हनुमान मंदिर की हुई स्थापना, निकली कलश यात्रा

हनुमान मंदिर की हुई स्थापना, निकली कलश यात्रा फोटो- मधेपुरा 14कैप्शन- कलश यात्रा.प्रतिनिधि, सिंहेश्वरप्रखंड के सार्वजनिक दुर्गा मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर की स्थापना को लेकर गीता देवी की अगुवाई में कलश यात्रा निकाली गयी. इस कलश यात्रा में प्रखंड क्षेत्र से आयी सैकड़ों महिलाओं ने हिस्सा लिया. पूरे बाजार का भ्रमण करते हुए कलश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 12:00 AM

हनुमान मंदिर की हुई स्थापना, निकली कलश यात्रा फोटो- मधेपुरा 14कैप्शन- कलश यात्रा.प्रतिनिधि, सिंहेश्वरप्रखंड के सार्वजनिक दुर्गा मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर की स्थापना को लेकर गीता देवी की अगुवाई में कलश यात्रा निकाली गयी. इस कलश यात्रा में प्रखंड क्षेत्र से आयी सैकड़ों महिलाओं ने हिस्सा लिया. पूरे बाजार का भ्रमण करते हुए कलश यात्रा का समापन पुन: दुर्गा मंदिर परिसर पहुंचकर हुआ. कलश शोभा यात्रा के बाद 24 घंटे का अष्टयाम एवं यज्ञ का आयोजन किया गया. साथ ही 7 दिनो तक चलने वाला भागवत कथा का भी आयोजन किया गया. भागवत कथा के पहले दिन शुक्रवार को भागवत कथा का शुभारंभ करते हुए पंडित रामकुमार शास्त्री ने कहा कि कलयुग में इंसान का कर्म बड़ा होता है. इंसान चाहे तो अपने मेहनत व लगन से सारे जहां को एक सूत्र में बांधकर सामाजिक समरसता का प्रसाद चारो ओर फै सकता है. शास्त्री जी ने कहा कि गीता सत्य की झुठ पर जीत का सबसे बड़ा उदाहरण है. क्योंकि सत्य कभी हार नहीं सकता. उन्होंने लोगों को पाप से बचने व सत्य को अपनाने की बात कही. उन्होंने कहा कि कलयुग में मात-पिता का आदर व सेवा ही सबसे बड़ी भगवान की भक्ति है. क्योंकि भगवान को हर मंदिर में जाकर अनुभव किया जा सकता है लेकिन असली मंदिर तो हमारा घर ही है. इस दौरान रामपुकार सिंह, पिकु सिंह. बासुकी सिंह, विभाष सिंह, मुकेश यादव, अशोक भगत, पिंटु भगत, शंकर चौधरी, निशांत कुमार, दिलीप गुप्ता, मुकेश साह, पप्पू सिंह, राजेश कुमार, राजू स्वर्णकार, मनीष स्वर्णकार, राजेश यादव, राजेश चटर्जी, विष्णु शर्मा, रेखा देवी सहित कई भक्तगण मौजूद थे. बच्चों के बैग में किताब के साथ दवा भेजेंफोटो- मधेपुरा 16एकैप्शन- विद्यालय परिसर में चपाकल के पास जमा पानी.प्रतिनिधि, मधेपुरासावधान! यदि आप अपने बच्चों को विद्यालय भेज रहे हैं तो सावधानी पूर्वक भेजे. क्योंकि विद्यालय की लापरवाही से आपके बच्चे बीमार भी पड़ सकते हैं. मामला है सदर प्रखंड के महेशुआ पंचायत स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय व उत्क्रमित उर्दु मध्य विद्यालय का. इन दोनों विद्यालय में लगभग 7 सौ से अधिक छात्र नामांकित हैं. इन सभी छात्रों के लिए दोनों विद्यालय की ओर से दो चपाकल की व्यवस्था की गयी है. दोनों विद्यालय एक ही परिसर में चल रहा है. विद्यालय सघन आबादी के बीच में रहने के कारण दोनो चापाकल का इस्तेमाल ग्रामीणों द्वारा किया जाता है. पानी का जमावाड़ा विद्यालय परिसर में ही गडढ खोदकर किया गया है. जिसके कारण पानी में सड़ने लगा है और उसमें कई प्रकार के कीटानुओं का जमघट लगा है. कीटानुओं की वजह से कई प्रकार के बिमारी होने की संभावन बनी रहती है. कीटाणु सबसे पहले बच्चो को अपने शिकार में लेता है और धीरे-धीरे पूरे गांव को अपना शिकार कर सकता है. यदि समय रहते अभिभावक गदंगी हटाने का पहल नहीं करते हैं तो बच्चों को बीमारी की चपेट में आने से कोई नहीं रोक सकता है. इस मामले में दोनों विद्यालय के प्रधानाध्यापक एक-दूसरे पर आरोप लगा कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. वहीं बीईओं जर्नादन प्रसाद निराला का कहना है कि विद्यालय परिसर में चापाकल का गंदा पानी विद्यालय परिसर में बहाया जा रहा है वो भी गडढ़ा में , इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. यदि इस तरह की बात है तो बच्चों के स्वास्थ्य से कोई खिलवाड़ नहीं किया जाएगा और विद्यालय परिसर को हर हाल में स्व्च्छ रखा जायेगा. आज मां ब्रह्मचारणी की धूमधाम से होगी पूजा फोटो- मधेपुरा 15कैप्शन- दीपक जलाकर पूजन करते.प्रतिनिधि, मधेपुरासाहुगढ़ चौक स्थित चैती दुर्गा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. मुख्य बाजार से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर विराजमान इस मंदिर के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है. चैती नवरात्र करने वालों के बीच इस मंदिर की महिमा की चर्चा होते रहती है. इलाके के लोग नवरात्रे के 9 दिन पूर्ण श्रद्धा से मां की चौखट पर दिया जला कर मनोकामना मांगते हैं. आज से 35 वर्ष पूर्व जब माता का मंदिर बांस बल्ले का बना हुआ था, उस समय इस मंदिर में आग लग गयी थी. आग लगने के बाद भी मंदिर में विराजमान मां की मूर्ति व बांस बल्ले को आंच तक नहीं पहुंची थी. लोग इसे मां की कृपा मानते हुए पूजा-अर्चना करने लगे और दिन प्रतिदिन मां की प्रसिद्धि बढ़ती चली गयी. मां की कृपा पाकर तत्कालीन उद्योग राज्यमंत्री राजेंद्र मंडल उर्फ राजो बाबू ने मंदिर के प्रारूप को बदलते हुए पक्के का बनवाया. तबसे आज तक मंदिर के स्वरूप में कई बार बदलाव किया गया. बदलाव के बावजूद मंदिर की प्रसिद्धि में कोई कमी नहीं आयी है. दुर्गा पूजा के अवसर पर दूसरे दिन मां ब्रह्मचारणी रूप की पूजा होगी. वर्तमान में उनके छोटे पुत्र व मुख्य पार्षद डॉ विशाल कुमार बबलू की देखरेख में मंदिर व मेला जनसहयोग से लगाया जाता है. परिसर में एक नया भवन भी बनाया गया है. —-ब्रह्मचारणी मां की विशेषता—-ब्रह्मचारणी का अर्थ तप की चारणी अर्थात तप का आचरण करने वाली है. मां के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन मात्र से ही भक्तों में आलस, अहंकार,लोभ,असत्य,स्वार्थपरता व ईष्या जैसी दुष्प्रवृतियां समाप्त हो जाती है. मां अपने भक्तो को कठिन समय में भी आशा व विश्वास के पथ पर चलने में सहायक होती है. ब्रहमचारणी मां को द्वितीय शक्ति स्वरूप है. मां श्वेत वस्त्र पहने दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए सुसोभित है. पौराणिक ग्रंथो के अनुसार मां हिमालय की पुत्री थी. नारद के उपदेश के बाद यह भगवान को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या किया. जिस कारण इनका नाम ब्रहमचारिणी पड़ा. मां ब्रहमचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए एक हजार वर्षों तक सिर्फ फल व अगले तीन हजार वर्ष तक पेड़ों से गिरे पत्ते को खाकर रही. इसी कड़ी तपस्या के कारण उन्हें ब्रहमचारिणी व तपस्वचारिणी कहा गया. इसके बाद इनका विवाह भगवान शिव से हुआ. माता की पूजा से भक्तों का मन सदैव भक्तों को आनंदमय रहता है.

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