स्तर पर धान की खरीद शुरू नहीं होने किसान बिचौलिया के हाथों धान बेच कर गेहूं के खेती किये है. लेकिन मौसम की बेरूखी के कारण किसानों को पटवन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. प्रखंड क्षेत्र के समृद्घ किसान सुरेंद्र मेहता, किशोर कुमार सिंह, सिकेंद्र मेहता, छेदी प्रसाद आदि का कहना है कि धान की खरीद तो शुरू नहीं हुई जिससे हमलोगों के समक्ष पैसे का घोर अभाव है. किसानों ने बताया कि हमलोगों सिर्फ एक मात्र सहारा खेती ही है. बहुत मेहनत कर खेती करते है. लेकिन इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है. पहले तो धान की उचित कीमत नहीं मिल पायी है अब गेहूं की फसल के पैदावार की समस्या सता रहा है. डीजल अनुदान की राशि के भरोसे महाजन से कर्ज उठा कर खेती कर रहे हैं. कुमारखंड : चिंतित हैं किसान प्रखंड क्षेत्र में गेहूं फसल को लेकर किसानों के बीच चिंता देखी जा रही है. प्रखंड के कई खेतों में गेहूं के बीज में अंकुरण नहीं आने से किसान परेशान है साथ ही मौसम के बदलने के कारण खेतों में अधिक पटवन की जरूरत है. लेकिन किसान अर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गये है. गौरतलब है कि किसानों का धान अभी तक पैक्स द्वारा खरीद शुरू नहीं किया गया है. जिससे अर्थिक स्थिति काफी चरमरा गयी है. सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता राशि के भरोसे लोग अपने कर्ज उठा कर अपने खेतों में प्राइवेट मशीन से उंची कमीत पर पटवन करवा रहा है. राहटा पंचात के कृषक बबलू यादव का कहना है मेरे लगभग दो एकड़ जमीन में गेहूं का खेती लगाया हूं और खेत में अंकुर पिछले वर्ष की भांति बहुत कम निकला है. और पैक्स में धान नहीं खरीद होने के कारण हम अपना धान व्यापारी के हाथों कम से कम भाव में बेच डाले है. वहीं उन्होंने बताया कि बाजार में खाद सही नहीं मिल रहा है जिसके कारण फसल पर प्रतिकूल असर पर रहा है. वहीं कोरलाही पंचायत के किसान शंभु सिंह, कुमारखंड के किसान महेंद्र ततमा, इसराइन के मौनू सिंह,रौशन यादव, रौता के बबलू रजक, भतनी आदि किसानों का कहना है कि धान की फसल अच्छी नहीं होने के कारण अब गेहूं की फसल असरा था कि गेंहू की फसल अच्छी होगी तो बच्चे को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाहर भेजेंगे. लेकिन गेहूं की फसल भी चौट होते दिखाई दे रहा है. वहीं बाजार में नकली खाद मिल रहा है लेकिन विभागीय अधिकारी एवं प्रशासन इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझ रहे है. चौसा : निम्न स्तर के बीज से समस्या प्रखंड के किसानों गेंहू की फसल के बर्बाद होने से सहमे हुए है. इस बाबत लौआ लगान पश्चिम पंचायत के अभिरामपुर टोला के किसान विनोद सिंह ने बताया कि फसल लगाने से पूर्व खाद दिये थे.लेकिन गेहूं पिला हो जाता है और यूरिया देने के बाद गेहूं फसल जल जाता है. जिससे फसल बर्बाद होने की आशंका बनी हुई है. किसान कमलेश्वरी साह ने कहा कि खाद एवं बीज दुकानदारों के द्वारा दो तीन बिचौलिया रख र बिक्री करवाते है. जिससे किसानों को और अधिक पैसे खर्च करने पड़ते है. खाद एवं बीज की बिक्री के समय अधिक कीमत से अधिक दाम लिया जाता है. रसीद देने को कहते है तो डांट फटकार कर भगा दिया जाता है. किसान राज कुमार साह ने अभी तक डीजल अनुदान की राशि नहीं दिया जा रहा है. अगर समय पर डीजल अनुदान की राशि दी जाय तो किसानों का थोड़ा बोझ कम होगा. किसान अर्जुन, नकुल, कामेश्वरी साह सहित दर्जनों किसानों ने कहा कि चौसा घटिया बीज दिये जाने के कारण बीज से पौधा जल्दी नहीं निकलता है. खेत में नमी लाने के लिए एक से दो बार पटवन किये गये. इसके बाद बीज अंकुरित हुआ. अब खेतों में अधिक पटवन चाहिए. जिससे गेहूं की फसल कुछ बच सकता है. वहीं किसानों ने कहा कि बाजार में मिल रहे खाद पटवन के बाद दिये जाने पर गेंहू की फसल लहक जाता है. जिससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है. बिहारीगंज : घाटे का सौदा न बन जाये प्रखंड क्षेत्र में गेहूं की फसल को किसान परेशान नजर आ रहे है. किसान टिंकू मेहता, विष्णुदेव चौधरी, भूषण यादव, सुभाष यादव, नवीन कुमार आदि ने बताया कि अभी तक खेतों में दो पटवन किये जा चुके है. लेकिन सरकारी स्तर पर किसी प्रकार की सहायता राशि किसानों को नहीं दिया गया है. किसानांे ने बताया कि 2015 हम किसानों के लिए काफी घाटे का सौदा रहा. जो सोच कर हमलोग खेती किये एक भी पूरा नहीं हुआ. फिर ऐसा ही देखने को मिल रहा है. पुरैनी : मौसम में हो रहा बदलाव गेहूं की खेती करने वाले किसान धर्मेंद्र यादव, रमण राय, लक्ष्मीकांत मेहता, अर्जुन मेहता, अशोक झा, बलभद्र मेहता आदि बताते है कि इस बार ठंक के कम पड़ने और मौसम परिवर्तन के कारण गेहंू की फसल पर इसका व्यापक असर पर रहा है. जिसके कारण पैदावार कम होने की आशंका है. अन्य वर्षों की भांति इस वर्ष पटवन अधिक करना पड़ रहा है. आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.आलमनगर: डीजल अनुदान भी नहीं हो रहा प्राप्त मौसम की बेरूखी से गेहूं उत्पादक किसान परेशान है. गेहूं उत्पादक किसान रमावतार चौधरी, लडडू सिंह, सहित अन्य किसानों का कहना है कि इस बार गेहूं की फसल में मौसम की मार असर व्यापक रूप से पड़ रहा है. क्योंकि गेहंू की फसल के लिए लगातार ठंड का होना जरूरी है. परंतु इस बार और वर्षों के मुकाबले ठंड कम है. गेहंू के पौधे में वृद्धि कम है. वहीं सरकार द्वारा घोषित सिंचाई के लिए अनुदान भी बेइमानी साबित हो रही है. क्योंकि सरकार द्वारा खरीफ फसल में भी सिंचाई के लिए डीजल अनुदान की घोषणा की गयी थी. परंतु आज तक खरीफ फसल का डीजल अनुदान नहीं मिल पाया है. रबी फसल की बात तो दूर की बात है. लोग अपने फसलों को बचाने के लिए पंप सेट डेढ़ सौ रूपये प्रतिघंटे की दर से पटवन कराने को विवश है. किसानों का कहना है कि इस बार गेहूं की फसल में लागत तो बढ़ गयी. क्योंकि गेहूं के बुआई करने से पूर्व खेतों में नमी नहीं रहने के कारण पटवन कर गेहूं की बुआई किया गया है. परंतु इस बार गेहूं की उपज कम रहने की उम्मीद है. नकली खाद और बीज से किसानों की जांन सांसत में उदाकिशुनगंज . बाजार में नकली खाद बीज बिक्री होने के कारण गेहूं की खेती करने वाले किसानों को बर्बाद कर रख दिया है. काफी पूंजी लगाने के बावजूद भी गेहूं का पौधा नहीं आ पाया. जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होने के साथ – साथ खेती भी मारी चली गयी. गेहूं की खेती करने वाले किसान उदय कुमार सिंह, लक्ष्मण मंडल, पृथ्वी यादव, रामदेव मंडल, उपेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि बाजार की दुकान से उंची कीमत पर गेहूं का बीज खरीद कर खेतों में बोया था. लेकिन मात्र 20 से 25 प्रतिशत पौधा ही निकल पाया. फलस्वरूप गेहूं की खेती मारी चली गयी. अब सीजन भी नहीं है गेहूं दुबारा लगाया जा सके. खेती बारी तो अलग गयी और लागत खर्च भी डूब गया. किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचा है. बाजार के दुकानों में डीएपी खाद , पोटासा, अमोनियम सलफेट व यूरिया खाद नकली मिलने के कारण किसानों को काफी नुकसान उठान पड़ रहा है. जिस दुकानदार पर विभागीय पदाधिकारी कार्रवाई ही नहीं कर पाते है. जिसका खमियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. जबकि दुकानदार मालामाल हो रहे है. यह इस तरह का खेल विगत कई वर्षों से चल रहा है. बताया जाता है कि कोलकत्ता से खाद का खाली बोरी मंगवाकर स्थानीय बाजार में नकली खाद पैकिंग की जाती है. वहीं किसी भी दुकानदार द्वारा लिये गये बीच खाद का केश मेमो भी नहीं दिया जाता है. यहां तक की दुकानों में मूल्य तालिका भी नहीं लगायी गयी है. इसके कारण उंची कीमत पर खाद बीज दुकानदारों द्वारा बेची जाती है. वहीं पैक्सों द्वारा धान नहीं खरीदे जाने के कारण स्थानीय व्यापारियों के हाथ कम कीमत पर धान बेचना किसानों की मजबूरी बन गयी थी. स्थानीय व्यापारियों द्वारा किसानों से मोटा धान आठ सौ रूपया प्रति क्विंटल और महीन धान नौ सौ रूपया खरीदा गया. धान बेच कर किसानों द्वारा रब्बी की खेती की गयी थी. लेकिन वो गेहूं फसल नकली खाद बीज के कारण मारी चली गयी. एक तो कम कीमत पर धान बेच कर रबी फसल में किसानों में लगाया. लेकिन वो भी बर्बाद हो गया. इस तरह कसानों की कमर टूटती चली जा रही है. — कहते हैं अधिकारी — प्रखंड कृषि पदाधिकारी नवीन कुमार सिंह ने बताया कि नकली खाद बीज की जानकारी उन्हें किसी किसानों से नहीं मिली है अगर मिली होती तो निश्चत कार्रवाई की जाती.
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मौसम की मार से किसानों में बढ़ी छटपटाहट
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