राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा में ब्रजेश टॉपर
मधेपुरा : राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा सह मेधा छात्रवृत्ति परीक्षा में जिले के ग्वालपाड़ा प्रखंड के मधुराम मध्य विद्यालय के छात्र ब्रजेश कुमार सर्वोच्च अंक लाकर टॉपर बने हैं. वहीं सदर प्रखंड के बालमगढिया उत्क्रमित उच्च विद्यालय की खुश्बू कुमारी द्वितीय स्थान पर रही हैं. जिले में कुल 84 विद्यार्थियों ने इस परीक्षा में सफलता […]
मधेपुरा : राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा सह मेधा छात्रवृत्ति परीक्षा में जिले के ग्वालपाड़ा प्रखंड के मधुराम मध्य विद्यालय के छात्र ब्रजेश कुमार सर्वोच्च अंक लाकर टॉपर बने हैं. वहीं सदर प्रखंड के बालमगढिया उत्क्रमित उच्च विद्यालय की खुश्बू कुमारी द्वितीय स्थान पर रही हैं. जिले में कुल 84 विद्यार्थियों ने इस परीक्षा में सफलता हासिल की है.
इन 84 विद्यार्थियों में से अकेले बालमगढिया उत्क्रमित उच्च विद्यालय से ही 32 छात्रा व छात्रों ने सफलता हासिल की है. जिले में पहले स्थान पर रहने वाले ब्रजेश कुमार बाबुल को परीक्षा में 113 अंक मिला है. वहीं दूसरे स्थान पर रही खुश्बू कुमारी को 112 अंक प्राप्त हुआ है.
गौरतलब है कि बालमगढिया गांव में एक ही सरकारी स्कूल के पैंतीस बच्चों ने इस परीक्षा में सफलता हासिल की है. उल्लेखनीय यह है कि इन पैंतीस सफल बच्चों में छब्बीस केवल छात्राएं ही हैं. इस विद्यालय में बच्चों की इस सफलता के पीछे उस विद्यालय की नहीं बल्कि विद्यालय के एक शिक्षक संजय कुमार की अहम भूमिका है. संजय विद्यालय के बाद घर पर ही नि:शुल्क पढ़ाया करते हैं.
परीक्षा में सफलता हासिल करने वाली छात्राओं में आरती सहित मनीषा, किरण, लक्ष्मी, निशी, मौसम, इशरत खातून, प्रियंका, रेणु कुमारी, कलावती कुमारी, कोमल प्रिया आदि शामिल हैं. वहीं छात्रों में नीतीश कुमार राम, राजू कुमार, निरंजन कुमार, लोचन कुमार राम, नीतीश कुमार आदि शामिल हैं. गरीबी, समाज और घर की बंधनों से जूझते हुए इन बच्चों की सफलता को लेकर पूरे गांव में खुशी का वातावरण है. इनमें से ज्यादातर छात्र छात्राओं के मां-बाप मेहनत मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं.
गौरतलब है कि बालमगढिया में इस परीक्षा में सफलता को लेकर शिक्षक संजय कुमार वर्षों से मेहनत कर रहे हैं. विगत वर्ष इस विद्यालय के बारह छात्र- छात्राओं ने इस परीक्षा में सफलता हासिल की थी.
जिला टॉपर भी इसी विद्यालय से था. वहीं वर्ष 2014 में एक छात्र और एक छात्रा सफल रहे थे. वर्ष 13 में एक, 12 में महादलित टोला के सौरव उत्तीर्ण हुए थे. यहीं से इस गांव के बच्चों में राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा में सफल होने की धुन सवार हुई. अब तो इस गांव का हाल यह है कि यहां पांचवीं में जाते ही बच्चे इस परीक्षा के सिलेबस को कंठस्थ कर लेते हैं.