राहत . काला बिल्ला लगा किया काम सर्राफा व्यवसायियों ने जताया विरोध

दो मार्च से जारी सर्राफा कारोबारी की बंदी मंगलवार से खत्म हो गयी. करीब चालीस दिन बाद मधेपुरा सहित पूरे जिले में स्वर्ण आभूषणों की दुकानें खुली. वहीं दूसरी ओर स्वर्ण व्यवसायियों ने केंद्र की नीति का विरोध करते हुए काला बिल्ला लगा कर काम किया. जिलाध्यक्ष इंद्रदेव स्वर्णकार ने बताया कि हड़ताल समाप्त हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 13, 2016 4:59 AM

दो मार्च से जारी सर्राफा कारोबारी की बंदी मंगलवार से खत्म हो गयी. करीब चालीस दिन बाद मधेपुरा सहित पूरे जिले में स्वर्ण आभूषणों की दुकानें खुली. वहीं दूसरी ओर स्वर्ण व्यवसायियों ने केंद्र की नीति का विरोध करते हुए काला बिल्ला लगा कर काम किया. जिलाध्यक्ष इंद्रदेव स्वर्णकार ने बताया कि हड़ताल समाप्त हो गयी है,

लेकिन व्यापारियों का विरोध जारी रहेगा. गौरतलब है कि एक माह से भी अधिक समय से सर्राफा हड़ताल पर थे. शादी विवाह के इस मौसम में कन्यादान करने वाले लोगों को गहना-जेवर आदि के लिए परेशान होना पड़ रहा था.

मधेपुरा : जिलाध्यक्ष इंद्रदेव स्वर्णकार ने बताया कि सभी स्वर्ण व्यवायी काला बिल्ला लगा कर काम करेंगे. जब तक उनकी मांगे नही मानी जायेगी तब तक वे लोग विरोध जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि आम लोगों में यह धारणा है कि सर्राफ व्यवसायी को सरकार की इस नीति से काफी घाटा है
इसलिए विरोध किया जा रहा है लेकिन आम जनता को भी सरकार की इस नीति से आने वाले दिनों में काफी परेशानी होगी. इस नीति के तहत व्यापारियों को तो अपने सटाक की स्थिति अपडेट रखना होगा. लेकिन अगर यह कानून लागू होता है तो इससे एक आम आदमी के पास जो सोना पड़ा है वह सिर्फ तीस फीसदी से पैंतीस फीसदी के लगभग रह जाएगा. उन्होंने कहा कि इसे ऐसे समझने की जरूरत है कि अगर एक्साइज ड्यूटी एक्ट के तहत आप अपने सोने या सोने के जेवर को उसके खरीद बिल के साथ ही बजार में बेच सकते हैं. बिल न होने की स्थिति में जेवर की कीमत पर पेनल्टी या सजा का प्रावधान है.
अगर आपके पास एक सौ ग्राम का जेवर है और इसका बिल नहीं है तो इसे बेचने पर पैनल्टी लगेगी. उसके बाद बीस फीसदी जेवर की कटिंग होगी. इसके बाद रेट मार्जिन भी कटेगा. इसके कारण सौ ग्राम जेवर का मूल्य बहुत ही कम रह जायेगा.
हर जेवर का अलग बिल . जिलाध्यक्ष ने बताया कि सरकार का कानून लागू होने के बाद किसी जेवर का अलग-अलग बिल लेना होगा. मान लीजिए आप ने 15-15 ग्राम की चार चूडियां 60 ग्राम के बिल के साथ बनवाई हैं और उनमें से 2 चूडियाँ कुछ समय पहनने के बाद टूट जाती हैं तो आप आमतौर पर टूटी चूडियां दे कर दो नयी चूड़ियां ले लेते हैं. यह कानून लागू होने के बाद आप ऐसा नहीं कर सकेंगे.
क्योंकि आप के पास बिल होगा 60 ग्राम का और आप दे रहे हैं लगभग 30 ग्राम. अगर आप 100 ग्राम जेवर बनवाते हैं और 50 ग्राम सोना या जेवर घर से देते हैं तो आपको 50 ग्राम पर 1.1% के हिसाब से वैट लगता है
पर यदि यह कानून लागू होता है तो वैट के इलावा आपको 50 के बजाय 100 ग्राम पर एक फीसदी अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी (उत्पादन शुल्क) भी देना होगा. बहरहाल सर्राफा कारोबारियों ने दुकानें तो खोल दी हैं और काला बिल्ला लगा कर विरोध जारी रखा है लेकिन यह विरोध क्या रंग लायेगा, यह फैसला तो वक्त पर छोड़ना होगा.

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